पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।
नागरिकता क़ानून के विरोध के लिए शाहीन बाग़ देश से विदेश तक चर्चा क्यों है? देश भर में लोग सड़कों पर क्यों है? जिन लोगों ने जिस सरकार को प्रचंड बहुमत दिया था उसी के ख़िलाफ़ लोग क्यों हैं? सत्य नडेला क्यों बोल रहे हैं। तीस हज़ारी कोर्ट ने विरोध के अधिकार और संसद में चर्चा को लेकर क्यों टिप्पणी क्यों की? देखिए आशुतोष की बात।
'मोदी का विरोध किया तो ज़िंदा गाड़ दूँगा'। 'असम और यूपी में हमारी सरकार ने कुत्ते की तरह गोली मारी'। ऐसे ही बयान हर रोज़ बीजेपी नेताओं के आ रहे हैं? क्या ऐसी भाषा कोई नेता बोल सकता है? वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या बीजेपी नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन से तिलमिला गई है?
जेएनयू में हुई हिंसा की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। सुनिए, जेएनयू हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की कार्यशैली को लेकर क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।
क्या हिंसा करने वालों के विरोध में खड़ा होना देशद्रोह है? यदि दीपिका पादुकोण हिंसा के विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने जेएनयू चली गईं तो इसमें क्या देश विरोधी हो गया? हिंसा की तो सभी ने निंदा की थी, फिर दीपिका की फ़िल्म 'छपाक' को बायकॉट करने और देशद्रोही बताने वाले लोग कौन हैं? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
दिल्ली के चुनाव में आम आदमी पार्टी का क्या होगा? इसका नतीजा तीन चीजों से तय होगा। लेकिन वे तीन चीजें क्या हैं? क्या चीजें सही नहीं चलीं तो क्या मोदी की जीत होगी? और यदि ऐसा हुआ तो कितनी बड़ी जीत होगी? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
जेएनयू हिंसा पर पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में क्यों है? क्यों पुलिस का बयान बार-बार बदल रहा है? पुलिस की एफ़आईआर में है कि लिखित में पुलिस को जेएनयू कैंपस में घुसने के लिए 3:45 बजे ही अनुमति मिल गई थी, फिर वह हिंसा को रोक क्यों नहीं पायी? पुलिस की एफ़आईआर और पुलिस के बयान में अंतर्विरोध क्यों है? क्या पुलिस झूठ बोल रही है? देखिए आशुतोष की बात।
जेएनयू में हिंसा हुई। दर्जनों नकाबपोशों द्वारा। तेज़ाब, लाठी, लोहे की रॉड के साथ होस्टल में घुस कर निहत्थे छात्रों और अध्यापकों पर हमला किया गया। तीन घंटे तक। क्या विश्वविद्यालय प्रशासन, पुलिस, केन्द्रीय सरकार की शह के बिना यह संभव है? क्या इस हिंसा के लिए साज़िश रची गई। देखिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष और शीतल पी सिंह की चर्चा।
पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर कुछ मुसलिम कट्टरपंथियों के हमले और उसे अपवित्र करने की वारदात से पता चलता है कि धर्म और राजनीति के घालमेल के क्या ख़तरे हैं। सत्य हिन्दी के विशेष कार्यक्रम 'आशुतोष की बात' में देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
नागरिकता क़ानून और एनआरसी की वजह से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नुक़सान पहुँचा है। भारत की पहचान क्या रही है? शांति के मार्ग पर चलने वाला देश है, उन्माद में विश्वास रखने वाला नहीं। विविधता वाला और धर्मनिरपेक्ष देश है। भारत का लोकतंत्र प्रेरणा स्रोत रहा है। लेकिन अब इस छवि को नुक़सान पहुँचा है। किसके कारण यह नुक़सान हुआ है? देखिए आशुतोष की बात।
