महाराष्ट्र का किसान पानी से सस्ता दूध बेचने को मजबूर है, क्या यह आपको पता है? दुग्ध उत्पादक किसान 17 से 25 रुपये प्रति लीटर से दूध बेचने को मजबूर हैं, भले आप रोज़ सुबह इसी दूध को 50 रुपये या उससे अधिक भाव में खरीदते हों।
महाराष्ट्र में 31 जुलाई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। अब तक जिस तरह ज़रूरी वस्तुओं की दुकानें (दूध, सब्जी और दवाइयां) खुलती रही हैं, उसी तरह उन्हें छूट जारी रहेगी।
दही हांडी पर कोरोना का असर इतना ज़्यादा है कि इस बार मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में गोविंदा आला रे नहीं गूँजेगा। राज्य में पहली पार दही हांडी उत्सव नहीं होगा।
मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) आयुक्त इकबाल चहल ने दावा किया है कि जुलाई मध्य तक मुंबई में कोरोना के मामलों पर पूरी तरह नियंत्रण की योजना बनाकर काम किया जा रहा है।
कोरोना संक्रमण के मामले में मुंबई में प्रशासन को जो बड़ी सफलता मिली है वह है एशिया की सबसे बड़े स्लम धारावी में। पहले की तुलना में कोरोना वायरस के मामले अब काफ़ी कम हो गए हैं।
कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई कैसे लड़ें, इस बारे में चीन से सीखना चाहिए। लेकिन भारत में तमाम लॉकडाउन के बाद भी संक्रमण बेतहाशा बढ़ा है और लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं।
‘संपूर्ण क्रांति : सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ पाँच जून, 1974 को पटना के गाँधी मैदान में विशाल जन सैलाब के समक्ष जयप्रकाश नारायण ने जब यह नारा दिया।
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के ‘साठ साल पर मोदी के छह साल भारी’ कहकर पीठ थपथपाई है। मोदी सरकार के छह सालों का सफर देखें तो वह ‘अच्छे दिन के नारे से शुरू होकर आत्मनिर्भर बनने के नारे’ तक पहुँची है।
प्रदेश में कोरोना का संकट दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और देश के एक तिहाई से ज़्यादा संक्रमण और उसकी वजह से होने वाली मौत के आँकड़े महाराष्ट्र से ही हैं। तो क्या महाराष्ट्र सरकार कुछ नहीं कर रही है?
कोरोना महामारी के संकट के दौरान जब लाखों श्रमिक महानगरों को छोड़कर जा रहे हैं, ऐसे में रेल को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के बीच हो रही राजनीति बेहद दुखद है।
महाराष्ट्र और मुंबई में कोरोना का संकट देश में सर्वाधिक है लेकिन उससे हटकर यहाँ सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव का एक नया ही खेल चल रहा है। एक विवाद पर पर्दा गिरता है तो दूसरा शुरू हो जा रहा है।