हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई उसने रिपोर्ट दे दी है। कहा है कि अडानी के खिलाफ शेयर बाज़ार में धांधली के कोई सबूत नहीं मिले हैं? लेकिन क्या यह रिपोर्ट क्लीन चिट है? इसके बाद सेबी की जांच में कुछ और निकलेगा? क्या यह राजनीति कर रहे विपक्षी दलों के मुंह पर तमाचा है? या मोदी सरकार को बड़ा सहारा? आलोक जोशी के साथ राजीव रंजन सिंह और हर्षवर्धन त्रिपाठी
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अडानी मामले पर रिपोर्ट के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया। लेकिन अदालत में सेबी ने जो कहा उसका मतलब क्या है? क्या सरकार ने संसद में झूठ बोला? या सरकार का बयान ही गलत पेश किया गया? यह अडानी के लिए खुशखबरी है या अभी फिक्र बाकी है? आलोक जोशी के साथ राजीव रंजन सिंह।
दुनिया के अमीर से अमीर देशों को भी इस वक्त भारत और चीन में संभावनाएँ क्यों दिख रही हैं? क्या वजह से कि इस मुसीबत के दौर में ये दो देश हैं जो तरक्की की दौड़ में आगे रहेंगे? लेकिन यह तरक्की टिकी रहेगी?
क्रेडिट स्विस बैंक का डूबना क्या भारत के लिए सिलिकॉन वैली बैंक के मुक़ाबले काफी बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है? जानिए, भारतीय बैंकों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
सिलिकॉन वैली बैंक के बाद अब न्यूयॉर्क से सिग्नेचर बैंक डूबने की खबर आई है। FDIC ने रविवार को इसके कारोबार पर रोक लगाने का एलान किया। इससे पहले शुक्रवार को सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने की खबर आई थी। यह अमेरिकी इतिहास के दूसरे और तीसरे बड़े बैंक संकट हैं। एक लाख से ज्यादा नौकरियां खतरे में हैं। लेकिन सवाल है कि क्या भारत के बैंकों, बैंकिंग कारोबार या किसी और कारोबार पर इस संकट की छाया पड़ सकती है?
जी 20 यानी 19 देशों और यूरोपीय संघ को मिलाकर बने इस संगठन के इतिहास में सत्रह साल बाद भारत को इसकी मेजबानी का मौका क्यों मिला। इतने साल आख़िर क्यों लग गए?
सेबी ने मारिया गोरेट्टी और अरशद वारसी पर बैन लगाया। पंप एंड डंप घोटाले में शामिल होने का आरोप। यू ट्यूब चैनलों पर भी रोक लगी। अरशद ने कहा वो तो खुद ही ठगे गए। क्या है यह घोटाला? कैसे होता है पंप ए़ंड डंप? आप कैसे बचें?
अडानी के शेयरों में लगातार दूसरे दिन तेज़ी। ऊपर के सर्किट भी दिखने लगे। क्या है इसकी वजह? गौतम अडानी की मुसीबत टल गई है? या चार दिन की चांदनी के बाद फिर अंधेरा दिख सकता है? आलोक जोशी के साथ राजीव रंजन सिंह।
भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार हुए दिल्ली के मंत्रियों सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया। क्या यह अंतरात्मा की आवाज़ है? मोदी सरकार का दबाव है? या अरविंद केजरीवाल कोई संकेत देना चाहते हैं? आलोक जोशी के साथ मनोज मिश्रा, विनोद अग्निहोत्री, सबा नक़वी, सतीश के सिंह और मुकेश कुमार सिंह
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का क्या मतलब है? क्या मनीष पर घोटाले का आरोप सही है? क्या इससे केजरीवाल सरकार संकट में आ गई है? आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा का क्या होगा? क्या आम आदमी पार्टी इस संकट से मजबूत होकर निकलेगी? आम आदमी पार्टी से जुड़कर अलग हुए आशुतोष से आलोक जोशी की बातचीत।
अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट को एक महीना हुआ है। समूह का मार्केट कैप गिरकर 7.36 लाख करोड़ रह गया है। लेकिन किसी सवाल का जवाब मिला क्या? आखिर कब थमेगी यह गिरावट? और गिरावट से आगे यह मामला कौन से बड़े सवाल खड़े करता है?
जोशीमठ में दरारें गहरा भी रही हैं और फैलती जा रही हैं। मकान धंस रहे हैं, सड़कें फट रही हैं। ऐसे में कैसे हो पाएगी बद्रीनाथ यात्रा? आलोक जोशी के साथ कर्णप्रयाग से जोशीमठ तक का हाल देख रहे पत्रकार हृदयेश जोशी और जोशीमठ के एक्टिविस्ट अतुल सती।
चुनाव आयोग ने शिंदे की शिवसेना को असली माना। सुप्रीम कोर्ट में कल उद्धव की याचिका पर सुनवाई होगी। क्या आयोग और अदालत में फैसला हो जाएगा? या अब शिवसेना के वोटरों को लुभाने की चुनौती है?
