मोदी ममता की सरकार को कमज़ोर करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं, मगर ममता उनकी पार्टी को तोड़ने में लगी हैं। मुकुल रॉय और राजीब बैनर्जी जैसे बड़े नेता पार्टी छोड़ने के संकेत दे रहे हैं। ऐसे में वे बीजेपी को कैसे बचाएंगे?
अरसे बाद पहली बार टीका नीति पर सुप्रीम कोर्ट तनकर खड़ा हुआ है और उसने मोदी सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन क्या वह बड़े टकराव के लिए तैयार है?
प्रधानमंत्री द्वारा टीका मुफ़्त किए जाने के फ़ैसले का श्रेय सुप्रीम कोर्ट को दिया जा रहा है। मगर क्या ये माना जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट बदल गया है और उसकी विश्वसनीयता बहाल हो रही है?
बीजेपी और मोदी दोनों के लिए यूपी के चुनाव महत्वपूर्ण हैं। इस चुनाव के नतीजे ही 2024 की राजनीति तय करेंगे। देखिये वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की ख़ास बातचीत राजनीतिक विश्लेषक, अभय कुमार दुबे के साथ
बेरोज़गारी के आँकड़े चरम पर पहुँच गए हैं, लेकिन मोदी सरकार के कानों में जूँ तक नहीं रेंग रही, आख़िर क्यों?हरवीर सिंह, जयशंकर, अशोक वानखेड़े, हरजिंदर, विजय त्रिवेदी
गुजरात में दलित युवक को इसलिए बुरी तरह से मारा गया क्योंकि उसकी मूंछें दबंग जातियों के अहंकार को ठेस पहुंचाती थीं। क्या है ये प्रवृत्ति, दलितों की आज़ादी किन्हें खटकती है?
बीजेपी ने यूपी के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, मगर उसकी राह में क्या मुश्किलें हैं और वह उनसे कैसे निपटेगी? अरविंद मोहन, यशवंत देशमुख, विनोद अग्निहोत्री, प्रो.रविकांत
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि अगर 2024 में चुनाव साफ़-सुथरे ढंग से हुए तो मोदी नहीं जीतेंगे। उनका कहना है कि जनता विपक्ष तैयार कर रही है और विपक्षी दल भी एकजुट हो रहे हैं।
इस्रायल और हमास के बीच युद्ध विराम की घोषणा हो गई है, मगर क्या वह टिक पाएगा और क्या ये स्थायी शांति का रास्ता खोल पाएगा? वैल अव्वाद, फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, शीबा असलम फ़हमी
इज़राइल-फ़लस्तीन के बीच जारी ख़ून-ख़राबे को रोक पाने में नाकामी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की आलोचना शुरू हो गई है। यह आलोचना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो हो ही रही है, उनकी अपनी पार्टी के सांसद तक कर रहे हैं।
वैक्सीन से जुड़ा सवाल करने वाले पोस्टरों पर दिल्ली पुलिस जिस तरह से कार्रवाई कर रही है, वह आपातकाल की याद दिलाती है। क्या अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आपातकाल की विधिवत् घोषणा नहीं कर देनी चाहिए?
जो लोग फ़लिस्तीनियों के स्वतंत्र राष्ट्र के संघर्ष में दिलचस्पी रखते हैं और उस पर नज़र रखे हुए हैं, उन्हें लग रहा होगा कि जैसे पश्चिम एशिया में एक बार फिर से इतिहास दोहराया जा रहा है।
इस्रायल और फिलिस्तीन के बीच फिर से संघर्ष शुरू हो गया है और इसमें कोई इस्रायल के साथ खड़ा हैं तो कोई फिलिस्तीन के साथ। सवाल उठता है कि किसके साथ खड़ा होना सही है और क्यों?
इस्रायल के हमले पर अरब देश क्यों खामोश हैं? क्या अमेरिका और विश्व बिरादरी इसमें दखल देगी और देगी तो किस तरह? फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, मुंबई, डॉ. सुनीलम, भोपाल, शीबा असलम फ़हमी, दिल्ली
आख़िर हिमंत बिस्व सरमा का असम का मुख्यमंत्री बनना सुनिश्चित हो गया है। चुनाव अभियान शुरू होने के समय से ही इसके साफ़ संकेत मिल रहे थे। क्या वह चुनौतियों से निपट पाएँगे?
पंचायत चुनाव में दुर्गति के बाद योगी के नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या यूपी बचाने के लिए उनकी कुर्सी किसी और की दी जाएगी? अशोक वानखेड़े, विनोद अग्निहोत्री, विजय त्रिवेदी, शरत प्रधान, वीरेंद्र भट्ट।
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा क्यों हो रही है? इसके लिए टीएमसी अकेली ज़िम्मेदार है या फिर बीजेपी भी? मार्क्सवादी-लेनिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता दीपंकर भट्ठाचार्य से बातचीत।
असम में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने फिर से जीत हासिल की है, मगर उसकी जीत का रहस्य क्या है। बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि उन्होंने विकास किया है, लोगों ने उसके लिए उसे दोबारा सत्ता सौंपी है, लेकिन क्या इसमें सचाई है?
चुनाव आयोग मीडिया में आलोचना के ख़िलाफ़ कोर्ट की शरण में क्यों गया? मद्रास हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणियों के बाद मीडिया में चुनाव आयोग की आलोचना की बाढ़ आ गई थी। अब चुनाव आयोग चाहता है कि कोर्ट मीडिया का मुँह बंद करे। क्या ये सही है?
छत्तीसगढ़ कई संकटग्रस्त राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहा है, मगर क्या कोरोना से लड़ाई में भी वह आगे है? क्या कर रहे हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल? क्या हैं उनके सामने चुनौतियाँ? पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की उनसे खरी-खरी बातचीत।