शिवसेना और बीजेपी के बीच महाराष्ट्र में सीटों का बँटवारा तय हो गया है। लेकिन एक सवाल भी खड़ा हो गया है कि शिव सेना -बीजेपी के उन सहयोगी दलों का क्या होगा जो केंद्र और महाराष्ट्र में उनकी सरकार में सहयोगी हैं?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी द्वारा कांग्रेस के 60 साल के ‘कुशासन’ का जवाब क्या कांग्रेस संघ, गोडसे और सावरकार के इतिहास पर सवाल उठाकर देगी? कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के भाषणों को देख कर तो ऐसा ही कुछ लगता है।
2019 के चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए परिस्थितियाँ 2014 जैसी नहीं हैं। शिवसेना के साथ उसके रिश्तों में खटास आ चुकी है। कुछ छोटे दल भी उसका साथ छोड़ चुके हैं।
बीजेपी संग चुनाव लड़ने को लेकर शिवसेना असमंजस में है। पार्टी सांसद इसके पक्ष में हैं तो शिव सैनिक ख़िलाफ़ हैं। प्रशांत को बुलाने के बाद कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।