अमेरिकी राष्ट्रपति के विवेक पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति के सनकीपन की वजह से दुनिया में बर्बादी का एक और मंजर देखने को मिलेगा?
चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ का पद भविष्य के युद्धों की चुनौतियों के अनुरूप बनाया गया है लेकिन अभी भी सामरिक हलकों में यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह पद अपने घोषित लक्ष्यों को हासिल कर पाएगा?
अफ़ग़ानिस्तान शांति वार्ता में भारत को पूरी तरह हाशिए पर धकेलने के बाद अमेरिका एक बार फिर क्यों उसे पुचकार रहा है? क्या मक़सद चीन को रोकने में भारत का इस्तेमाल करना है?
हमबनटोटा बंदरगाह बनाने और फिर इसे 99 साल की लीज पर लेने के बाद कोलम्बो में चीन ने एक नया शहर कोलम्बो पोर्ट सिटी बना कर वहाँ दशकों तक अपने लोगों को बसाने का पूरा इंतज़ाम कर लिया है।
ब्रिटेन के आम चुनावों के नतीजों से यह सवाल उठने लगा है कि क्या इससे वहाँ अलगावावदी ताक़तों को बल मिलेगा? क्या पहले स्कॉटलैंड और उसके बाद वेल्स और उत्तरी आयरलैंड अलग हो जाएंगे?
भारत और चीन के बीच दो हज़ार साल पुराना रिश्ता रहा है, लेकिन पिछले 70 सालों के छोटे से कालखंड ने इस रिश्ते में जो खटास पैदा की उससे पूरे दो हज़ार साल के रिश्तों पर काला धब्बा लग गया।
भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती श्रीलंका के साथ भरोसे का रिश्ता बनाने और चीन के साथ राजपक्षे सरकार की नजदीकियों का असर भारत के सुरक्षा हितों पर नहीं पड़ने देने की होगी।
शिखर बैठक के दौरान नरेन्द्र मोदी ने अपने सार्वजनिक बयान में कहा कि दोनों देश एक-दूसरे की चिंताओं का ध्यान रखें लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐसा कोई भरोसा नहीं दिया।
भारत-नेपाल पेट्रोलियम पाइपलाइन न केवल नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिये गेम चेंजर साबित होगी बल्कि भारत-नेपाल के रिश्तों में भी खेल का पासा पलटने वाली साबित होगी।
एक तरफ अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह रूस से मिसाइल प्रणाली न ले तो मास्को ने पाकिस्तान को रक्षा उपकरण दिया, जो भारत को बहुत अच्छा नहीं लगा। इसके बावजूद दोनों देशों में सामरिक रिश्ते मजबूत हो रहे हैं।
परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल न करने को लेकर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयान को ख़ुद उनके ही विदेश मंत्रालय ने खंडन क्यों कर दिया? किसके दबाव में यह सब हुआ?