क्या है मामला?
नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि ट्रंप की कोशिश यह साबित करने की है कि वह इस मुद्दे पर बेहद गंभीर हैं और अमेरिकियों के स्वास्थ्य की चिंता करते हैं।ट्रंप की घोषणा अहम इसलिए भी है कि अमेरिका में करोड़ों लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है और वे ख़तरनाक स्थिति में फंस सकते हैं। ट्रंप शायद इस स्थिति से बचने के लिए 50 अरब डॉलर खर्च करने को तैयार हैं।
ट्रंप ने की थी लापरवाही?
दूसरी बात यह है कि कुछ दिन पहले ही ट्रंप ने यह साबित करने की कोशिश की थी कि कोरोना से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने इसे साबित करने के लिए वहाँ मौजूद दसियों लोगों से हाथ मिलाया था।राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने लोगों से शांत रहने की अपील करते हुए कहा था कि यह जल्दी ही ख़त्म हो जाएगा।
राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट किया था, 'पिछले साल सामान्य फ्लू की वजह से 37, 000 अमरीकी नागरिकों की मौत हुई थी। औसतन प्रतिवर्ष 27 से 70 हज़ार लोगों की मौत इस वजह से होती है. बंद करने की कोई बात नहीं है. ज़िंदगी और अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती रहती है।'
यूरोप पर रोक
इमर्जेंसी की घोषणा के दो दिन पहले ही ट्रंप प्रशासन ने विदेशियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। उन्होंने यूरोप पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका ने पूरे यूरोप महादेश पर ही प्रतिबंध लगा दिया है। यानी यूरोप के 44 देशों में से किसी देश का कोई नागरिक अमेरिका नहीं जा सकता।जाँच उपकरण
यूएस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दवा कंपनी रोश के जाँच उपकरण का अनुमोदन किया। इस उपकरण के ज़रिए सिर्फ 24 घंटे के अंदर संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। इसी तरह थर्मोफिशर और बेक्टन डिकिन्सन के उपकरणों की भी बात कही गई है।दूसरी ओर अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन म्यूशिन और हाउस ऑफ़ रीप्रेज़ेन्टेटिव्स में विपक्ष की नेता नैन्सी पलोसी के बीच इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है कि कोरोना प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए पैकेज में क्या होना चाहिए।
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