शुक्रवार को बजट सत्र शुरू हो गया है और कल यानी शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। लेकिन क्या यह बजट आम लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरा पाएगा? हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही बीजेपी सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं, इससे कैसे पार पाएगी? देखिए वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी का विश्लेषण।
और सबको उम्मीद थी कि बजट आएगा और कमाल शुरू हो जाएगा। बजट आया लेकिन वैसा नहीं आया जैसी उम्मीद थी, तो जो अरमान लगाए बैठे थे उनके दिल टूट गए। अब क्या हालत सुधरेगी?
रतन टाटा का दाँव उलटा पड़ गया है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल या एनसीएलएटी (एनक्लैट) ने साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा संस का चेयरमैन बनाने का फ़ैसला सुना दिया है।
एक तरफ़ तो प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ़ लगातार ऊपर की तरफ़ ही चल रहा है। लेकिन दूसरी तरफ़ उनकी सरकार के लिए एक के बाद एक चुनौतियाँ खड़ी होती जा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों ने अपनी भूमिका से आगे बढ़कर वह ज़िम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले ली है जिसे पूरा करने में इस देश का राजनीतिक नेतृत्व लगातार नाकाम हुआ है।
सस्पेंस ख़त्म हो गया है। आख़िरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में एलान कर दिया कि भारत आरसीईपी के समझौते पर दस्तख़त नहीं करेगा। यानी दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक सहयोग समूह में भारत शामिल नहीं होगा।