चीन को डराना चाहता है अमेरिका?
दरअसल अमेरिका ने भारत के साथ चीन के तनाव के दौरान दक्षिण चीन सागर में अपने दो विमान वाहक पोत भेज दिए हैं। हालाँकि अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने ज़ोर देकर कहा है कि यूएसएस निमिज़ और यूएसएस रोनल्ड रेगन युद्ध अभ्यास के लिए गए हैं, पर चीन की जल सीमा से सटे इलाक़े और दक्षिण चीन सागर में इन दो विमान वाहक पोतों की मौजूदगी चीन को खुले आम चुनौती है।भले ही इन जहाज़ों पर तैनात लड़ाकू विमान किसी चीनी ठिकाने को निशाना न बनाएँ या ये पोत किसी चीनी बंदरगाह की घेराबंदी न करें, पर अमेरिका चीन को यह संकेत तो दे ही रहा है कि वह ज़रूरत पड़ने पर ऐसा कर सकता है, उसमें यह क्षमता है।
दिलचस्प बात यह कि यह भारत के बहाने किया जा रहा है। भारत ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अमेरिका समेत किसी से कोई मदद नहीं माँगी है, यहाँ तक कि मध्यस्थता करने के राष्ट्रपति ट्रंप की पेशकश को भी भारत ने ठुकरा दिया।
भारत के बहाने!
अमेरिकी हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स (भारत के लोकसभा की तरह) की विदेश समिति ने जब चीन को 'अग्रेसर' (आक्रामक) कह दिया तो भारत ने उस पर चुप्पी ही साधी।“
'हम चीन के साथ खड़े होने नहीं जा रहे हैं और उसे किसी क्षेत्र या दुनिया की सबसे ताक़तवर सेना के रूप में स्थापित नहीं होने देंगे।'
मार्क मेडोज़, चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़, ह्वाईट हाउस
अमेरिकी निशाने पर चीन
मेडोज़ ने इसका भी खुलासा किया कि 'ट्रंप जल्द ही कार्यकारी आदेश जारी कर यह सुनिश्चित करेंगे कि चीन से निपटा जाए और विदेशों से उत्पादन अमेरिका वापस ले जाया जाए ताकि वहाँ कामगारों का साथ दिया जा सके।'चीन सागर में अमेरिकी विमान वाहक पोत
लेकिन चीन को चेतावनी देने के दो दिन पहले ही अमेरिकी नौसेन का विमान वाहक पोत यूएसएस निमिज़ दक्षिण चीन सागर पहुँच चुका था। अमेरिकी नौसेना ने इसकी पुष्टि करते हुए ट्वीट किया और कहा कि यूएसएस निमिज़ और यूएसएस रोनल्ड रेगन दक्षिण चीन सागर में हैं और कैरियर ऑपरेशन्स का अभ्यास कर रहे हैं।How we roll. 🚢🌊🚢
— U.S. Navy (@USNavy) July 6, 2020
In case you missed it: The USS Nimitz (CVN 68) and Ronald Reagan CSGs are conducting dual-carrier operations as the Nimitz Carrier Strike Force in the South China Sea.
📸: Mass Communication Specialist 3rd Class Jason Tarleton pic.twitter.com/WiFZ0ZtqeW
चीन का पलटवार
इतना ही नहीं, चीन ने अमेरिकी नौसेना को साफ़ चेतावनी भी दे डाली। ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है,“
'पीपल्स लिबरेशन आर्मी के पास विमान वाहक पोत ध्वस्त करने लायक हथियार हैं। इसके पास डीएफ़-21डी और डीएफ़-26 मिसाइल हैं जो विमान वाहक पोत को निशाना बना सकते हैं।'
ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख का अंश
दिलचस्प बात यह है कि भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया ने अब तक कम से कम आधिकारिक रूप से एक बार भी नहीं कहा है कि उन्हें चीन से कोई ख़तरा है।
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