यूक्रेन-रूस के बीच युद्ध के बाद पहली बार शांति बहाल होने के आसार लगने लगे हैं। रूस ने कहा है कि यूक्रेन के साथ संभावित शांति समझौते के कुछ हिस्सों पर सहमति बनने के क़रीब है। ऐसा इसलिए है कि यूक्रेन ने एक समझौते के लिए संभावित तरीक़े का संकेत दिया है। यही वजह है कि क़रीब तीन सप्ताह से चल रहे युद्ध के ख़त्म होने की उम्मीद बढ़ गई है।
वैसे, युद्ध शुरू होने के कुछ दिन बाद ही वार्ता के प्रयास शुरू हुए थे और वार्ता भी हुई थी, लेकिन उससे कुछ सकारात्मक नतीजे सामने नहीं आए थे। पहले की वार्ताएँ कुछ घंटे ही चल पाई थीं। लेकिन अब पहली बार ऐसा है कि वार्ता एक दिन में ख़त्म नहीं हुई और लगातार दूसरे दिन भी जारी रही। कहा जा रहा है कि यह शांति वार्ता की उम्मीद जगाने वाले संकेत हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि वार्ता 'अधिक यथार्थवादी' हो रही थी। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी कहा कि यूक्रेन के लिए न्यूट्रल स्टेटस यानी तटस्थ स्थिति के साथ 'समझौता की कुछ उम्मीद' थी। रूस की सबसे प्रमुख मांग भी यही है। रूस चाहता है कि यूक्रेन पश्चिमी देशों के संगठन नाटो के क़रीब भी नहीं जाए। रूस द्वारा हमले किए जाने के प्रमुख कारणों मे से एक यही है कि रूस को आशंका थी कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनना चाहता है। रूस की आशंका है कि यदि यूक्रेन ऐसा कर लेता तो एक तरह से नाटो की पहुँच रूस के दरवाजे यानी रूसी सीमा तक हो जाती।
बहरहाल, रूसी विदेशमंत्री लावरोव ने बुधवार को आरबीसी न्यूज़ को बताया, 'बेशक, सुरक्षा गारंटी के साथ तटस्थ स्थिति पर अब गंभीरता से चर्चा की जा रही है।' लावरोव ने कहा कि अब इसी बात पर बातचीत में चर्चा हो रही है, बिल्कुल विशिष्ट फॉर्मेशंस हैं जो मेरे विचार से समझौते के करीब हैं।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फरवरी में नाटो विस्तार के बिना यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी के साथ-साथ तटस्थता के बारे में बात की थी।
ऑस्ट्रिया-स्वीडन मॉडल
क्रेमलिन ने बुधवार को कहा है कि ऑस्ट्रिया या स्वीडन की तर्ज पर अपनी सेना के साथ यूक्रेन को एक संभावित समझौते के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि ऑस्ट्रिया, स्वीडन जैसे 6 यूरोपीय देश हैं जो यूरोपीय संघ के सदस्य तो हैं, लेकिन वे सैन्य संगठन नाटो का हिस्सा नहीं हैं। यानी इसे कह सकते हैं कि ये देश तटस्थता मॉडल पर चल रहे हैं।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने आरआईए समाचार एजेंसी के हवाले से कहा, 'यह एक ऐसा संस्करण है जिस पर वर्तमान में चर्चा की जा रही है और जिसे वास्तव में एक समझौते के रूप में देखा जा सकता है।' लेकिन इसके तुरंत बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि उसने ऑस्ट्रिया या स्वीडन पर आधारित तटस्थता मॉडल के प्रस्तावों को खारिज कर दिया। हालाँकि ज़ेलेंस्की के कार्यालय ने कहा है, 'यूक्रेन अब रूस के साथ सीधे युद्ध की स्थिति में है। नतीजतन, मॉडल केवल 'यूक्रेनी' हो सकता है और केवल क़ानूनी रूप से सत्यापित सुरक्षा गारंटी पर हो सकता है। क़ानूनी सुरक्षा की गारंटी में यूक्रेन की एक शर्त है।
यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों द्वारा हस्ताक्षरित एक कानूनी रूप से बाध्यकारी सुरक्षा समझौते का आह्वान किया। इसने कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय भागीदार यूक्रेन पर हमले की स्थिति में अलग-थलग नहीं खड़े होंगे, जैसा कि वे आज करते हैं।
नाटो ने यूक्रेन से 2008 में वादा किया था कि वह एक दिन गठबंधन का सदस्य बन जाएगा। लेकिन रूस ने कहा है कि वह ऐसा नहीं होने दे सकता है। रूस ने यूक्रेन पर हमला करते हुए भी यही तर्क दिया था और वह इसे हमला नहीं कहता है, बल्कि "विशेष सैन्य अभियान" कहता है।
लावरोव ने कहा वार्ता आसान नहीं थी लेकिन समझौते पर पहुंचने की कुछ उम्मीद थी। लावरोव ने कहा है कि प्रमुख मुद्दों में पूर्वी यूक्रेन में लोगों की सुरक्षा, यूक्रेन का विसैन्यीकरण और यूक्रेन में रूसी भाषी लोगों के अधिकार दिलाना शामिल हैं।
यूक्रेन ने भी शांति वार्ता पर सतर्कतापूर्ण सकारात्मक बयान दिए हैं। यह कहता है कि वह युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत करने को तैयार है, लेकिन आत्मसमर्पण नहीं करेगा या रूसी अल्टीमेटम स्वीकार नहीं करेगा। ज़ेलेंस्की ने मंगलवार को कहा कि यूक्रेन ने महसूस किया कि वह नाटो में शामिल नहीं हो सकता है, उसके बाद राजनयिक प्रगति की उम्मीदें बढ़ीं। लेकिन सवाल है कि क्या ये उम्मीदें युद्ध की समाप्ति में बदलेंगी, यह आने वाले कुछ दिनों में ही साफ़ हो पाएगा।
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