पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।
उत्तर प्रदेश सरकार एक ऐसा क़ानून बनाने की सोच रही है जिसमें किसी भी निजी विश्वविद्यालय में अगर कोई ‘राष्ट्र-विरोधी गतिविधि’ होती पाई गई तो ऐसे विवि की मान्यता रद्द हो सकती है। इसका क्या है मक़सद?
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या दिल्ली में आम आदमी पार्टी ख़त्म हो जायेगी? लेकिन एक सर्वे में वह बात निकलकर आई है जो चौंकाने वाली है।
नतीजों को देखकर लगता है कि बीजेपी को हटाने का दम विपक्ष में नहीं है। विपक्ष को ख़ुद को बदलने की ज़रूरत है। और अगर वे नहीं बदलते हैं तो फिर उनके लिए हालात बहुत मुश्किल होंगे।
अगर आर्थिक मोर्चे पर सरकार के नाकाम रहने के बाद भी चुनाव नतीजे एग्ज़िट पोल के मुताबिक़ आते हैं तो समझना चाहिए कि देश नरेंद्र मोदी नाम के एक जादूगर के इशारे पर नाचता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 साल में पहली प्रेस कॉन्फ़्रेंस की लेकिन उसमें भी उन्होंने एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। इसे लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। देखिये वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष क्या पूछते सवाल।
उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति व जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने के कर्नाटक सरकार के फ़ैसले को हरी झंडी दे दी है। देखिए, कोर्ट के फ़ैसले पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष की प्रोफ़ेसर विवेक कुमार के साथ चर्चा।
पाँच चरण का मतदान पूरा हो चुका है और अब दो चरण बाक़ी है। क्या मोदी फिर बनेंगे प्रधानमंत्री? देखिये वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ, रवि आंबेकर और आशुतोष की चर्चा।
अब क्यों नहीं कहते मोदी जी, अच्छे दिन आयेंगे? क्या इसलीये कि रोज़गार, अर्थव्यवस्था और कृषि की हालत ख़राब है? देखिये क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।
यौन उत्पीड़न के मामले में जाँच कमेटी के रवैये से क्या सुप्रीम कोर्ट का सम्मान बचा? क्या मुख्य न्यायाधीश के आचरण को लेकर संदेह के बादल छंटे और क्या उस महिला के साथ न्याय हुआ?