पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।
नागरिकता क़ानून से लेकर भीमा कोरेगाँव मामले पर उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच मतभेद कितना बड़ा है? यदि दोनों पक्षों में सब ठीक है तो गठबंध सरकार बनने के बाद से ही इस पर बयानबाज़ी क्यों तेज़ हो रही है? कहीं सरकार गिरेगी तो नहीं? यदि ऐसा हुआ तो क्या शिवसेना फिर बीजेपी के साथ सरकार बनाएगी? देखिए आशुतोष की बात।
क्या जामिया मिल्लिया इसलामिया में पुलिस कार्रवाई के 'झूठ' के पोल खुल रहे हैं? पुलिस ने किस आधार पर दावा किया था कि वह लाइब्रेरी में नहीं घुसी थी? अब जो एक के बाद एक वीडियो आ रहे हैं उसमें पुलिस के दावे ग़लत साबित नहीं होते? वीडियो में सीसीटीवी कैमरे और दूसरी चीजों में तोड़फोड़ करते दिखे पुलिसकर्मी की आख़िर क्या कहानी है? देखिए आशुतोष की बात।
“इसलाम ख़तरे में है” की तर्ज़ पर आरएसएस और बीजेपी ने “हिंदू धर्म ख़तरे में है” का नारा लगाना और इस की आड़ में चुनाव जीतने के लिए हिंदुओं के एक बड़े तबक़े को बरगलाना शुरू कर दिया है।
बीजेपी तो ज़ाहिर तौर पर ख़ुद को राम के नाम पर वोट माँगती रही है, लेकिन दूसरी तरफ़ केजरीवाल ने भी आप को हिंदू पार्टी के तौर पेश कर दिया। क्या केजरीवाल का हनुमान चालीसा पाठ सोची-समझी रणनीति नहीं थी? तो क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक बड़ा सवाल खड़ा नहीं हुआ है कि असली हिंदू पार्टी कौन है? बीजेपी या आम आदमी पार्टी? देखिए आशुतोष की बात।
अमित शाह ने कहा है कि बीजेपी नेताओं के नफ़रत वाले बयान के कारण दिल्ली चुनाव में नुक़सान हुआ होगा। तो नफ़रत वाले बयान बीजेपी के नेता किसके इशारे पर दे रहे थे? ख़ुद अमित शाह ने क्यों कहा था कि बटन ऐसा दबाना जिससे शाहीन बाग़ को करंट लगे? अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और योगी जैसे नेता क्यों नफ़रत वाले दे रहे थे? देखिए आशुतोष की बात।
आम आदमी पार्टी की धमाकेदार जीत के बाद अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। देश भर के नेता बधाइयाँ दे रहे हैं। केजरीवाल की राजनीतिक ताक़त बढ़ी है। क्या विपक्षी दलों में केजरीवाल सबसे ताक़तवर नेता हो गए हैं? क्या इन नेताओं में पीएम पद के उम्मीदवारों में केजरीवाल सबसे आगे होंगे? देखिए आशुतोष की बात।
दिल्ली के चुनाव ने यह साबित कर दिया है कि जो इतिहास से सबक़ नहीं लेते वे इतिहास को दोहराने के लिए अभिशप्त होते हैं। क्या आप और बीजेपी में यही फ़र्क है?
प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमति शाह सहित पूरी बीजेपी के जुटने के बावजूद आम आदमी पार्टी ने दिल्ली चुनाव में ज़बरदस्त शिकस्त दी। बीजेपी क्यों हार गयी? क्या केजरीवाल से निपटना मोदी के वश की बात नहीं? मोदी के लिए बड़ी चुनौती क्यों साबित हो रहे हैं केजरीवाल? क्या मोदी को डरना चाहिए? देखिए आशुतोष की बात।
कल जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आएँगे तो क्या एग़्जिट पोल ग़लत साबित हो जाएँगे? पहले भी कई बार एग़्जिट पोल ग़लत साबित हुए हैं। क्या मनोज तिवारी का 48 से ज़्यादा सीटें जीतने का दावा सच साबित होगा? क्या साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण, शाहीन बाग़ जैसे मुद्दे बीजेपी के लिए चल गए? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार शैलेश के साथ चर्चा।
एग्ज़िट पोल्स से लगता है कि 'आप' बड़ी जीत दर्ज करेगी। तो प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी बीजेपी की इतनी ख़राब हालत क्यों हो गई? ऐसी स्थिति के लिए क्या रहे वो दस कारण? क्या बीजेपी का 'राष्ट्रवाद' और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं चला? देखिए आशुतोष की बात।
प्रधानमंत्री मोदी ने किस आधार पर कहा कि भारत के बँटवारे के लिए नेहरू ज़िम्मेदार थे? क्या यह नेहरू के क़द को कम करने का बीजेपी का लगातार प्रयास का नतीजा नहीं है? क्या यह उसका नतीजा नहीं है जिसमें पटेल के क़द को बड़ा किया जाए? बँटवारे से सहमत होने की शुरुआत किसने की और इस मामले में नेहरू और पटेल की क्या स्थिति थी? देखिए आशुतोष की बात वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ के साथ चर्चा।
दिल्ली का चुनाव प्रधानमंत्री मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल क्यों बन गया है? और यदि यह लड़ाई मोदी और केजरीवाल के बीच में है तो फिर नतीजे कैसे आएँगे? कहीं 2015 की स्थिति तो नहीं बनेगी? 2014 में मोदी लहर के बावजूद केजरीवाल 2015 के दिल्ली चुनाव में 70 में से 67 सीटें कैसे ले आए थे? देखिए सत्य हिंदी पर आशुतोष की बात।
