आज कल बनने वाली लगभग हर सीरीज़ फ़िल्मों को सीधा टक्कर दे रही है और उसी में से एक आई है सस्पेंस और थ्रिलर से भरी सीरीज़ असुर। इसका डायरेक्शन ओनी सेन ने किया है।
हाल ही में नेटफ्लिक्स पर 'शी' नाम की एक सीरीज़ रिलीज़ हुई है और जिसकी कहानी डायरेक्टर इम्तियाज़ अली ने लिखी है। इस सीरीज़ का डायरेक्शन आरिफ़ अली ने किया है।
‘देवी’ हमारे देश में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है तो उसी देश में हर दिन कई महिलाओं या लड़कियों के साथ बलात्कार या छेड़छाड़ जैसे कई मामले दर्ज होते हैं। इसी को लेकर एक शॉर्ट फ़िल्म आई है ‘देवी’।
बस एक ‘थप्पड़’ ही तो था, इतना तो चलता है। इसी बात का मुँहतोड़ जवाब है डायरेक्टर अनुभव सिन्हा की फ़िल्म ‘थप्पड़’। फ़िल्म को अनुभव सिन्हा और मृणमयी लागू द्वारा लिखा गया है।
भारतीय समाज में पति का पत्नी को थप्पड़ मार देना मामूली घटना समझी जाती है। अगर महिला इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाये तो रिश्तेदार, मायके वाले तक उसका साथ नहीं देते।
'ताजमहल 1989' सीरीज़ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नेटफ्लिक्स पर 14 फ़रवरी को रिलीज़ की गई है। ताजमहल को शाहजहाँ ने अपनी बेग़म मुमताज की याद में बनवाया था और हमेशा से हम सभी ने इसे प्यार के प्रतीक के रूप में ही जाना है।
रिलीज से पहले जहाँ फ़िल्म फ़िल्म ‘शिकारा’ पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट तक विवाद पहुँच गया था वहीं अब रिलीज के बाद कश्मीरी पंडित ही इस फ़िल्म से नाराज़ हैं।
डायरेक्टर व प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा दर्शकों के लिए बेहद ही संवेदनशील मसले पर एक फ़िल्म लेकर आये हैं, जिसका नाम ‘शिकारा’ है। यह फ़िल्म 30 साल पहले कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को दर्शाती है।
फ़िल्म का नाम ‘गुल मकई’ है और इसे डायरेक्टर एच.ई. अमजद ने डायरेक्ट किया है। डायरेक्टर अमजद की यह दूसरी फ़िल्म है और इसमें उन्होंने पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता मलाला युसुफजई के संघर्ष भरे जीवन पर रोशनी डालने की कोशिश की है।
एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल पर डायरेक्टर मेघना गुलज़ार फ़िल्म लेकर आई है। जिसका नाम ‘छपाक’ है और यह फ़िल्म शुक्रवार यानी 10 जनवरी को रिलीज हो रही है।
‘गुड न्यूज़’ यानी ख़ुशख़बरी! इस फ़िल्म में भी घर में नए मेहमान के आने की ख़ुशख़बरी का सभी को इंतज़ार है और उसी को लेकर डायरेक्टर ने एक नई कहानी के साथ फ़िल्म बनाई है।
फ़िल्म ‘बाला’ में कहानी है बालों की। जी हाँ, वही लंबे, घने, घुंघराले ख़ूबसूरत बाल जो कि सभी के सर का ताज होते हैं। फ़िल्म में गंजेपन की समस्या को लेकर दिखाया गया है।
फ़िल्म 'सांड की आँख' में कुछ पाने का जुनून है, जज़्बा है और सपने पूरे करने की ललक है। यह फ़िल्म दो तेज़-तर्रार शूटर चन्द्रो तोमर व प्रकाशी तोमर के जीवन और शूटर बनने की उनकी कहानी पर आधारित है।
स्पाई की निजी ज़िंदगी को समझना चाहते हैं तो एक वेब सीरीज़ आई है। नाम है ‘बार्ड ऑफ़ ब्लड’। लीड रोल में हैं इमरान हाशमी। और निर्माता शाहरुख ख़ान, गौरी ख़ान और गौरव वर्मा हैं।
हल्की फुल्की मनोरंजन की फ़िल्म 'द ज़ोया फ़ैक्टर' में लकी चार्म के अंधविश्वास को दूर करने की कोशिश की गई है। फ़िल्म के विषय में नयापन है, लेकिन यह फ़िल्म न गंभीरता से बनाई गई है और न ही इसे याद रखा जा सकता है।