loader

राहुल-मोदी-अडानी मुद्दे में जॉर्ज सोरोस का नाम क्यों? जानें, कौन हैं सोरोस

राहुल गांधी पीएम मोदी और अडानी पर हमला कर रहे हैं तो बीजेपी ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी अरबपति जॉर्ज सोरोस और समाचार पोर्टल संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना यानी ओसीसीआरपी के साथ एक त्रिकोण का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य भारत को अस्थिर करना है। तो सवाल है कि आख़िर जॉर्ज सोरोस कौन हैं और बीजेपी की ऐसी प्रतिक्रिया क्यों आ रही है? 

जॉर्ज सोरोस दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। वह मूल रूप से हंगरी के हैं, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के समय उन्हें अपना देश हंगरी छोड़ना पड़ा था। 1947 में वह लंदन पहुंचे थे और उन्होंने यहीं से लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में फिलोसोफी की पढ़ाई की। बाद में वह अमेरिका चले गए। वह बहुत बड़े निवेशक हैं। लेकिन अरबपति बनने से पहले सोरोस ने काफ़ी ज़्यादा असहिष्णुता को झेला है। 1930 में हंगरी में जन्मे सोरोस ने 1944-1945 के नाजी कब्जे के दौरान किसी तरह खुद को ज़िंदा बचाए रखा। नाजी कब्जे के कारण 500,000 से अधिक हंगरी के यहूदियों की हत्या हुई। जॉर्ज सोरोस की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि उनका अपना यहूदी परिवार झूठे पहचान पत्रों को हासिल करके, अपना इतिहास छुपाकर और दूसरों को भी ऐसा करने में मदद करके बचा रहा।

ताज़ा ख़बरें

दूसरे विश्व युद्ध के बाद कम्युनिस्टों ने हंगरी में सत्ता को मज़बूत किया, लेकिन सोरोस ने लंदन के लिए 1947 में बुडापेस्ट को छोड़ दिया। उन्होंने वहाँ पर रेलवे कुली के रूप में अंशकालिक रूप से काम किया और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए नाइट-क्लब वेटर के रूप में काम किया। 1956 में वह वित्त और निवेश की दुनिया में प्रवेश करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। वहीं उन्होंने अपनी किस्मत बनाई।

1973 में उन्होंने अपना हेज फंड, सोरोस फंड मैनेजमेंट लॉन्च किया और संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास में सबसे सफल निवेशकों में से एक बन गए।

सोरोस ने 1979 में रंगभेद के तहत काले दक्षिण अफ़्रीकी लोगों को छात्रवृत्ति देकर अपनी चैरिटी शुरू की। 1980 के दशक में उन्होंने कम्युनिस्ट हंगरी में पश्चिम की अकादमिक यात्राओं को फंड देकर और स्वतंत्र सांस्कृतिक समूहों और अन्य पहलों का समर्थन करके विचारों के खुले आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मदद की। 
बर्लिन की दीवार के गिरने के बाद उन्होंने केंद्रीय यूरोपीय विश्वविद्यालय को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख स्थान के रूप में बनाया। वह समलैंगिक विवाह प्रयासों के मुखर समर्थक बन गए।
वह बुडापेस्ट में सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी के संस्थापक और प्रमुख फंड देने वाले हैं। यह सामाजिक विज्ञान के अध्ययन के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय केंद्र है। जॉर्ज सोरोस की वेबसाइट के अनुसार उनके नेतृत्व में ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जवाबदेह सरकार और न्याय व समानता को बढ़ावा देने वाले समाजों के लिए लड़ने वाले दुनिया भर के लोगों और संगठनों का समर्थन किया है। 
ख़ास ख़बरें

2017 में ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन ने घोषणा की कि सोरोस ने अपनी संपत्ति का 18 बिलियन डॉलर फ़ाउंडेशन के भविष्य के काम के वित्तपोषण के लिए स्थानांतरित कर दिया है, जिससे 1984 से फ़ाउंडेशन को दिया गया उनका कुल दान 32 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है।

हालाँकि, सोरोस विवादों में भी रहे हैं। फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 16 सितंबर 1992 में ब्रिटेन की करेंसी पाउंड में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। इसके पीछे जॉर्ज सोरोस का हाथ माना गया था। इसके चलते उन्हें ब्रिटिश पाउंड को तोड़ने वाला इंसान भी कहा जाता है।

दुनिया से और ख़बरें

सोरोस कश्मीर को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं। दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में सोरोस ने कहा था कि दुनिया में राष्ट्रवाद तेजी से बढ़ रहा है और इसका सबसे खतरनाक नतीजा भारत में देखने को मिला है जहां लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए नेता नरेंद्र मोदी एक हिंदू राष्ट्रवादी देश बना रहे हैं। उन्होंने कहा था कि वो कश्मीर पर कड़ी पाबंदियां लगा रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी पर यह भी आरोप लगाया था कि वो लाखों मुस्लिमों से उनकी नागरिकता छीन रहे हैं। उनके इस बयान के बाद सोरोस भारत में लगातार सुर्खियों में रहे हैं और बीजेपी राहुल गांधी पर सोरोस के साथ नाम जोड़कर तरह तरह के आरोप लगाती रही है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें