रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब की बुधवार को यात्रा की है। इस यात्रा को लेकर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के जानकार तरह-तरह की अटकले लगा रहे हैं। उनका मानना है कि रूसी नेता खाड़ी देशों के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी बढ़ा रहे हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब 2022 से ही पश्चिमी देशों द्वारा रूस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किनारे करने की लगातार कोशिश की जाती रही है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस यात्रा का जो सबसे बड़ा मकसद बताया जा रहा है वह यह कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वह दो प्रमुख तेल उत्पादक देश सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमिरात का समर्थन जुटाना चाहते हैं। ये ऐसे दो देश हैं जिसका झुकाव दशकों से अमेरिका की तरफ रहा है। वह तेल उत्पादन और कच्चे तेल की कीमतों पर नियंत्रण के लिए इन देशों का समर्थन चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात की एक छोटी यात्रा के बाद सऊदी अरब का एक दिवसीय दौरा किया।
पुतिन बुधवार को संयुक्त राष्ट्र COP28 जलवायु वार्ता की मेजबानी कर रहे संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी पहुंचे थे। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। जब वह अपने विमान की सीढ़ियों पर पहुंचे तब यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान उनके स्वागत में खड़े थे।
जैसे ही पुतिन इसके शासक मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मिलने अबू धाबी के कसर अल वतन महल पहुंचे वहां उनके सम्मान मं यूएई की एयर फोर्स के विमानों ने रूसी झंडे के रंगों वाले लाल, सफेद और नीला धुंआ छोड़ते हुए उड़ान भरी। उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई।
वे जिस सड़क से गुजर रहे थे उस पर रूस और अमीरात के झंडे खंभों पर लगाये गये थे। पुतिन का भव्य स्वागत रूस के साथ संयुक्त अरब अमीरात के मजबूत होते संबंधों को भी बता रहा था। यूएई का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार अमेरिका है इसके बावजूद रूस के साथ उसकी यह गर्मजोशी कई सवाल पैदा करती है।
यूएई पर रूस का कितना अधिक भरोसा है इसे इस बात से समझा जा सकता है कि पुतिन पर यूक्रेन युद्ध अपराध से जुड़े मामले में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय या आईसीसी ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखा है। इसके कारण पुतिन अब काफी संभल कर विदेश यात्रा करते हैं। गिरफ्तारी वारंट होने के बावजूद उन्होंने यूएई और सऊदी अरब की यात्रा की है। ये दोनों ऐसे देश हैं जिन्होंने अब तक आईसीसी की संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
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इजरायल-हमास जंग के कारण करीब आए
रूस जहां एक ओर पश्चिमी देशों द्वारा किए गये बहिष्कार और प्रतिबंधों को झेल रहा है जिसके कारण उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है। यूक्रेन युद्ध में वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाओं को झेल रहा है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस सस्ते में अपना कच्चा तेल बेचने पर मजबूर है। वह अरब देशों का समर्थन पाकर इनकी कीमतों को बढ़ाना चाहता है ताकि उसे अधिक मुनाफा हो। वह तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस का हिस्सा है। वह कूटनीतिक तरीकों से इस संगठन के सदस्य देशों का समर्थन हासिल करना चाहता है। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अपने दबदबे को वापस पाने की कोशिश में है।
वहीं दूसरी तरफ यूएई,सऊदी अरब समेत सभी अरब देश इजरायल-हमास जंग को न रोकवा पाने के कारण अमेरिका से अंदर ही अंदर नाराज चल रहे हैं। अरब देशों की लगातार कोशिशों के बावजूद भी इजरायल-हमास जंग अब तक खत्म नहीं हो पाई है। इनकी कोशिशों से चंद दिनों का युद्ध विराम हुआ भी था तो वह भी टिक नहीं पाया और फिर से जंग शुरु हो चुकी है।
इस युद्ध में 15 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इसके कारण अरब देशों की जनता में आक्रोश भी बढ़ रहा है। ऐसे में अरब देश अब मदद के लिए रूस,चीन और भारत का मुंह देख रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि ये ताकतवर देश उनकी मदद कर सकते हैं।
इसका फायदा उठा कर रूस अरब देशों से अपने संबंधों को बेहतर कर रहा है। रूस को लगता है कि अरब देशों की मदद से वह पश्चिमी देशों के लगाये गये प्रतिबंधों का असर कम कर सकता है जिससे उसे यूक्रेन युद्ध में मदद मिल सकती है। रूस और अरब देशों को करीब लाने में मौजूदा विश्व राजनैतिक परिस्थितियां मददगार साबित हो रही हैं।
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यूएई के शासक ने पुतिन को अपना प्रिय मित्र कहा
अलजजीरा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अबु धाबी में हुई इस मुलाकात में यूएई के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने पुतिन को अपना "प्रिय मित्र" कहा। उन्होंने पुतिन से हुई इस मुलाकात को लेकर एक बयान जारी कर कहा है कि स्थिरता और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए बातचीत और सहयोग को मजबूत करने के महत्व पर इसमें चर्चा हुई है।वहीं इस मुलाकात में पुतिन ने शेख मोहम्मद से कहा कि हमारे संबंध, काफी हद तक आपकी स्थिति के कारण, अभूतपूर्व रूप से उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। यूएई अरब दुनिया में रूस का मुख्य व्यापारिक भागीदार है।
अलजजीरा की रिपोर्ट कहती है कि इस बैठक के एजेंडे में तेल सहयोग और इज़राइल-हमास युद्ध के साथ मध्य पूर्व में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाने की रूस की भूमिका पर चर्चा हुई। रूस की सरकारी स्वामित्व वाली समाचार एजेंसी तास के अनुसार, दोनों नेताओं ने अन्य बातों के अलावा, ऊर्जा उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकियों में द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की गई।
इसके बाद पुतिन रियाद के लिए रवाना हो गए, जहां उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद से मुलाकात की है। अक्टूबर 2019 के बाद उनकी पहली बार क्राउन प्रिंस से आमने-सामने मुलाकात हुई है। पुतिन ने अपने निमंत्रण के लिए क्राउन प्रिंस को धन्यवाद दिया है और कहा है कि उनकी अगली बैठक मॉस्को में होनी चाहिए।
पुतिन ने कहा है कि हमारे मैत्रीपूर्ण संबंधों के विकास को कोई नहीं रोक सकता। अलजजीरा की रिपोर्ट कहती है कि गाजा पट्टी पर इजरायल की ओर से हो रही बमबारी को न रोक पाने को पुतिन संयुक्त राज्य अमेरिका की कूटनीति विफलता बता चुके हैं।
उन्होंने सुझाव दिया है कि इज़राइल और फ़िलिस्तीन दोनों के साथ अपने मैत्रीपूर्ण संबंधों के कारण मास्को मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।रिपोर्ट कहती है कि पुतिन की अपनी इस मध्य पूर्व यात्रा से यह दिखाना चाहते हैं कि यूक्रेन पर युद्ध के लिए प्रतिबंधों के माध्यम से मास्को को अलग-थलग करने के पश्चिमी प्रयास विफल हो गए हैं।
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