आनंद तेलतुमडे फिर से आज़ाद हैं। ऐसे लोगों का आज़ाद रहना हमारी आज़ादी के लिए अनिवार्य है। वह इसलिए कि आधुनिक समय जनतंत्र का है जिसकी बुनियाद विचार की आज़ादी है।
जॉर्ज समाजवादी नेता थे लेकिन उन्होंने और उनके साथियों ने सत्ता में बने रहने के लिए संघ, बीजेपी से भी हाथ मिला लिया और धर्मनिरपेक्षता के साथ समझौता कर लिया।
कब धैर्य रखना चाहिए और कब नहीं, यह सवाल बार-बार उठा है और बहुसंख्यकवाद के दौर में ज़्यादम अहम है। महात्मा गाँधी ने इस मुद्दे पर अपने बड़े बेटे से क्या कहा था?
देश में ऐसा क्या हो गया है कि लोगों ख़तरा महसूस होने लगा है? क्या स्थितियाँ इतनी ख़राब हो गई हैं कि सचमुच लगने लगा है जैसे हम इस देश में और रह नहीं सकते?