कोरोना की चपेट में आए अमेरिका में बीते हफ़्ते भर में 33 लाख लोगों ने बेरोज़गार होने का दावा किया है। अमेरिका के रोज़गार दफ़्तर में 32 लाख 80 हज़ार लोगों ने बेरोज़गारों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए दावा पेश कर सबको चौंका दिया है।
रोज़गार दफ़्तर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि 21 मार्च को ख़त्म हुए सप्ताह में पूरे अमेरिका में 33 लाख लोग बेरोज़गार हुए, जो एक रिकॉर्ड है। अमेरिका में एक हफ़्ते में सबसे ज़्यादा बेरोज़गार होने का रिकॉर्ड 6,95,000 लोगों का है। ये लोग 2 अक्टूबर,1982 को ख़त्म हुए सप्ताह में बेरोज़गार हुए थे। अमेरिका के श्रम क़ानूनों के अनुसार कोई आदमी बेरोज़गार होने के बाद के पहले हफ्ते में ख़ास सुविधाओं का दावा कर सकता है।
अमेरिका में कोरोना संक्रमण ज़ोर पकड़ने के पहले के सप्ताह मे 2 लाख लोग बेऱोजगार थे, इसे न्यूनतम बेरोज़गारी दर माना गया था।
कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद सिर्फ़ एक सप्ताह में बेरोज़गारों की संख्या दो लाख से बढ कर 33 लाख हो गई।
लेकिन इसके पहले बेरोज़गारी में नाटकीय बढ़ोतरी उस समय हुई है जब तूफान जैसी कोई प्राकतिक आपदा आई है। इसलिए मौजूदा बेरोज़गारी की तुलना पहले की बेरोज़गारी से नहीं की जा सकती है।
अमेरिकी श्रम विभाग की पूर्व अर्थशास्त्री हेडी बशीरहॉल्ज़ ने सीएनएन को बताया कि बरोज़गारी में यह बढ़ोतरी आने वाले बेरोज़गारी का बहुत ही छोटा हिस्सा है। उन्होंने कहा :
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'हमारा अनुमान है कि इस साल गर्मियों तक कोरोना संक्रमण की वजह से लगभग 1 करोड़ 40 लाख लोग बेरोज़गार हो जाएंगे।'
हेडी बशीरहॉल्ज़, अमेरिकी अर्थशास्त्री
मंदी
अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि अमेरिका में आर्थिक मंदी शुरू हो चुकी है। यह मंदी वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में और साफ़ दिखेगी, लेकिन बाद में जब कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होगा, स्थिति थोड़ी सुधरेगी। सवाल यह उठता है कि भारत पर इसका क्या असर होगा। पर्यवेक्षकों का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना संक्रमण का इससे अधिक बुरा असर होगा।
यहां बेरोज़गारी इससे अधिक होगी, क्योंकि भारत में अधिकतर काम धंधे अभी भी हाथ से होते हैं और इसमें अधिक लोगों की भागेदारी होती है।
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