डॉ. वेद प्रताप वैदिक भारत के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक एवं हिंदीप्रेमी हैं। डॉ. वैदिक अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर रहे हैं।
कोरोना का युद्ध इतना गंभीर है कि यह पूरा पिछला एक महीना हम सब लोग अंदरुनी सवालों से ही जूझते रहे। फिर भी यह तो मानना पड़ेगा कि इस कोरोना-संकट के दौरान भारत की विश्व-छवि बेहतर ही हुई है।
इससे ज़्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि कोरोना के मसले को भी हिंदू-मुसलमान का रंग दिया जा रहा है। इंदौर और मुरादाबाद में डाॅक्टरों और नर्सों पर जो हमले किए गए हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए, कम है।
केंद्र सरकार के दफ्तरों में मंत्री लोग और बड़े अफ़सर दिखाई पड़े हैं, उससे आप पक्का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि अब यही साहस राज्यों की सरकारें भी दिखाना शुरू कर देंगी।
अंदाज़ लग रहा है कि तालाबंदी अभी दो सप्ताह तक और बढ़ सकती है। इस नई तालाबंदी में कहाँ कितनी सख्ती बरती जाए और कहाँ कितनी छूट दी जाए, यह भी सरकारों को अभी से सोचकर रखना चाहिए।
अगर लॉकडाउन लंबे समय तक जारी रहा तो इससे करोड़ों लोगों के बेरोज़गार होने का ख़तरा है। लेकिन इसे हटा लें तो तो कहीं भारत में भी इटली और अमेरिका-जैसा विस्फोट न हो जाए।
जमाते-तब्लीग़ी का दोष बिल्कुल साफ़-साफ़ है लेकिन इसे हिंदू-मुसलमान का मामला बनाना बिल्कुल अनुचित है। लेकिन मौलाना साद ने अपनी करतूतों के लिए पश्चाताप नहीं किया और माफ़ी नहीं माँगी है।
जनता-कर्फ्यू तो सिर्फ़ इतवार को था, लेकिन सोमवार को भी वह सारे देश में लगा हुआ मालूम पड़ रहा है। मेरा घर गुड़गाँव की सबसे व्यस्त सड़क गोल्फ कोर्स रोड पर है लेकिन इस सड़क पर आज भी हवाइयाँ उड़ रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना विषाणु (वायरस) का मुक़ाबला करने के लिए देशवासियों को जो संदेश दिया, वह बहुत ही प्रेरक और सामयिक था। लेकिन ताली और थाली बजाने की उत्सवी मुद्रा क्यों?
भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को सेवानिवृत्त हुए अभी चार महीने भी नहीं बीते कि उन्हें राज्यसभा में नामजद कर दिया गया। राष्ट्रपति द्वारा नामजद किए जानेवाले 12 लोगों में से वे एक हैं।
शेख अब्दुल्ला के बेटे और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. फ़ारूक़ अब्दुल्ला की नज़रबंदी से रिहाई और जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी के नेताओं की नरेंद्र मोदी और अमित शाह से हुई भेंटों से एक नए अध्याय का सूत्रपात हो रहा है।
तालिबान के साथ हुए समझौते में अमेरिका ने अपने हितों को पूरी तरह से रक्षा से की है लेकिन भारत के हितों का जिक्र तक नहीं है। भारत के पास कोई रणनीति है, ऐसा भी नहीं लगता।
ग्रेटर नोएडा के रिठौड़ी गाँव में एक भव्य मसजिद बन रही है। उसकी नींव गाँव के हिंदुओं ने छह माह पहले रखी थी। इस गाँव में बसनेवाले हर हिंदू परिवार ने अपनी-अपनी श्रद्धा और हैसियत के हिसाब से मसजिद के लिए दान दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की इस भारत-यात्रा से भारत को कितना लाभ हुआ, यह तो यात्रा के बाद ही पता चलेगा, लेकिन ट्रंप ऐसे नेता हैं, जो अमेरिकी फायदे के लिए किसी भी देश को कितना ही निचोड़ सकते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि आरक्षण देना राज्य सरकारों की इच्छा पर निर्भर करेगा। सभी राज्य और केंद्र सरकारों को इस फ़ैसले पर सख्ती से अमल करना चाहिए।
यूरोपीय संघ की संसद में लाये गये प्रस्तावों में नागरिकता क़ानून और कश्मीर के विलय की कड़ी आलोचना की गई है। इन प्रस्तावों से कहीं भारत और यूरोपीय देशों के बीच संबंध तो ख़राब नहीं होंगे।
ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश के 70 प्रतिशत लोगों से ज्यादा पैसा है। सारी दुनिया के हिसाब से देखें तो हाल और भी बुरा है।