कोरोना के क़हर के बीच अपने धन की सुरक्षा साथ मन की शांति भी बहुत ज़रूरी है! फ़्रैंकलिन के छह फंड बंद होने की खबर ने बहुतों की नींद उड़ा दी है। क्या अब सारे म्यूचुअल फंड ख़तरे में हैं? आपको क्या करना है? आलोक जोशी ने पूछा जाने माने फाइनेंशियल प्लानर और योगिक वेल्थ के लेखक गौरव मशरूवाला से।
इकोनॉमी बेहाल है, शेयर बाज़ार में भारी गिरावट के बीच कभी कभी उछाल है। म्यूचुअल फंड में भी पैसा सेफ़ है या नहीं? क्या करें क्या न करें? आलोक जोशी ने बात की #GirlWithABrokenNeck के नाम से मशहूर फंड मैनेजर और Edelweiss AMC की CEO राधिका गुप्ता से।
क्या अर्नब का सोनिया पर मनगढ़ंत आरोप लगाना सही है ? क्या धर्म विशेष के ख़िलाफ़ नफरत फैलाना पत्रकारिता है ? आशुतोष, आलोक जोशी, कुमार केतकर और हर्षवर्द्धन त्रिपाठी से चर्चा
शेयर बाज़ार में भारी गिरावट के बाद कभी उछाल दिखता है तो आप समझते हैं कि यही आख़िरी मौक़ा है। घबराकर बेचने, या खुश होकर ख़रीदने का। तो जाने माने इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट अजय बग्गा के साथ आलोक जोशी की यह बातचीत सुनिए और समझिए कि कैसे आप इस मौक़े का फ़ायदा उठा सकते हैं। ख़ासकर महिलाएँ ज़रूर देखें।
कच्चे तेल के बाज़ार में भारी गिरावट से हमें कितना ख़ुश होना चाहिए? अमेरिका में तेल का भाव ज़ीरो से कम हो गया, यानी बेचनेवाला तेल के साथ पैसे भी देने को तैयार। तो क्या भारत में पेट्रोल डीज़ल फ़्री मिलेगा? आलोक जोशी पूछ रहे हैं पेट्रोलियम और एनर्जी सेक्टर के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा से।
महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और एक ड्राइवर की मॉब लिंचिंग में पुलिस और प्रशासन की नाकामी साफ़ दिख रही है। वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश सिंह से बातचीत में देखिए इस कांड की सच्चाई और साथ में सोचिए कि ऐसे जघन्य अपराध पर भी राजनीति और भेदभाव का व्यापार करनेवालों को क्या कहा जाए?
सपनों का शहर न्यूयार्क इन दिनों ख़ौफ़ के साए में है। कोरोना का क़हर सबसे बुरी तरह यहीं टूट कर बरपा हुआ है। कैसे चल रही है न्यूयार्क में ज़िंदगी? और क्या ट्रंप को जान से ज़्यादा चुनाव प्यारा है? आलोक जोशी ने बात की न्यूयार्क और संयुक्त राष्ट्र पर नज़र रखनेवाली पत्रकार योशिता सिंह से।
कोरोना का क़हर, इकोनॉमी पर संकट और माहौल में नफ़रत और अविश्वास! ऐसे में अपने घरों में बंद होकर किया पढ़ सकते हैं। क्या लिखा जा सकता है? आलोक जोशी ने बात की तीन जाने माने लेखकों नवीन जोशी, वंदना राग और अशोक कुमार पांडेय के साथ।
मुरादाबाद में पत्थरबाज़ी का कोई बचाव या समर्थन नहीं हो सकता। लेकिन मरकज़, तबलीग और मुरादाबाद के नाम पर आम मुसलमान के खिलाफ नफ़रत फैला रहे लोगों का क्या इलाज है? आलोक अड्डा में चर्चा ताहिरा हसन, अकु श्रीवास्तव और आशुतोष के साथ।
गुड फ़्राइडे से ईस्टर संडे। यह लंबा वीकेंड इंग्लैंड में ख़ास होता है। बड़ा त्योहार भी, और बड़ी छुट्टी भी। लेकिन इस बार कोरोना के डर ने मज़ा ख़राब कर दिया है। चमकदार धूप तो खिली है, लेकिन लंदन शहर के लोग सहमे हुए हैं। आलोक अड्डा में लंदन से जुड़ी हैं ख़ास मेहमान इशलीन कौर।
कोई भी बीमारी लोगों की जाति, धर्म, रंग या नस्ल नहीं जानती, मगर वह कमज़ोरों पर सबसे ज़्यादा वार करती है। अमेरिका में इसीलिए काले लोग सबसे अधिक कोरोना वायरस से संक्रमित भी हो रहे हैं और मर भी रहे हैं। इसलिए नहीं कि उनका रंग काला है बल्कि इसके सामाजिक-आर्थिक कारण हैं। भारत में अगर कोरोना ज़्यादा फैला तो यही ट्रैंड देखने को मिलेगा।
जर्मनी ने कोरोना को कड़ी टक्कर दे रखी है। भारत से देखने पर लगता है कि अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन और इटली की तरह जर्मनी भी उन देशों में शामिल है जहाँ कोरोना ने भारी तबाही मचाई है। लेकिन जर्मनी में बसे हुए बालेंदु स्वामी से आलोक जोशी ने बात की तो उन्होंने बताया कि जर्मनी कैसे इस संकट से मुक़ाबला कर रहा है और भारत इससे क्या सीख सकता है!
क्या मोदी सरकार कोरोना से ठीक लड पा रही है? क्या ट्रंप ने अमेरिका को गहरे संकट मे झोंक दिया है? कैसी है ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की तबियत? और क्यों लोकतांत्रिक देश कोरोना से लड़ने में नाकाम हैं! तीन देश और चार शहरों से एक साथ देखें कोरोना पर चर्चा!
कोरोना का डर, लॉकडाउन की दिक़्क़त और अब भविष्य की आशंका। कितनी बड़ी है यह समस्या, किसपर कितना असर पड़ेगा? और इसके आगे का रास्ता क्या हो? आलोक जोशी ने बात की दिग्गज आर्थिक पत्रकार और बिज़नेस स्टैंडर्ड के संपादकीय निदेशक ए के भट्टाचार्य से।
लॉकडाउन यानी घरबंदी के दो हफ़्ते बीत चुके हैं और एक हफ़्ता बाक़ी है। लेकिन सवाल उठने लगे हैं कि क्या 14 अप्रैल के बाद यानी तय समय पर सरकार को यह लॉकडाउन ख़त्म कर देना चाहिए या इसे और बढ़ाना चाहिए। आलोक अड्डा में आज की चर्चा वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी और राजेंद्र तिवारी के साथ।
सेबी ने म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने या निकालने का कट ऑफ़ टाइम बदल दिया है। अब एक बजे तक आए रिडेंप्शन ऑर्डरों पर ही उस दिन के भाव पर पैसा निकल पाएगा। अभी तक यह समय इक्विटी फंड्स के लिए तीन बजे तक था। क्या फ़र्क़ पड़ेगा और आपको क्या करना चाहिए? सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी ने बात की ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फ़ाउंडर सीईओ पंकज मठपाल से।
कोरोना के क़हर से खड़बड़ा कर गिरे बाज़ार में अब तरह तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। यह मंदी कब ख़त्म होगी? इसका बुरा असर किस किस पर और कितना होगा? क्या पैसा लगा देना चाहिए? लगाएँ तो कहाँ? बाज़ार के दिग्गज, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य और कोटक म्यूचुअल फंड के एम डी और सीईओ नीलेश शाह के साथ आलोक जोशी की एक्सक्लूसिव बातचीत।
कोरोना का ख़तरा कितना भयावह है इसका नमूना देखना हो तो ब्रिटेन और अमेरिका का हाल देखिए। भारत सरकार ने वक़्त पर लॉकडाउन कर दिया है लेकिन अब भी बचने की ज़िम्मेदारी हमें ख़ुद ही उठानी होगी। लंदन से बीबीसी हिंदी के पूर्व संपादक शिवकांत शर्मा दुनिया भर का हाल बता रहे हैं और आलोक जोशी के साथ चर्चा में आगाह करते हैं कि इस बीमारी को फैलने से रोकना ही एक मात्र रास्ता है।
देश में लॉक डाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर जनता का आह्वान किया है। पाँच तारीख़ को रात नौ बजे नौ मिनट के लिए लाइट बंद और दिया, मोमबत्ती या जैसे चाहें रोशनी दिखाएं। आलोक अड्डा में एक ख़ास चर्चा वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी के साथ।
घर से निकलना ख़तरनाक है और उससे भी ख़तरनाक है किसी से हाथ मिलाना, गले मिलना और बेवजह बाहर घूमते रहना। मरकज़ निज़ामुद्दीन मामले के बाद एक बार फिर कोरोना विस्फोट का ख़तरा खड़ा हो गया है। सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी बता रहे हैं कि कोरोना से बचना क्यों ज़रूरी है और आप इसमें क्या कर सकते हैं।
ईएमआई भरने पर तीन महीने की छूट मिली और लोग खुश हो गये। लेकिन क्या आपने बारीकी से देखा कि यह छूट असल में छूट है ही नहीं। सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी बता रहे हैं कि कोई भी भुगतान करने या न करने का फ़ैसला अच्छी तरह सोच-विचारकर और हिसाब जोड़ने के बाद ही करें।