क्या केजरीवाल दोबारा मुख्यमंत्री बन पाएँगे या फिर चुनाव हार जाएँगे? कांग्रेस का खाता भी खुल पाएगा या नहीं? इससे भी बड़ा सवाल है कि अमित शाह की बीजेपी का क्या होगा? अमित शाह ने दिल्ली जैसे राज्य में जिस तरह से पूरी ताक़त झोंक दी है और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है, उसका नतीजा क्या होगा? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री और दिलबर गोठी की चर्चा।
अरविंद केजरीवाल हनुमान भक्त क्यों बन गए? वह हनुमान चालीसा क्यों पढ़ रहे हैं या इस पर ज़ोर दे रहे हैं? क्या वह देश की साम्प्रदायिक राजनीति में कूद कर साम्प्रदायिक हो रहे हैं या फिर वह बीजेपी के हिंदुत्व की काट में अपने आप को हिंदू नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं? देखिए सत्य हिंदी पर आशुतोष की बात।
दिल्ली के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी कूद पड़े हैं। प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा, क्या उससे यह नहीं पता चलता कि शाहीन बाग़ के नाम पर पिछले 10 दिन से नफ़रत फैलाने का खेल चल रहा है? प्रधानमंत्री अपने इस बयान से बीजेपी को जिताएँगे या हराएँगे? यदि हराएँगे तो उनके निशाने पर कौन है? देखिए आशुतोष की बात।
जामिया में शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर गोली किसने और क्यों चलाई? क्या यह नफ़रत की राजनीति का नतीजा नहीं है? केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दो दिन पहले ही चुनावी रैली में नारा लगवाया था "देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को"। एक के बाद एक दूसरे कई नेता भी ऐसी ही बयानबाज़ी करते रहे हैं। आख़िर क्यों ऐसी स्थिति आन पड़ी? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश और वीरेंद्र सेंगर के साथ चर्चा।
बीजेपी नेता केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के गंभीर आपत्तिजनक भाषणों पर चुनाव आयोग ने मामूली कार्रवाई क्यों की? उन्हें चुनाव अभियान से भी नहीं रोका, क्यों? देश संविधान के हिसाब से चलेगा या मनमानी तरीक़े से? संवैधानिक संस्थाएँ कमज़ोर क्यों हुईं? कौन हैं ज़िम्मेदार? देखिए आशुतोष की बात।
दिल्ली चुनाव में एक हफ़्ते का समय बाक़ी है। बीजेपी साम्प्रदायिक एजेंडे पर क्यों उतर आई है? शाहीन बाग़ को चुनावी मुद्दा क्यों बना रही है? बीजेपी नेता क्यों आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं? ऐसा क्यों हो रहा है? क्या केजरीवाल के विकास के चुनावी मुद्दे से बीजेपी का निपटना मुश्किल हो रहा है? देखिए आशुतोष की बात।
देश का केंद्रीय मंत्री क्या आम सभा में ऐसा नारा लगवा सकता है- देश के गद्दारों को... गोली मारो सालों को? क्या यह हत्या के लिए उकसाने वाला नारा नहीं है? केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह नारा बार-बार क्यों लगवाया? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
नागरिकता क़ानून, नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार में क्या संबंध हैं? क्या मोदी और नीतीश कुमार एक ही राह पर हैं? अपनी ही पार्टी के नेता प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के विरोध के बावजूद नीतीश कुमार नागरिकता क़ानून के पक्ष में क्यों खड़े दिखते हैं? क्या यह बिहार विधानसभा चुनाव के लिए है? क्या नीतीश मोदी के जाल में फँस गए हैं? देखिए आशुतोष की बात।
जेपी नड्डा के अध्यक्ष बनते ही क्या अब बीजेपी में अमित शाह युग ख़त्म हो गया है? क्या यह संभव है कि पीछे के दरवाज़े से पार्टी में सबकुछ अमित शाह तय करेंगे? या फिर जेपी नड्डा को अध्यक्ष बनाकर आरएसएस पार्टी को अपने एजेंडे पर चलाएगा? क्या बदलेगा इस पर देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री और विजय त्रिवेदी के साथ चर्चा।
नागरिकता क़ानून को लेकर सवाल यह है कि कोई कैसे साबित करेगा कि उसका धार्मिक उत्पीड़न हुआ है और सरकार कैसे इसका पता लगाएगी। सुनिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
अमेज़न और 'वाशिंगटन पोस्ट' के मालिक जेफ़ बेज़ो पर प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रियों के बयान से क्या 'वाशिंगटन पोस्ट' झुक जाएगा? क्या उसाे काबू किया जा सकता है?
हिंदुत्ववादी विचारधारा वाले योगी आदित्यनाथ विवादों में क्यों रहे हैं? मुसलिमों के ख़िलाफ़ अक्सर विवादित बयान क्यों देते रहे हैं? अब उन्होंने क्यों कहा कि मुसलमानों की आबादी 7-8 गुणा बढ़ी है? उन्होंने ऐसा किस आधार पर कहा? क्या यह साफ़ झूठ नहीं है? उन्होंने ऐसा क्यों कहा? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।