उत्तर प्रदेश में भयमुक्त समाज और अपराध मुक्त प्रदेश के नारे के साथ सत्ता में आयी योगी सरकार की चूलें ताबड़तोड़ हो रही हत्याओं ने हिला दी है। अकेले गुरुवार और शुक्रवार सुबह तक आठ पुलिसवालों सहित डेढ़ दर्जन लोग मारे जा चुके हैं।
दिव्या अवस्थी ने ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जे की ख़बर लिखने और उसे सोशल मीडिया पर शेयर करने को लेकर शुभममणि को कई बार धमकाया था और फिर उनकी हत्या करा दी।
उत्तर प्रदेश में अपने बेबाक बोलों के लिए सेवाकाल में और रिटायरमेंट के बाद भी चर्चित रहे डॉ. सूर्य प्रताप सिंह पर योगी सरकार ने इसलिए मुक़दमा ठोक दिया है क्योंकि उन्होंने एक सवाल पूछ लिया।
प्रियंका गाँधी ने उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती में धांधली को लेकर योगी सरकार पर ज़ोरदार हमला बोलते हुए इसे व्यापमं घोटाले जैसा घोटाला क़रार दिया है।
कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान भी यूपी में पत्रकारों पर सरकारी कहर जारी है। बीते दो महीनों में कई पत्रकारों के उत्पीड़न की घटनाएँ सामने आने के बाद फतेहपुर ज़िले में गंगा व यमुना नदियों में जल सत्याग्रह किया।
कांग्रेस की ओर से बसों की सूची में फ़र्ज़ीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार किए गए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को गुरुवार को ज़िला जेल भेज दिया गया। बसें भी वापस लौट गईं।
48 घंटों में घर वापसी कर रहे 60 से ज़्यादा मज़दूरों की सड़कों पर कुचल कर हुई मौत के बाद योगी सरकार ने शहरों की सीमाएँ सील कर पैदल या अन्य गाड़ियों से आ रहे मज़दूरों को रोक दिया है।
बीते 10 दिनों में ही उत्तर प्रदेश की सड़कों पर पैदल लौट रहे 40 से ज्यादा मजदूर मर चुके हैं जबकि इस दौरान कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा इसके आधे से भी कम है।
उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा पर झाँसी ज़िले में दो दिनों में हज़ारों की तादाद में बाहर से लौट रहे मज़दूर फँसे हुए हैं। अचानक पहुँचे उन मज़दूरों को झाँसी में रोक लिया गया और आगे नहीं जाने दिया गया।
कोरोना संकट और लॉकडाउन के इस दौर में उत्तर प्रदेश में विपक्ष चुप्पी ओढ़े बैठा है। ऐसे में लगता है कि विपक्ष की भूमिका ख़ुद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने संभाल ली है। रह रह कर विधायकों की ओर से सरकार पर हमले बोले जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर घटिया पीपीई किट सप्लाई के मामले में किसी तरह के घोटाले से साफ़ इनकार कर दिया है। घटिया पीपीई किट की सप्लाई को लेकर लिखी गयी महानिदेशक की चिट्ठी के लीक होने की अलबत्ता जाँच शुरू कर दी है।
कोरोना संकट के चलते देश के बड़े शहरों मज़दूरों, ग़रीबों का पलायन भीड़ की शक्ल में अब नहीं दिख रहा है, लेकिन पैदल गाँवों के रास्ते या कस्बाई सड़कों पर लौटते हज़ारों लोग दिख रहे हैं। वे क्वरेंटाइन सेंटर छोड़कर भाग रहे हैं।