पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।
अनुच्छेद 370 में बदलाव के तीन हफ़्ते बाद भी जम्मू-कश्मीर में फ़ोन लाइन, इंटरनेट बंद हैं। आवाजाही बाधित है। सरकारी कार्यालय और कुछ स्कूल खुले हैं, लेकिन उपस्थिति न के बराबर है? इसे क्या हालात सामान्य कहेंगे? देखिए 'आशुतोष की बात' में स्वतंत्र रूप से कश्मीर पर विचार रखने वाले सलमान निज़ामी के साथ चर्चा।
नरेंद्र मोदी का ‘दानवीकरण’ पर कांग्रेस में हलचल क्यों है? क्या कांग्रेस मोदी की बुराई कर चुनाव में हार गई। जयराम रमेश, अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि मोदी का 'दानवीकरण' करना भारी पड़ा। क्या दोनों नेताओं के निशाने पर राहुल गाँधी हैं। देखिए आशुतोष की बात में पूरा विश्लेषण।
चिदंबरम के ख़िलाफ़ कार्रवाई पर कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया है कि सीबीआई और ईडी की यह कार्रवाई राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। कई विपक्षी नेताओं पर भी कार्रवाई हुई तो ऐसे ही आरोप लगाए गए। देखिए 'आशुतोष की बात' में वरिष्ठ पत्रकार शैलेष के साथ चर्चा।
पी. चिदंबरम की गिरफ़्तारी से क्या बच पाएँगे? दिल्ली हाई कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली। सीबीआई टीम उनके घर पर पहुँच गई लेकिन चिदंबरम वहाँ नहीं मिले। अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। लेकिन क्या उन्हें वहाँ राहत मिलेगी? देखिए 'आशुतोष की बात' में क्या होगा आगे?
कश्मीर के हालात लगातार चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। सरकार के प्रयास के बावजूद स्थिति क्यों नहीं सुधर रही है? क्या पाकिस्तान और आतंकवाद इसके आड़े आ रहे हैं? देखिए 'सत्य हिंदी' पर 'आशुतोष की बात' में क्या हैं सरकार के सामने चुनौतियाँ।
रवीश कुमार कहते हैं कि एक समय उनके पास पैसे नहीं थे। वह काम की तलाश में थे। लेकिन जब एनडीडीवी में नौकरी मिली तो रवीश कुमार घबरा गए थे। वह तब क्यों घबरा गए थे? देखिए आशुतोष और शीतल पी सिंह की रवीश कुमार के साथ बातचीत का अंश। सत्य हिंदी पर।
अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद कश्मीर में कब होगी पूरी तरह शांति बहाल, क्या संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर चर्चा से इस मुद्दे का हुआ अंतरराष्ट्रीयकरण और सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं दे रहा है इस मुद्दे पर दख़ल, इन मुद्दों पर देखिए सत्य हिंदी के लिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष की पड़ताल।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद कैसी है स्थिति? क्या स्थित सुधरी है या और बिगड़ी है? ईद पर लोगों ने क्या सच में ख़ुशियाँ मनाईं? देखिए 'सत्य हिंदी' के लिए 'आशुतोष की बात' में स्वतंत्र रूप से कश्मीर पर विचार रखने वाले सलमान निज़ामी के साथ चर्चा।
क्या अब्दुल्ला और मुफ़्ती परिवार ही ज़िम्मेदार हैं? राजा हरि सिंह ने 15 अगस्त 1947 के पहले कश्मीर का भारत में विलय क्यों नहीं किया, स्वायत्तता की माँग क्यों की? दूसरे पक्ष को क्यों नहीं देखा जा रहा है?
रवीश कुमार कहते हैं कि जब उन्हें पहली बार रिपोर्टिंग की ज़िम्मेदारी दी गई तो वह डर गए थे। रिपोर्टिंग से क्यों डर लगता था उन्हें? लेकिन जिस चीज़ से डरते थे उसी को ताक़त बना कर वह रवीश कुमार बन गए।
अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद यह आशंका जतायी जा रही है कि पाकिस्तान घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने की बड़ी साज़िश रच सकता है। पाकिस्तान बुरी तरह से छटपटा रहा है लेकिन क्या वह ऐसा करने में सक्षम है?
