कुछ लोग ओवैसी पर बीजेपी से पैसे लेने का आरोप भी लगाते हैं लेकिन जब उनसे यही बात सार्वजनिक रूप से बोलने को कहा जाता है तो वे पीछे हट जाते हैं। इस तरह के आरोपों से ओवैसी के समर्थक बढ़ते हैं।
पंद्रह साल तक पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार के साथ सत्ता की दोपहिया पर सवार नीतीश कुमार ने सोमवार को सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो यह वाहन तिपहिया में बदल गया।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राष्ट्रीय जनता दल ने 144 सीटों पर लड़कर सर्वाधिक 23.1 प्रतिशत मत प्राप्त किये और इसे सर्वाधिक 75 सीटें मिली हैं। दूसरी ओर महज एक सीट पीछे रही बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़कर 19.5 प्रतिशत वोट के साथ 74 सीटें जीती हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के तीसरे चरण में विकास और जातीय समीकरण सीमांचल की वोट चर्चा के अहम हिस्सा नज़र आते हैं लेकिन बदलाव की चाहत इन पर भारी दिखती है।
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में सबसे अधिक 94 सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जदयू के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जा रहा है क्योंकि इसमें उसकी सबसे अधिक जीती हुई सीटें हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में अपनी पहली चुनावी सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने कहा कि केन्द्र में यूपीए सरकार के रहते नीतीश कुमार को काम नहीं करने दिया जाता था। बकौल मोदी- नीतीश जी के दस साल बर्बाद कर दिये।
बीजेपी की नौकरियों के सपने में एक पेच है। पार्टी के मुताबिक़, सिर्फ चार लाख नौकरियां सरकारी होंगी और बाकी पंद्रह लाख आईटी हब और कृषि हब बनने के बाद मिलेंगी।
पटना से मुज़फ्फरपुर होते हुए मधुबनी और वहां से मोतिहारी के सफर के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग बुरे हाल में मिले। ट्रकों पर लदे दिल्ली की तरफ जाते मजदूर मिले।
तेईस साल की नेहा सिंह राठौर ने “बिहार में का बा...” गाना क्या गाया बीजेपी की आईटी सेल को हरकत में आना पड़ा और जवाब में उसने एक वीडियो इस शीर्षक के साथ जारी कर दिया…“बिहार में इ बा।”
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए काफी दिनों से आज-कल होते-होते मंगलवार को एनडीए के बीच सीटों का बंटवारा हो सका। यह बंटवारा एकदम नये फ़ॉर्मूले- जेडीयू प्लस और बीजेपी प्लस से हुआ।
लोक जनशक्ति पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव एनडीए से बाहर होकर लड़ेगी। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड दोनों इस बात को मान चुके हैं कि अब उन्हें लोजपा के बिना चुनाव लड़ना होगा और उसी हिसाब से अपनी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में गठबंधन बनाने का काम क्रिकेट के टी-20 जैसा चल रहा है। कौन किधर जा रहा है और कौन कितनी सीट पर लड़ना चाहता है, इस पर सस्पेंस बना हुआ है। महागठबंधन में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों से क़रार पर तक़रार बनी हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख़ों की घोषणा हो गई है। 2015 में स्टार प्रचारक रहे लालू प्रसाद इस समय राँची में कैद हैं और इसकी उम्मीद कम ही है कि चुनावी राजनीति में कोई सक्रिय भूमिका निभा सकें।
कारोबारी सुगमता रैंकिंग में बिहार फिसड्डी साबित हुआ है। बिहार को इस रैंकिंग में 26वाँ स्थान मिला है। नीतीश कुमार क्यों स्थिति नहीं सुधार पाए? इस मोर्चे पर सरकार की विफलता क्या चुनाव पर कोई असर डालेगी?