नवंबर और दिसंबर में महंगाई कम होती दिखी थी तो क्या मुसीबत टल गई है? जनवरी में फिर से महंगाई बढ़ने और रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के क्या मायने हैं?
छत्तीसगढ़ क्यों पहुंची ईडी की टीमें? कोयला दलाली की तह खुलेगी या कॉंग्रेस का रास्ता बंद होगा? कॉंग्रेस अधिवेशन से ठीक पहले इस छापेमारी का मतलब क्या है? आलोक जोशी के साथ नवभारत के संपादक राजेश जोशी, वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े, विनोद अग्निहोत्री और संजीव श्रीवास्तव।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी पर लगे आरोपों की जांच कौन करेगा? सुप्रीम कोर्ट ने बंद लिफाफे का मोदी सरकार का प्रस्ताव ठुकराया। कहा विशेषज्ञ समिति सरकार नहीं कोर्ट बनाएगा। अब क्या जांच होगी और कौन करेगा? क्या अडानी और एजेंसियों पर लगे आरोपों का सच सामने आएगा?
कॉंग्रेस ने बीजेपी आइटी सेल पर लगाए गंभीर आरोप। कहा चुनाव पर असर डालने के लिए इसराइली एजेंसी का इस्तेमाल हो रहा है। पूछा क्या इसके लिए भारतीयों की जानकारियां भी विदेश भेजी गईं? कैंब्रिज एनालिटिका और पेगासस के बाद डाटा चोरी और उसके दुरुपयोग का एक और गंभीर आरोप। क्या है इन आरोपों के पीछे?
शेयरों की गिरावट थामने के लिए अडानी समूह की कोशिशें तेज़। बॉंड निवेशकों का भी भरोसा जगाने की कोशिश। क्या हिंडनबर्ग का हौवा टल गया? बीबीसी पर इनकम टैक्स की कार्रवाई का अडानी कांड से क्या रिश्ता हो सकता है? आलोक जोशी के साथ राजीव रंजन सिंह।
बीबीसी के दफ्तरों पर इनकम टैक्स के छापे। बीबीसी पर टैक्स चोरी का आरोप। बीजेपी प्रवक्ताओँ ने बीबीसी पर आरोपों की झड़ी लगाई। क्या यह मोदी पर डॉक्यूमेंटरी का बदला है? या मोदी सरकार मीडिया को दबाने की कोशिश कर रही है? आलोक जोशी के साथ शिवकांत शर्मा, निधीश त्यागी, वेद जैन और राजीव रंजन सिंह।
सुप्रीम कोर्ट में अडानी कांड पर सरकार ने फिर एक बंद लिफाफे की पेशकश की है। मोदी सरकार को जांच से तो एतराज नहीं है, लेकिन जांच कैसे हो यह वो अदालत को बंद लिफाफे में बताएगी। कोर्ट ने शुक्रवार तक का वक्त दिया है। तो क्या अब सुप्रीम कोर्ट हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगे आरोपों पर जांच बैठा देगा? उधर अडानी के शेयरों में गिरावट थम नहीं रही है। कंपनी के भविष्य पर कैसे सवाल उठ रहे हैं?
मुश्किलों से घिरे अडानी समूह ने अमेरिका में कानूनी लड़ाई की तैयारी तेज़ की। क्या हिंडनबर्ग को सबक सिखा देगा अडानी समूह? या अमेरिका में कानूनी लड़ाई मुश्किल होगी? उधर शेयर बाज़ार में बुरी खबरों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं लेता।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा 2004 से 14 के बीच मौके गंवा दिए पिछली सरकार ने। दस साल बर्बाद हो गए। नौ साल सरकार चलाने के बाद पिछले दस साल का भूत क्यों जगा रहे हैं प्रधानमंत्री? क्या है अर्थव्यवस्था की असलियत? वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार टीसीए श्रीनिवास राघवन के साथ
अडानी के शेयरों में सुधार के आसार। लेकिन संसद में राहुल का मोदी सरकार पर ज़ोरदार हमला। क्या बाज़ार में अडानी की मुश्किलें खत्म हो गई हैं? और क्या अब अडानी कांड पर राजनीति तेज़ होगी? आलोक जोशी के साथ राजीव रंजन सिंह और राजनीतिक विश्लेषक।
अडानी कांड पर भारी हंगामे और दस लाख करोड़ से ज्यादा स्वाहा होने के बाद भी सेबी कहां है? सूत्रों से खबर आई है कि सेबी विदेशी निवेशकों की शिनाख्त कर रहा है। लेकिन ऐसा कैसे हो पाएगा? इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट राजीव रंजन सिंह के साथ आलोक जोशी
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट की ख़ास बातें क्या हैं? क्या यह चुनाव को लेकर कसरत भर है? जानिए, उद्योगपतियों और अमीरों और अन्य वर्गों के लिए क्या है इसमें।