देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक साढ़े छह साल में सबसे कम है। जुलाई के मुक़ाबले अगस्त में औद्योगिक विकास 4.3 प्रतिशत से घटकर -1.10 प्रतिशत पर आ गया है। ऐसा क्यों हुआ, सरकार बताएगी?
अगर बाबुल सुप्रियो ‘द टेलीग्राफ़’ पढ़ते तो संपादक को फ़ोन ही नहीं करते। ऐसी धारदार ख़बरें छापने वाला अख़बार अगर फ़ोन करने से डरने वाला होता तो बहुत पहले डर गया होता या फिर विज्ञापन छाप रहा होता।
मंदी के कारणों को समझने और कार्रवाई करने के बजाय कुतर्कों से जीतने की कोशिश की गई और अब वही कार्रवाई की जा रही है जो चुनाव से पहले कर दी जानी चाहिए थी।
किया सेल्टोस की बुकिंग सोमवार को शुरू हुई और एक ही दिन में कंपनी को 6000 कारों के लिए बुकिंग मिल गई। तो क्या सिर्फ़ कारों की बुकिंग मंदी से उबरने का संकेत हो सकती है?
इस बार बजट की ख़ास बातों में एक था- बिना पैन यानी सिर्फ़ आधार नंबर पर आयकर जमा हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि इससे क्या दो-दो पैन कार्ड बन जाने की गड़बड़ियाँ नहीं होंगी? और फिर पैन की ज़रूरत ही क्यों रहेगी?
चुनाव से पहले की सरकारी तैयारियों के क्रम में एक लोक-लुभावन ख़बर छपी है जो आयकर सीमा बढ़ाने के बारे में है। इसका क्या मक़सद हो सकता है? सरकार को कितना लाभ होगा और होगा भी कि नहीं?