कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए अमेरिका में लागू सोशल डिस्टैंसिंग दिशा निर्देशों को 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इसका एलान कर दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उम्मीद जताई कि 1 जून तक उनका देश पटरी पर लौट जाएगा और सबकुछ सामान्य होने लगेगा। उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस कोरोना टास्क फ़ोर्स की डॉक्टर डेबोरा बर्क्स और डॉक्टर एंथनी फ़ॉची की सलाह पर ही सोशल डिस्टैंसिंग की अवधि बढ़ाई गई है।
लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ट्रंप ने कहा है कि कोरोना संक्रमण की रफ़्तार अभी बढने वाली है, यह नए इलाक़ों में फैलेगा।
संक्रमण बढ़ेगा!
डॉक्टर फ़ॉची और डॉक्टर बर्क्स ने कहा है कि संक्रमण दो हफ़्तों बाद सबसे अधिक हो और उस समय मरने वालों की तादाद भी सबसे ज़्यादा होगी।ट्रंप ने कहा, 'फ्लू पर बने सभी मॉडलों में कहा गया है कि यदि हम रोकथाम नहीं कर पाए तो 16 लाख से 22 लाख लोगों की मौत हो सकती है। कुछ में कहा गया है कि आधा अमेरिका इससे संक्रमित हो सकता है।'
पर इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ये मॉडल सही साबित नहीं होंगे और उतनी बड़ी तादाद में मौतें नहीं होंगी, जितना अनुमान लगाया गया है।
2,475 लोगों की मौत
अमेरिका में रविवार तक 1,40,000 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके थे। इससे 2,475 लोगों की मौत हो चुकी है। दो दर्जन राज्यों में कोरोना को बड़ी आपदा घोषित कर दिया गया है। ट्रंप इसके पहले ही राष्ट्रीय आपात सप्ताह का एलान कर चुके हैं।
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में फ्रीज़र ट्रकों और शवघरों का इंतजाम किया जाने लगा है। अधिकारियों को लगता है कि आने वाले कुछ समय में न्यूयॉर्क में बड़ी तादाद में लोग मर सकते हैं। उस स्थिति में उन्हें शवों को निकालने के लिए फ्रीजर ट्रकों की ज़रूरत पड़ेगी।
अमेरिका में कोरोना वायरस के तेज़ी से फैलने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने
पहले ही चेताया था कि यूरोप के बाद अब कोरोना महामारी का केंद्र अमेरिका हो सकता है। तब सबसे ज़्यादा कोरोना पॉजिटिव केसों के मामले में चीन और इटली के बाद अमेरिका तीसरे नंबर पर पहुँचा था। पिछले एक हफ़्ते में वहाँ इन मामलों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है।
अमेरिका में स्थिति बिगड़ने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप निशाने पर हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन ने इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए तेज़ी नहीं दिखाई और इस पूरे मामले में लचर रवैया अपनाया। आरोप ये भी लगाए जा रहे हैं कि चीन के बाद यूरोप के देशों में हालत बिगड़ने पर भी ट्रंप सरकार नहीं चेती और सख़्त क़दम नहीं उठाए गए। इसी कारण अब यह वायरस तेज़ी से फैल रहा है। पॉजिटिव मामले तो तेज़ी से बढ़े ही हैं, मौत के मामले भी हाल के दिनों में ज़्यादा आए हैं।
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