विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया है कि कोरोना वायरस जल्दी ख़त्म नहीं होगा और यह काफ़ी लंबे समय तक रहेगा। इसने चेताया है कि अधिकतर देश इस वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई के शुरुआती दौर में हैं और अभी पाबंदी में ढील देना कोई समाधान नहीं है। इसने साफ़ संकेत दिया है कि देश इस मामले में कोई ग़लती नहीं करें।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अधानोम ने कोरोना वायरस पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि वह पहले भी इस बारे में कह चुके हैं कि इस तथाकथित लॉकडाउन की पाबंदी में ढील देने पर फिर से विचार करें। उन्होंने कहा, 'मैं फिर से ज़ोर देकर कहना चाहता हूँ कि किसी भी देश में पाबंदी में ढील देने से यह महामारी ख़त्म नहीं हो जाएगी। इस महामारी को ख़त्म करने के लिए ज़रूरी होगा कि व्यक्तिगत, सामुदायिक और सरकार के तौर पर निरंतर प्रयास किया जाए...। यह तथाकथित लॉकडाउन वायरस को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, लेकिन सिर्फ़ यही इस वायरस को ख़त्म नहीं कर सकता है।'
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि पश्चिमी यूरोप के देशों में महामारी या तो स्थिर है या फिर कम होने लगी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अफ़्रीका, मध्य व दक्षिण अमेरिका और पूर्वी यूरोप में भले ही संख्या कम है, लेकिन मामले बढ़ रहे हैं और यह चिंता की बात है। अधानोम ने कहा कि अधिकतर देशों में यह महामारी अभी शुरुआती चरणों में है और कुछ देश जो शुरुआत में ज़्यादा प्रभावित थे वहाँ फिर से मामले बढ़ने लगे हैं। उन्होंने कहा, 'कोई ग़लती नहीं करें, हमें अभी लंबा सफर तय करना है। यह वायरस लंबे समय तक रहेगा।'
कथित रूप से सही समय पर फ़ैसला नहीं लेने के लिए आलोचनाएँ झेल रहे अधानोम ने इस बात पर ज़ोर दिया कि डब्ल्यूएचओ ने बिल्कुल सही समय पर 30 जनवरी को इसको वैश्विक महामारी घोषित किया ताकि इससे लड़ने के लिए देश अपनी तैयारी कर सकें। उनकी इस प्रतिक्रिया को अमेरिका के संदर्भ में देखा जा रहा है। अमेरिका महामारी से निपटने के तरीक़ों को लेकर डब्ल्यूएचओ की आलोचना करता रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप आरोप लगाते रहे हैं कि चीन ने कोरोना वायरस की जानकारी छुपाई और डब्ल्यूएचओ इसमें उसका साथ देता रहा। इस बीच ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को अमेरिका की ओर से दी जाने वाली फंडिंग भी रोक दी है। ट्रंप ने सीधे शब्दों में डब्ल्यूएचओ को चीन के प्रति पक्षपाती क़रार दिया था।
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