क्या भारतीय जनता पार्टी अपने ही जाल में फँस गई है? क्या उसके नेता अपने नेतृत्व के सामने सच्चाई बयान करने से कतरा रहे हैं या उन्हें आईना दिखाने की हिम्मत नहीं है?
आज भारती जी की जयंती है। आज वह होते तो वह तिरानवे साल के होते। उन्हें 1972 में साहित्य में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था। आज उन्हें किस रूप में याद किया जाए?