पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।
मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दिये हलफ़नामे में कहा है कि इस क़ानून को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कह सकती क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सरकार के द्वारा बनाये गये किसी भी क़ानून की न्यायिक समीक्षा कर सकता है। अगर सरकार ऐसा कहती है तो यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश होगी। सुनिए, क्या कहा वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने।
मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट में राज्यपाल केंद्र की कठपुतली की तरह काम करते दिखाई दे रहे हैं। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि कमलनाथ सरकार बच पायेगी या नहीं। बीजेपी और कांग्रेस सरकार बनाने-बचाने के खेल में व्यस्त हैं और लोकतांत्रिक परंपराओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सुनिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
क्या योगी सरकार अदालत का सम्मान नहीं कर रही है? सरकार होर्डिंग पर ऑर्डिनेंस क्यों ला रही है? योगी सरकार ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों की तसवीरों की होर्डिंग लगाई तो कोर्ट ने इसे हटाने को कहा। अब अदालत के आदेश पर ऑर्डिनेंस लाने का क्या मतलब है? क्या संविधान ख़तरे में है? देखिए आशुतोष की बात।
अमित शाह ने संसद में सफ़ाई क्यों दी कि एनपीआर पर लोगों को कोई डॉक्यूमेंट देने की ज़रूरत नहीं है? एनआरसी लागू करने के लिए दहाड़ने वाले अमित शाह ऐसा क्यों कह रहे हैं? क्या यह मोदी सरकार या ख़ुद प्रधानमंत्री के झुकने का संकेत नहीं है? देखिए आशुतोष की बात।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से पूरी दुनिया के शेयर बाज़ारों में हाहाकार मचा हुआ है। भारत के शेयर बाज़ार पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा है। गुरुवार को सेंसेक्स 2707 और निफ़्टी 809 अंक तक गिर गया। ऐसे समय में निवेशक को क्या करना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने बात की सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी से।
मध्य प्रदेश में तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने के लिये मजबूर किया। क्या इस पूरे घटनाक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भी भूमिका है। सुनिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष और मुकेश कुमार की बातचीत।
यस बैंक डूब गया। हालाँकि पैसे मिलने की पूरी उम्मीद है, लेकिन मिलने में देरी होगी। पर सवाल है कि ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या किया जाए? दूसरे बैंक में भी खाता रखने वाले लोगों को करना चाहिए? देखिए आशुतोष की बात में सीएनबीसी आवाज़ के संपादक रहे और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी की सलाह।
यस बैंक दिवालिया हो चुका है। बैंक की ऐसी हालत क्यों हुई? क्या ख़राब अर्थव्यवस्था इसकी वजह है? क्या बैंक का मिसमैनेजमेंट है? इतनी गड़बड़ी के बाद खाताधारकों के पास क्या रास्ते बचे हैं? देखिए आशुतोष की बात में सीएनबीसी आवाज़ के संपादक रहे और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी के साथ चर्चा।
दिल्ली हिंसा से भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कितनी ख़राब हुई है? भारत का दोस्त रहा ईरान सख्त लहजे में क्यों बात कर रहा है? ईरान के सुप्रीम लीडर ने भारत में 'मुसलिम नरसंहार' शब्द का ज़िक्र तक क्यों कर दिया? क्या मुसलिम देशों से भारत अलग-थलग हो जाएगा? देखिए आशुतोष की बात।
दिल्ली दंगे पर अपनी रिपोर्ट में अल्पसंख्यक आयोग ने क्यों कहा है कि ये दंगे एकतरफा और पूर्व नियोजित थे? किस आधार पर यह दावा किया गया है? दंगे के बाद की जो स्थिति थी और नुकसान हुआ था, वे क्या इशारा करते हैं? दूसरी रिपोर्टें क्या कहती हैं? सत्य हिंदी पर देखिए 'आशुतोष की बात' में विशेष रिपोर्ट।
क्या दिल्ली का दंगा किसी राजनीतिक प्रयोग का नतीजा था? क्या यह प्रयोग सफल रहा? क्या यह प्रयोग दूसरे जगहों पर भी दुहराया जाएगा? ये सवाल पूरे देश को मथ रहे हैं।
दिल्ली दंगे ने क्या दिया? तबाही और घाव के अलावा? क्या वे घाव भर पाएँगे? दंगे के बाद के हालात क्या संदेश देते हैं, क्या वह भरोसा कायम हो पाएगा जिस पर भारत की नींव टिकी रही है? क्या सरकारें किसी धर्म विशेष के साथ नज़र आ सकती हैं? क्या वह हमले भी करवा सकती है? पुलिस की भूमिका क्या रही है? केजरीवाल सरकार की भी ज़िम्मेदारी है कि नहीं है? देखिए आशुतोष की बात में प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद के साथ विशेष चर्चा।
