बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद भी मामला थमता नज़र नहीं आ रहा है। ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दायर करने का फ़ैसला किया है।
योगी सरकार के मंत्रियों से लेकर बीजेपी के प्रदेश पदाधिकारी तक विधानसभा वार प्रचार में जुटे हैं। इसके उलट विपक्ष में चुनाव को लेकर कहीं कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है।
उत्तर प्रदेश में बीते 15 दिनों के भीतर आधा दर्जन ज़िलों में दर्जन भर पत्रकारों पर पुलिस ने मुक़दमे दर्ज कर दिए हैं। ये रिपोर्टें सरकारी कर्मियों की गड़बड़ियों को उजागर करने वाले पत्रकारों के ख़िलाफ़ क्यों है?
मायावती के निशाने पर अब बीजेपी नहीं बल्कि कांग्रेस है। लोकसभा चुनावों से ही जब तब कांग्रेस को आड़े हाथों लेती रहीं मायावती ने अब अपनी सारी ताक़त कांग्रेस विरोध में क्यों लगा दी है।
योगी मंत्रिमंडल के विस्तार में संघ से लेकर बीजेपी संगठन और केंद्रीय नेतृत्व तक का ज़ोर जातीय समीकरण साधने पर ही रहा, भले ही इसके चलते बड़े नामों को दरकिनार करना पड़े।
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार होने जा रहा है, इसमें जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है, कई राज्यमंत्रियों का प्रमोशन हो सकता है और एक डिप्टी सीएम भी बन सकता है।
कभी मुसलिम महिलाओं से हनुमान चालीसा का पाठ करवाने, कभी मंदिर पर घंटा चढ़ाने की बात कहने वाले योगी सरकार के इकलौते मुसलिम मंत्री मोहसिन रज़ा ने मुसलिमों को भगवा रंग से परहेज़ नहीं करने की सलाह दे डाली है।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में आदिवासियों के सामूहिक नरसंहार के बाद अब डैमेज कंट्रोल में योगी सरकार जुट गई है। प्रियंका को हिरासत में लिया गया, सपा प्रतिनिधिमंडल को रोका गया और मामले में कार्रवाई की गई।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा आदिवासी आबादी वाले ज़िले सोनभद्र में भूमाफियों ने ज़मीन पर कब्ज़े के लिए दस लोगों को हलाक कर डाला। सवाल उठ रहे हैं कि क्या हुआ क़ानून-व्यवस्था का? विपक्ष कहाँ है?
उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने मॉब लिन्चिंग रोकने के लिए क़ानून का मसौदा राज्य सरकार को भेज दिया है, पर इससे वे ही डरे हुए हैं, जिनकी सुरक्षा का दावा किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में अखिलेश राज में हुए खनन घोटाले की जाँच की आँच कई अधिकारियों तक पहुँच रही है। सीबीआई ने यूपी में आईएएस, पीसीएस अफ़सरों के घर पर छापे मारे हैं।
लोकसभा चुनावों में ख़राब प्रदर्शन के बाद सदमे से अखिलेश नहीं उबरे हैं, मायावती घर पर बैठकें कर रही हैं, लेकिन प्रियंका बीजेपी की तरह संगठन खड़ा करने में जुट गई हैं। क्या वह योगी को चुनौती दे पाएँगी?