राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपनी स्थापना के सौ वर्ष मनाने जा रहा है। इस मौके पर इस बात पर शिद्दत से विचार किया कि आखिर आरएसएस ने देश को दिया क्या। इस संगठन का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था। अलबत्ता इसने देश में साम्प्रदायिकता को हवा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब जो तस्वीर सामने आ रही है, उससे लगता है कि यह संगठन वर्ण और ब्राह्मणवाद को भी बढ़ावा देता है। इसके पास महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी से लड़ने के लिए कोई रोडमैप नहीं है। रविकान्त के इस लेख में इसी मुद्दे पर रोशनी डाली गई है।