वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजेश जोशी ने 2017 में यह लेख लिखा था। गांधी की हत्या को 75 साल हो चुके हैं लेकिन एक वर्ग या एक विचारधारा उनसे आज भी डरी हुई लगती है। उनका यह लेख आज भी प्रासंगिक है। जरूर पढ़ियेः
हेमंत शर्मा की पुस्तक ‘राम फिर लौटे’ में ‘हमारी राष्ट्रीयता’ में ‘हम’ कौन हैं? क्या मुसलमान, ईसाई, पारसी और यहूदी और नास्तिक को भी राष्ट्रीयता के इस ‘मंदिर’ में उन्हें कोई जगह मिलेगी? पढ़िए राजेश जोशी की समीक्षा।