आशुतोष कैसे याद करते हैं सुषमा स्वराज की राजनीति को? वह क्यों सवाल पूछते हैं कि क्या उन्हें प्रधानमंत्री नहीं होना चाहिए था? देखिए आशुतोष से साथ इन्हीं सवालों के जवाब।
क्या जम्मू-कश्मीर के दो हिस्से करने से कश्मीर समस्या का समाधान हो जायेगा? क्या कश्मीर में आतंकवाद ख़त्म हो जायेगा? क्या आतंकवादी हिंसा पूरी तरह से दब जायेगी? पढ़िए, चार साल पहले आशुतोष ने क्या लिखा था।
अनुच्छेद 370 को ख़त्म होने की प्रक्रिया जल्द ही पूरी होने की संभावना है और जम्मू-कश्मीर दो हिस्सों में बाँट दिया गया है। लेकिन अमित शान ने जो दावा किया है कि इससे आतंकवाद ख़त्म हो जाएगा, क्या वास्तव में ऐसा हो पाएगा? देखिए सत्य हिंदी के लिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार शैलेश के साथ बातचीत।
पत्रकार रवीश कुमार रेमन मैगसेसे पुरस्कार के विजेता हैं। एक समय पैसे नहीं थे तो चिट्ठी छाँटने का काम शुरू किया था। वही चिट्ठी छाँटने वाले रवीश कैसे बन गए मैगसेसे विजेता? जानिए, रवीश कुमार के ऐसे ही अनछुए पहलुओं को। देखिए सत्य हिंदी पर रवीश कुमार के साथ आशुतोष और शीतल पी सिंह की विशेष बातचीत।
बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक तो अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। और दूसरे, जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बाँट दिया है। यह ऐतिहासिक फ़ैसला है या ऐतिहासिक भूल? देखिए सत्य हिंदी के लिए आशुतोष की बात में क्या होगा असर।
अनुच्छेद 370 में मिले अधिकारों के तहत राष्ट्रपति ने इस अनुच्छेद के खंड एक को छोड़कर बाक़ी प्रावधानों को ख़त्म किया है। यानी एक खंड अभी भी है। ऐसे में अनुच्छेद 370 ख़त्म कैसे हुआ? क्या यह सिर्फ़ शुरुआत भर नहीं है? क्या है वास्तविक स्थिति? आशुतोष की बात में देखिए शैलेश और आशुतोष की चर्चा।
एनडीटीवी इंडिया के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार को वर्ष 2019 के रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। रवीश की पत्रकारिता एंटी-इस्टैबलिशमेंट रही है।
देश के आर्थिक स्वास्थ्य की स्थिति बताने वाले हर इंडिकेटर्स नीचे की ओर जा रहे हैं। बेरोज़गारी रिकॉर्ड स्तर पर है। लोगों के पास ख़रीदने की क्षमता कम हो गई है। ऐसे में अर्थव्यवस्था कैसे संभलेगी? सत्य हिंदी के लिए देखिए आशुतोष की बात।
क्या देश में हर चीज धर्म के नाम पर तय होगा? क्या हर चीज को धार्मिक चश्मे से देखा जाएगा? खाने में भी धर्म क्यों ढूँढा जा रहा है? क्या हम 'तालिबान' बनने के रास्ते पर हैं। अमित शुक्ला के साथ इतने लोग खड़े क्यों हैं? देखिए आशुतोष की बात में क्यों है हंगामा।
तील तलाक़ पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान 10 विपक्षी दलों के 30 सांसद मौजूद क्यों नहीं थे? फिर ये पार्टियाँ तीन तलाक़ का विरोध क्यों करती रहीं? क्या यह मुसलमानों के साथ विश्वासघात नहीं है? देखिए 'आशुतोष की बात' में इन नेताओं ने ऐसा क्यों किया।
टीपू सुल्तान पर हंगामा क्यों? बीजेपी को अब टीपू से नफ़रत क्यों? क्या यह राजनीति का हिस्सा है? यदि ऐसा नहीं है तो बीजेपी के नेता टीपू की पगड़ी में क्यों नज़र आते रहे हैं? स्मारक क्यों बनवाए? देखिए 'आशुतोष की बात' में हक़ीकत।
उन्नाव बलात्कार के आरोपी कुलदीप सेंगर को बीजेपी से क्यों नहीं निकाला जा रहा है? पीड़िता का पूरा परिवार तबाह हो गया फिर भी प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी क्यों? देखिए 'आशुतोष की बात' में क्यों उठ रहे हैं ये सवाल।