अमेरिका में सच में कोरोना की 'सुनामी' आ गई लगती है। लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड कोरोना संक्रमण के मामले आए। न्यूयॉर्क टाइम्म के डाटाबेस के अनुसार, गुरुवार को एक दिन में 5 लाख 80 हज़ार से ज़्यादा मामले आए। यह दुनिया भर में किसी देश में एक दिन में सबसे ज़्यादा संख्या है। इससे एक दिन पहले अमेरिका में ही बुधवार को 4 लाख 88 हज़ार केस आए थे और तब भी यह दुनिया भर में रिकॉर्ड था। इससे पहले एक दिन में सबसे ज़्यादा मामले भारत में तब आए थे जब दूसरी लहर के दौरान 6 मई को क़रीब 4 लाख 14 हज़ार पॉजिटिव केस दर्ज किए गए थे।
ये ऐसे रिकॉर्ड हैं जो कोई भी देश प्राप्त करना नहीं चाहेगा। लेकिन कोरोना संक्रमण ने इसको नियंत्रित करने के तमाम उपायों को अब तक नाकाम साबित किया है। अब कोरोना के ही नये वैरिएंट आने के बाद नये सिरे से ख़तरा पैदा हुआ है और माना जा रहा है कि डेल्टा वैरिएंट के साथ ओमिक्रॉन वैरिएंट फैलने से दुनिया भर में संक्रमण में तेज़ी से उछाल आया है।
इन दोनों वैरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने दुनिया भर में कोरोना मामलों में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है। घेब्रेयसस ने कहा कि वह कोरोनो के ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट के बारे में चिंतित हैं और दोनों मिलकर संक्रमण की सुनामी लाएँगे।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा है कि अगर ऐसा होना जारी रहता है तो इससे स्वास्थ्य कर्मियों पर जबरदस्त दबाव पड़ेगा और हमारा स्वास्थ्य ढांचा ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच जाएगा।
डब्ल्यूएचओ की इस चेतावनी के बीच ही कई देशों में संक्रमण के मामलों की बाढ़ आ गई है। अमेरिका में पहली बार साढ़े 5 लाख से ज़्यादा केस आए हैं। इससे पहले जनवरी में दूसरी लहर के दौरान ढाई से तीन लाख के बीच पॉजिटिव केस आ रहे थे। अमेरिका में पिछले 28 दिनों में 54 लाख से ज़्यादा मामले आ चुके हैं।
हालाँकि तब और अब के बीच अंतर यह है कि दूसरी लहर के दौरान अमेरिका में जहाँ हर रोज़ 4 हज़ार से भी ज़्यादा मौतें होने लगी थीं वहीं मौजूदा लहर के दौरान मृतकों की संख्या डेढ़ से दो हज़ार के बीच है।
'न्यूयॉर्क टाइम्स' के डेटाबेस के अनुसार गुरुवार को आए नए मामले पिछली सर्दियों की तुलना में लगभग दोगुने थे। हालाँकि अस्पताल में भर्ती होने और मौत के मामलों में भी वैसी ही नाटकीय वृद्धि नहीं हुई है। इसका एक संकेत यह भी है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा की तुलना में हल्का लगता है।
अमेरिका में कोरोना संक्रमण के इतने ज़्यादा मामले इसलिए और भी चौंकाने वाले हैं क्योंकि विशेषज्ञ मानते हैं कि छुट्टियों के कारण टेस्टिंग और डेटा रिपोर्टिंग उतना सही से नहीं हो पाती है। कुछ लोगों द्वारा घर पर परीक्षण करने के मामले बढ़ने का मतलब यह भी हो सकता है कि कुछ मामले आधिकारिक गिनती में नहीं आ रहे हों।
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