क्या हिंसा उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही है? अंग्रेज़ी अख़बार 'टीओआई' के चार ऐसे वीडियो में दावा किया गया है कि पुलिस पत्थरबाज़ी करवा रही है, दुकान पर हमला करवा रही है! पुलिस के सामने पत्थर फेंकने वाले लोग कौन थे? पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे क्यों तोड़े? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
क्या 2019 में भारत हिंदू राष्ट्र बनने की दिशा में कुछ क़दम आगे बढ़ा है और क्या संवैधानिक संस्थाओं ने घुटने टेक दिए हैं। 2019 में राजनीति में क्या-क्या अहम घटनाक्रम हुए, इस पर सुनिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष, उर्मिलेश और विजय त्रिवेदी की बातचीत।
नागरिकता क़ानून के विरोध पर पुलिस की 'बर्बर कार्रवाई' पर प्रियंका गाँधी का सवाल उठाना क्या ग़लत है? क्या पुलिस बर्बरता के सवाल से प्रियंका मुख्यमंत्री को घेर रही हैं? क्या प्रियंका योगी आदित्यनाथ को चुनौती पेश कर पाएँगी? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार शैलेश और शीतल पी सिंह के साथ चर्चा।
मुसलमानों के ख़िलाफ़ अजीबोग़रीब बयान क्यों? बीजेपी के किसी नेता ने विरोध-प्रदर्शन में मारे गए मुसलमानों के बारे में उपद्रवी तो किसी ने देशद्रोही क्यों कहा? क्या प्रदर्शन करने वाले सभी उपद्रवी थे? देखिए आशुतोष की बात।
अमित शाह ने एक इंटरव्यू में एनपीआर और एनआरसी पर सफ़ाई दी और कहा कि दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है। तो पहले उनकी पार्टी क्यों संबंध बताती रही थी? क्या शाह झूठ नहीं बोल रहे हैं? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
झारखंड के चुनावी नतीजे क्या कहते हैं? यदि चुनावी प्रचार का नेतृत्व प्रधानमंत्री ने किया और पूरे चुनाव में हिंदुत्व एजेंडे पर चला गया तो फिर इस नतीजे के लिए ज़िम्मेदार कौन? देखिए आशुतोष की बात।
तो क्या नागरिकता क़ानून और एनआरसी मोदी-शाह के काम नहीं आया? क्या झारखंड की जनता ने बीजेपी की राष्ट्रवाद-हिंदुत्व की नीति को नकार दिया है? क्या आर्थिक मसले चुनावों में ज़्यादा हावी हो रहे हैं? क्या बीजेपी के नेताओं का अहंकार ले डूबा?
नागरिकता क़ानून को लेकर चल रहे जोरदार विरोध के अलावा अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी हालात ठीक नहीं हैं। लोगों में ग़ुस्सा है और नरेंद्र मोदी को इसे समझने की ज़रूरत है।
उत्तर प्रदेश में हिंसा थम नहीं रही है, शुक्रवार को भी छह लोग मारे गए हैं। क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान से भड़क गए लोग? आख़िर सरकार स्थिति पर नियंत्रण पाने में सरकार क्यों नाकाम हो रही है। सत्य हिन्दी के ख़ास कार्यक्रम 'आशुतोष की बात' में देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
नागरिकता क़ानून पर विरोध-प्रदर्शन ने जो देशव्यापी रूप ले लिया है उसका क्या संकेत है? क्या लोगों का ग़ुस्से को सरकार झेल पाएगी? विपक्ष सक्रिय होता दिख रहा है, इसका क्या असर होगा? देखिए आशुतोष की बात।
क्या मोदी सरकार भारत देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की तैयारी मैं है? इस सवाल से कुछ लोग चौंकेंगे, कुछ ख़ुश होंगे तो कुछ निराश। यह एक सवाल है जिसका इंतज़ार लंबे समय से संघ परिवार कर रहा था।
नागरिकता संशोधन क़ानून को लागू करने से विरोध विपक्षी दलों की राज्य सरकारें इनकार कर रही हैं। ऐसे में क्या मोदी सरकार उन राज्य सरकारों को भंग कर देगी? क्या वह इतना बड़ा क़दम उठाकर इस क़ानून को लागू करा पाएगी? देखिए आशुतोष की बात।
नागरिकता क़ानून पर विरोधियों का ग़ुस्सा तो समझ में आता है, लेकिन मोदी समर्थक ही क्यों सवाल उठाने लगे हैं? क्या लगातार प्रदर्शन से समर्थक भी हिल गए हैं? अब सरकार के सामने क्या है विकल्प? देखिए आशुतोष की बात।