आख़िर वे कौन से सवाल हैं जिनके जवाब मोदी सरकार नहीं देना चाहती? हिंडेनबर्ग के भँडाफोड़ से बचने के लिए कांग्रेस पर हमला करने की उसकी रणनीति कितना काम करेगी? क्या ED द्वारा राहुल गाँधी से पूछताछ से लोगों का ध्यान बँटेगा?
क्या तेलुगू देशम पार्टी यानी टीडीपी ने मोदी सरकार के साथ खेल कर दिया? क्या टीडीपी के बदले रुख़ ने उसे वक्फ़ विधेयक को संसदीय समिति भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा? क्या
शेख़ हसीना से क्या चूक हुई क्या वे स्थिति को संभाल सकती थीं? क्या अब कट्टरपंथियों की सत्ता में वापसी हो सकती है? फौज खुद सत्ता की बागडोर में हाथ लेगी या चुनाव करवाएगी?
उद्धव ठाकरे अमित शाह पर इस उग्रता के साथ हमले क्यों कर रहे हैं? उन्हें अहमद शाह अब्दाली का वंशज क्यों बता रहे हैं? उन्होंने फड़नवीस को खटमल क्यों कहा, नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के हिंदुत्व पर सवाल क्यों उठाए? क्या अमित शाह इसका जवाब देंगे और देंगे तो किस तरह से?
अखिलेश यादव ने एक ब्राम्हण को नेता प्रतिपक्ष बनाकर क्या खेल किया है? मायावती क्यों उनके इस क़दम से आग़बबूला हो रही हैं? क्या इससे योगी की कुर्सी ख़तरे में पड़ सकती है?
किसान मोदी सरकार के बजट से ख़फ़ा क्यों हैं? वे बजट की प्रतियाँ जलाने का ऐलान क्यों कर रहे हैं? उनकी कौन सी मांगों की उपेक्षा की गई है? क्या सरकार सचमुच में खेती कार्पोरेट के हवाले करने जा रही है?
योगी सरकार के फ़रमान पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम रोक लगाना कितना बड़ा झटका है? क्या ये उन राज्यों के लिए भी कड़ा संदेश नहीं है जो योगी की राह पर चलने लगे थे या चलने की तैयारी कर रहे थे?
योगी ने काँवडियों के नाम पर सांप्रदायिक कॉर्ड खेलकर क्या मोदी सरकार को फँसा दिया है? सहयोगी दलो का विरोध क्या सरकार को अस्थिर कर सकता है? सरकार को बचाने के लिए क्या मोदी योगी की बलि ले सकते हैं?
बाल बुद्धि के जवाब में बैल बुद्धि आ गया। उधर से जब जब बाल बुद्धि का तीर छोड़ा जाता तो इधर से बैल-बुद्धि के प्रक्षेपास्त्र चलने लगते। यानी मुक़ाबला दिलचस्प हो गया।
क्या यूपी की पुलिस मुसलमानों और दलितों के बहिष्कार का माहौल बना रही है? उसने किसके इशारे पर हिटलरी फ़रमान जारी किया? क्या अदालत को खुद-ब-खुद संज्ञान लेकर ऐसे पुलिस अफ़सरों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई नहीं करनी चाहिए?
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय का ये आरोप कितना सही है कि राहुल गाँधी मोदी के ख़िलाफ़ हिंसा भड़का रहे हैं? क्या मोदी और बीजेपी नेताओं के बयान कहीं ज़्यादा भड़काऊ नहीं हैं? प्रो. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- प्रो. अपूर्वानंद, प्रो. आनंद कुमार और राहुल देव-
क्या प्रधानमंत्री मोदी राहुल गाँधी के हमलों का ठीक से जवाब दे पाए? लोकसभा में उनका ढाई घंटे का भाषण फ़ीका क्यों रहा? राहुल पर हमले के लिए उन्होंने बालक-बुद्धि जैसे हल्के जुमलों का इस्तेमाल क्यों किया?
क्या राष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष ने इमर्जेंसी का ज़िक्र करके सही किया? क्या सरकार के रुख़ में कोई बदलाव नज़र आया है? राहुल गाँधी के नेता प्रतिपक्ष बनने से क्या फ़र्क़ पड़ेगा? मोदी सरकार कितनी टिकाऊ है? वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा से डॉ. मुकेश कुमार की बातचीत-
लोकसभा अध्यक्ष के मुद्दे पर मोदी ने विपक्ष के साथ टकराव मोल लेकर क्या संदेश दिया है? क्या वे विपक्ष के साथ मिलकर चलने को राज़ी नहीं है? अगर उनका यही रवैया रहा तो मध्यावधि चुनाव कितनी दूर हैं?
महाराष्ट्र में एनडीए या महायुति में ज़बर्दस्त कलह शुरू हो गई है? बीजेपी शिंदे सेना और अजीत पवार की एनसीपी के दावों को कैसे स्वीकार करेगी? क्या मोदी-शाह गठबंधन को बचा पाएंगे?
क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह से स्वस्थ हैं? नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन के मौक़े पर उन्होंने जो किया वह क्या साबित करता है? उनकी हाल की हरकतों के मद्देनज़र क्या ये संदेह पैदा नहीं होता कि वे बिहार सरकार चलाने में सक्षम हैं या नहीं?
क्या कांग्रेस लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन को अपने कायाकल्प के लिए इस्तेमाल कर सकती है? क्या इसके लिए उसके पास कोई रोड मैप तैयार है? क्या राहुल की टीम नई काँग्रेस बनाने के लिए तैयार है?
क्या चुनाव में हार और साझा सरकार के दबाव ने मोदी को बदलने के लिए मजबूर किया है? क्या उन्होंने अहंकार और बदले की भावना छोड़ी है? क्या उन्होंने और उनकी पार्टी ने मुसलमानों को टारगेट बनाना कम किया है? प्रो. मुकेश कुमार के साथ चर्चा मेंं हिस्सा ले रहे हैं-श्रवण गर्ग, प्रो. अपूर्वानंद और क़ुरबान अली-
यूपी विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव योगी के लिए भारी पड़ सकते हैं? अगर इस बार भी बीजेपी का प्रदर्शन ख़राब रहा तो उनको हटाने की मुहिम तेज़ हो जाएगी? राहुल अखिलेश की जोड़ी को भी साबित करना होगा कि लोकसभा चुनाव में मिली असाधारण सफलता तुक्का नहीं थी?
आख़िर संघ एकदम से मोदी पर ही क्यों टूट पड़ा है? उसे दूसरे बीजेपी नेताओं का अहंकार क्यों नहीं दिख रहा? वह अभी तक क्यों चुप रहा था? क्या संघ मोदी के लिए कोई बिसात बिछा रहा है?
चुनाव नतीजों में ऐसा क्या है कि महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है? क्या शिंदे और अजीत पवार के विधायक अपनी पुरानी पार्टियों में लौटने वाले हैं? आख़िर शरद पवार ऐसा क्या कर रहे हैं कि मोदी-शाह को बड़ा झटका लग सकता है?
उत्तरप्रदेश में किसको कितनी सीटें मिल सकती हैं? क्या बीजेपी पचास के नीचे जा रही है? अगर ऐसा हुआ तो फिर दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी? क्या फिर भी मोदी सरकार बना लेंगे या खुल जाएगा इंडिया का रास्ता? पाँच वरिष्ठ पत्रकारों के आँकड़े-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतने निम्न स्तरीय बयान क्यों दे रहे हैं? क्या उन्हें इंडिया का उभार डराने लगा है? उनके बयानों से बीजेपी को फ़ायदा होगा या नुक़सान?