सरकार ने ट्विटर को 1178 भारतीयों के खाते बंद करने के आदेश दिए थे मगर ट्विटर ने उसका पूरी तरह से उसका पालन नहीं किया। इससे सरकार नाराज़ है और अब उसने भारतीय विकल्प कू को अपना लिया है। क्या होगा? इसका अंजाम वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता मेधा पाटकर का कहना है कि वे मोदीजी को धन्यवाद देती हैं कि उन्होंने हमें आंदोलनजीवी कहा। वे आंदोलनजीवी होने पर गर्व करती हैं। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की उनके साथ बातचीत-
संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने कई आपत्तिजनक बातें कही हैं। इससे न केवल उनको बल्कि उनकी पार्टी को भी नुक़सान उठाना पड़ेगा? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
किसान आंदोलन के साथ ज़्यादतियों की ख़बरें विश्व भर में फैल चुकी हैं। इससे मोदी और देश दोनों की छवि खराब हुई है। मगर क्या मोदी सरकार अब भी आँखें मूँदे रहेगी? क्या अभी भी वह प्रोपेगंडा और सेलेब्रिटियों के बल पर अपनी कारगुज़ारियाँ छिपाने की सोचती रहेगी? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
ये सरकार घमंडी है। किसानों की एकजुटता को तोड़ने के लिए इसने हर हथकंडा आज़मा लिया मगर कामयाब नहीं हुई और न ही आगे होगी। ये कहना है माकपा नेता बृंदा करात का। पेश है उनसे वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की बातचीत
सरकार ने दिल्ली के आसपास किसान आंदोलन के ख़िलाफ़ क़िलेबंदी कर दी है, मगर वह फैलता ही जा रहा है। सरकार द्वारा किसानों को बदनाम करने के हथकंडों का भी उल्टा असर हो रहा है। ऐसे में बेहतर है कि सरकार कानून वापस ले। ये कहना है कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा का। पेश है उनसे वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की बातचीत।
सरकार ने बजट में एक बार फिर से ये सोचकर सरकारी संपत्तियों को बेचने का दाँव खेला है कि कोरोना की वज़ह से विरोध नहीं होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। किसान आंदोलन की तरह विरोध का एक मोर्चा कर्मचारियों की ओर से भी खड़ा हो सकता है। पेश है जाने-माने अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की बातचीत
29 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर हुए पथराव की तमाम सचाइयाँ सामने आ गई हैं। यह साफ़ हो गया है कि किसानों के आंदोलन से नाराज़ स्थानीय लोग इस प्रायोजित हिंसा में शामिल नहीं थे।
सरकार शुरू से कृषि क़ानून वापस नहीं लेने और किसान आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए फूट डालने की रणनीति पर चल रही थी। ट्रैक्टर परेड के बाद उसे बहाना मिल गया है।
22 मई, 1987 को हुआ हाशिमपुरा कांड मुसलमानों की सामूहिक रूप से की गई स्वतंत्र भारत के इतिहास में हिरासती हत्याओं का सबसे बड़ा मामला था। इस पर विभूति नारायण राय ने 'हाशिमपुरा 22 मई' किताब लिखी है। पेश है इसकी समीक्षा।
अमेरिका के छियालीसवें राष्ट्रपति जो बाइडन ने डोनल्ड ट्रंप द्वारा लिए गए अटपटे और विध्वंसकारी फ़ैसलों को उलटकर जता दिया है कि वे ट्रंप युग की कड़वी यादों को दफ़्न करना चाहते हैं।
कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह के संदेह और सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं, उन्हीं के जवाब दे रहे हैं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ में कार्यरत डॉ. अनीश सिन्हा। बातचीत कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार
वर्ष 2020 अब कुछ घंटों का ही मेहमान है। लेकिन ये वर्ष इतिहास के सबसे यादगार वर्षों के रूप में दर्ज़ किया जाएगा। इस वर्ष की प्रमुख घटनाओं के बारे में बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार-
ट्रम्प का ‘अमेरिका फ़र्स्ट’ एक तरह से राष्ट्रवाद का उद्घोष था। ट्रम्प के चार साल के कार्यकाल में अमेरिका ने वैश्विक भूमिका से ख़ुद को काटना शुरू कर दिया। ट्रम्प ने उन्मादी राष्ट्रवाद और श्वेत बनाम अन्य के नस्लवाद का सहारा लिया।
कोरोना महामारी हमारी स्मृति में 2020 की घटना के तौर पर दर्ज़ हो चुकी है, मगर चीन के वुहान में तो यह 2019 के नवंबर-दिसंबर में ही प्रकट हो चुकी थी और अब वह 2021 में भी मौजूद रहेगी यह तय हैं।
तमाम विपक्षी दल काँग्रेस नेतृत्व से निराश होते जा रहे हैं। वे चाहते हैं कि मोदी-शाह की तानाशाही के ख़िलाफ़ उनका नेतृत्व करें, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है। क्या इसीलिए शिवसेना शरद पवार को यूपीए का अध्यक्ष बनाना चाहती है?
प्रशांत किशोर ने कहा है कि अगर बीजेपी बंगाल में दहाई का आँकड़ा भी पार कर ले तो वे अपना काम छोड़ देंगे। उनकी इस चुनौती का क्या मतलब है? क्या और टूट-फूट को रोकने के लिए उन्होंने ऐसा बयान दिया है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
असंतुष्टों के साथ हो रही बैठक में काँग्रेस हाईकमान क्या करेगा वह असंतोष को ठंडा करने की कोशिश करेगा या बागियों को धमकाने की? सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या इस बैठक से नेतृत्व का संकट हल करने की दिशा में कोई प्रगति होगी? पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय का बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक अनैतिक कर्म को ही उजागर नहीं करता, बल्कि ये भी बताता है कि सत्ता के लिए वे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीक़े आज़माने में विश्वास रखते हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
रूस को लग रहा है कि अमेरिका रूस और चीन को अलग-थलग करके अपना वर्चस्व कायम करने के इरादे से भारत को मोहरा बना रहा है। क्या इसमें कुछ सचाई है और अगर है तो भारत और रूस के संबंधों पर इसका क्या असर पड़ सकता है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बीजेपी की हिंदुत्ववादी ध्रुवीकरण की राजनीति उसे किस पैमाने पर कामयाबी दिला सकती है।