दिल्ली हिंसा को लेकर क्या सु्प्रीम कोर्ट पर किसी तरह का दबाव है? आख़िर कोर्ट ने क्यों कहा कि अदालत इतना दबाव नहीं झेल सकती है? क्या दिल्ली हिंसा को लेकर भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं पर कार्रवाई करने का दबाव है? देखिए सत्य हिंदी पर आशुतोष की बात।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने पाया था कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने देश तोड़ने वाले नारे नहीं लगाये थे। तो फिर अब केजरीवाल ने कन्हैया के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की इज़ाजत क्यों दे दी? सुनिये, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
दिल्ली में हुए दंगों में मरने वालों और घायलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दंगों के बाद यह बात साफ़ दिखती है कि दोनों समुदायों के मन में जो टकराव है वह गहरा हो चुका है और दोनों ही ख़ुद को इस बात के लिये तैयार कर रहे हैं कि अगर भविष्य में उन पर कहीं हमले हों तो, वे मुक़ाबले के लिये तैयार रहें। इसके अलावा ऐसा लगता है कि दंगाइयों को ट्रेनिंग दी गई है। दिल्ली दंगों को लेकर सुनिये क्या कहा वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने।
दिल्ली में दंगों के दौरान दंगाई खुलकर अपने काम को अंजाम देते रहे। दंगों में कई लोगों की मौत हो गई, घरों-दुकानों-गाड़ियों में आग लगा दी गई। दंगों के लिये कौन जिम्मेदार है, इस पर सरकार व प्रशासन पूरी तरह चुप है।
नागरिकता क़ानून के विरोध में दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान पुलिस की भूमिका पर ढेरों सवाल खड़े हुए हैं। तीन दिन तक दिल्ली के जलने के बाद पुलिस होश में आई। सवाल यह है कि क्या पुलिस किसी दबाव में थी।
नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हो रही हिंसा के कारण दिल्ली में 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 150 से ज़्यादा लोग घायल हैं। जब दिल्ली में हिंसा हो रही थी तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अहमदाबाद में क्या कर रहे थे। उन्होंने फौरन दिल्ली आकर हालात को संभालने की कोशिश क्यों नहीं की। अगर वह ऐसा करते तो हिंसा रुक सकती थी। सुनिये, क्या कहा वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने।
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में क्या दिल्ली में हुई हिंसा सोची-समझी साज़िश थी और बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी। आख़िर उसने हिंसा फैलाने वालों को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की। सुनिए, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।
डोनाल्ड ट्रंप का भव्य स्वागत क्यों? क्या ट्रंप अपने चुनावी प्रचार के लिए आ रहे हैं या फिर भारत में उनको बड़ा बाज़ार दिखता है? कहीं चीन के ख़िलाफ़ भारत को खड़ा करने की एक रणनीति तो नहीं है? क्या हो अगर व्यापार सौदे हो ही नहीं या फिर सौदे अमेरिका अपने पक्ष में करा ले? इन्हीं सवालों पर देखिए आशुतोष की बात में इस विषय के जानकार प्रमोद मल्लिक के साथ चर्चा।
अरविंद केजरीवाल अचानक हनुमान भक्त क्यों हो गया? अब आप के नेता एक क़दम आगे बढ़ कर क्यों कह रहे हैं कि दिल्ली में सुंदर कांड का पाठ करेंगे और अयोध्या में हनुमान मंदिर बनना चाहिए? क्या आप ने बीजेपी के हिंदुत्व की काट के लिए बीजेपी की अयोध्या में ही दो-दो हाथ करने की ठान ली है? ऐसा क्यों? देखिए आशुतोष की बात में वरिष्ठ पत्रकार शैलेश के साथ चर्चा।
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे शाहीन बाग के लोगों और सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थों के बीच बातचीत का क्या नतीजा निकलेगा? क्या शाहीन बाग़ का धरना ख़त्म होगा? यदि यह ख़त्म भी हो गया ता देश के दूसरे हिस्सों में चल रहे प्रदर्शनों का क्या होगा? देखिए आशुतोष की बात?
इन दिनों राजस्थान और मध्य प्रदेश के कांग्रेसियों में होड़ मची है कि कैसे वे प्रियंका गाँधी को राज्यसभा में भेजें। लेकिन अभी तक उन्होंने पार्टी के लिए कौन-सा ऐसा काम किया है कि वह राज्यसभा की शोभा बढ़ाएँ?
ख़ुद को सबसे बड़ा राष्ट्रवादी बताने वाली मोदी सरकार के लिए डोनल्ड ट्रंप की यात्रा क्या देश के सम्मान से ऊपर है? ट्रंप को दिखाने के लिए झुग्गी-झोपड़ियों के पास दीवार बनाकर ग़रीबी को छुपा क्यों रही है? झुग्गी-झोपड़ियों को हटाया क्यों गया? इसके बाद भी ट्रंप भारत पर क्यों आरोप लगा रहे हैं? और क्या-क्या किया गया और क्यों, देखिए आशुतोष की बात।