अमेरिका तो अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर चला गया लेकिन एक सवाल वह सबके मन में छोड़ गया कि हथियारों का जो जख़ीरा वह इस मुल्क़ में छोड़ आया है, उसका क्या होगा। हालांकि उसने इसका जवाब भी दे दिया है। अमेरिका ने कहा है कि हामिद करज़ई एयरपोर्ट पर खड़े 73 विमानों, बख्तरबंद वाहनों के साथ-साथ एक उच्च तकनीक वाली रॉकेट रक्षा प्रणाली को भी उसने बेकार कर दिया है। यानी अब इन्हें कोई भी इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
2001 में अफ़ग़ानिस्तान की सरज़मीं पर पांव रखने वाले अमेरिका ने सोमवार की रात को इस मुल्क़ को पूरी तरह छोड़ दिया। इसके बाद तालिबानियों ने जमकर फ़ायरिंग की और जश्न मनाया। इसके साथ ही अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की नई सरकार बनने का रास्ता भी साफ हो गया है।
अमेरिका की सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल कैनेथ मैकेंजी ने कहा कि ये विमान कभी उड़ान नहीं भर पाएंगे और न ही इन्हें कोई ऑपरेट कर पाएगा।
अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में लगाए गए C-RAMS सिस्टम को भी बेकार कर छोड़ दिया है। यह सिस्टम रॉकेट के हमलों से काबुल एयरपोर्ट को बचाने के काम आता था।
हालांकि इसके बाद भी इस तरह की ख़बरें और वीडियो हैं कि अमेरिका ने अभी भी अफ़ग़ानिस्तान में बहुत बड़ी मात्रा में हथियारों को छोड़ रखा है। निश्चित रूप से ये हथियार तालिबान के लड़ाकों के हाथ में हैं और वे इनका इस्तेमाल कर कहर बरपा सकते हैं।
एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि अमेरिकी सैनिकों के अफ़ग़ानिस्तान को छोड़ने के बाद तालिबान के लड़ाके काबुल एयरपोर्ट पर पहुंचे और उन्होंने वहां अमेरिका द्वारा छोड़े गए विमानों, हथियारों का मुआयना किया।
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तालिबान की जीत: मुजाहिद
अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि यह तालिबान की जीत है और दूसरे आक्रमणकारियों के लिए एक सबक है। उन्होंने कहा कि वह अमेरिका सहित दुनिया के दूसरे देशों के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान के सुरक्षा बल इस बार नरम रूख़ अपनाते हुए दिखेंगे।
भारत ने की तालिबान से बातचीत
इस बीच, भारत ने पहली बार तालिबान के साथ आधिकारिक स्तर पर बातचीत शुरू की है। क़तर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मुहम्मद अब्बास स्तेनकज़ई से मुलाक़ात की है। तालिबान के आग्रह पर यह बैठक दोहा स्थित भारतीय दूतावास में हुई है।
इस बैठक में अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उनके जल्द वापस लौटने के मुद्दे पर बातचीत हुई। इसके साथ ही अफ़ग़ान नागरिकों, ख़ास कर, अल्पसंख्यकों के भारत जाने पर भी बात हुई।
तालिबान ने इस बार थोड़ा नरम रूख़ दिखाया है और कहा है कि वह महिलाओं के अधिकारों को नहीं छीनेगा, उन्हें घर से बाहर काम करने और पढ़ने के लिए जाने की इजाजत होगी। उसने यह भी कहा है कि महिलाओं को यह काम इसलामिक नियमों के दायरे में रहकर ही करने होंगे।
जबकि पिछली बार यानी 1996-2001 के बीच जब तालिबान सत्ता में आया था तो उसने महिलाओं के हक़-हुकूक को बुरी तरह कुचल दिया था।
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