- सऊदी पत्रकार और स्तम्भकार थे जमाल ख़शोगी
- प्रिंस सलमान के कटु आलोचक थे
- 2 अक्तूबर को कौंसुलेट गये, फिर लापता हो गये
- 15 संदिग्ध दो निजी विमानों से आये
- ख़शोगी की कथित हत्या के बाद लौट गये
- उस दिन कौंसुलेट में दोपहर बाद छुट्टी
क्यों की गयी?
- सीवर से तुर्की पुलिस को अहम सुराग़ मिले
जमाल ख़शोगी
सऊदी पत्रकार जमाल ख़शोगी को इस्ताम्बूल
में सऊदी कौंसुलेट के भीतर मार डाला गया और उनकी लाश के टुकड़े-टुकड़े कर उन्हें
वहीं दफ़ना दिया गया। यह सनसनीख़ेज़ ख़ुलासा तुर्की के ख़ुफ़िया जाँच दल के
सूत्रों ने किया है। यही नहीं, ख़शोगी की
हत्या के लिए भाड़े के 15 हत्यारों
की टीम को ख़ास तौर पर इस्ताम्बूल भेजा गया था, जो हत्या के तुरन्त बाद वहाँ से वापस लौट गये थे। यह बात सीसीटीवी
फ़ुटेज से सामने आयी है।
तुर्की अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पक्के तौर पर मालूम है कि जमाल ख़शोगी को कौंसुलेट के अन्दर किस जगह और कब मारा गया और उन्हें वहीं पर कौंसल-जनरल के बग़ीचे में किस जगह दफ़ना दिया गया।
मामले की जाँच में लगी तुर्की टीम का
कहना है कि अगर उनके फ़ोरेन्सिक अफ़सरों को कौंसुलेट के भीतर जाने दिया जाय,
तो वह मिनटों में इस हत्याकांड पर से परदा उठा
देंगे।
आरोप बेबुनियाद : सऊदी अरब
लेकिन सऊदी अरब ने तुर्की अफ़सरों की टीम को कौंसुलेट में घुसने से रोक
दिया। तुर्की जाँच टीम के लोग कौंसुलेट के अन्दर जा कर मामले की जाँच करना चाहते
थे।
सऊदी अधिकारियों ने ख़शोगी की हत्या या
उनके अचानक लापता हो जाने में कौंसुलेट या सऊदी सरकार का किसी भी तरह का हाथ होने
से पूरी तरह इनकार किया है। उनका कहना है कि यह सारे आरोप बिलकुल बेबुनियाद हैं।
ख़शोगी के लापता हो जाने के बाद विरोध प्रदर्शन
59 साल के ख़शोगी सऊदी अरब सरकार की बहुत-सी नीतियों के मुखर
आलोचक थे और इनके ख़िलाफ़ बेबाकी से लिखा करते थे। ख़ास तौर पर वह प्रिंस
मुहम्मद-बिन-सलमान के कटु आलोचक थे। वह अमेरिकी नागरिक थे और हाल के महीनों में
सऊदी सरकार तरह-तरह के प्रलोभन देकर उन्हें सऊदी अरब बुलाने में लगी थी। अपने
पुनर्विवाह के सिलसिले में उन्हें कुछ दस्तावेज़ों की ज़रूरत थी, जिसे लेने के लिए ही वह 2 अक्तूबर को इस्ताम्बूल में सऊदी कौंसुलेट गये थे, लेकिन उसके बाद वह अचानक ग़ायब हो गये। फिर उनका कुछ
पता नहीं चला।
सऊदी अफ़सरों का कहना है कि वह कौंसुलेट
आये थे और अपने काग़ज़ लेकर फ़ौरन ही वापस चले गये। सऊदी कौंसल-जनरल
मुहम्मद-अल-ओतैबी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, 'मैं पक्के तौर पर स्पष्ट करना चाहता हूँ कि ख़शोगी न तो कौंसुलेट में
हैं और न सऊदी अरब में। सऊदी कौंसुलेट और दूतावास भी उनकी तलाश में जुटा है। हम इस
मामले को लेकर चिन्तित हैं।'
सीसीटीवी हार्ड ड्राइव कहाँ गयी?
लेकिन अब जो जानकारियाँ सामने आ रही हैं,
उनसे यह शक काफ़ी गहरा गया है कि ख़शोगी कौंसुलेट
के भीतर तो गये, लेकिन बाहर नहीं निकले। तुर्की सूत्रों
का कहना है कि कौंसुलेट के सीसीटीवी कंट्रोल रूम से सारी हार्ड ड्राइव सऊदी
अफ़सरों ने हटा ली है।
उधर, तुर्की मीडिया ने उन 15 लोगों के नाम, तसवीरें वग़ैरह छापने के साथ कई सनसनीख़ेज़ जानकारियाँ भी छापी हैं। इन 15 लोगों में से तीन तो सऊदी युवराज मुहम्मद बिन सलमान के ख़ास सुरक्षा गार्ड हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ जिस समय ख़शोगी को काग़ज़ लेने के लिए कौंसुलेट बुलाया गया था, उसके पहले ही दो निजी विमानों से ये 15 लोग अलग-अलग समय पर इस्ताम्बूल आये थे और कौंसुलेट के नज़दीक के दो होटलों में ठहरे थे।
इन लोगों के एअरपोर्ट से बाहर निकलने और
होटल में चेक-इन करने की सीसीटीवी फ़ुटेज भी सामने आ चुकी है। तुर्की पुलिस ने
होटलों से इनके फ़िंगर प्रिंट भी उठा लिये हैं। ख़शोगी की हत्या के तुरन्त बाद वे
इन्हीं विमानों से वहाँ से रवाना भी हो गये।
इस पूरे मामले में बहुत-सी बातें
कौंसुलेट की तरफ़ शक को गहरा करती हैं। ख़शोगी सबसे पहले 28 सितम्बर को अपने काग़ज़ों के सिलसिले में कौंसुलेट गये थे। वहाँ
उन्हें कौंसुलेट के एक ख़ुफ़िया अधिकारी से मिलने के लिए कहा गया। उसने कहा कि वह
अगले हफ़्ते आ कर काग़ज़ ले जायें। 2 अक्तूबर
को ख़शोगी ने उस अफ़सर को फ़ोन कर पूछा कि क्या वह काग़ज़ात लेने आ सकते हैं। तो
उन्हें बताया गया कि वह दिन में एक बजे आ सकते हैं।
कौंसुलेट में दोपहर बाद छुट्टी क्यों की गयी?
ख़शोगी के कौंसुलेट पहुँचने के क़रीब
साढ़े बारह बजे कौंसुलेट के सभी स्थानीय कर्मचारियों को यह कह कर छुट्टी दे दी गयी
कि कौंसुलेट में एक उच्चस्तरीय बैठक होनी है। ख़शोगी ठीक 1:14 बजे कौंसुलेट पहुँचे। सूत्रों के मुताबिक़ उन्हें कौंसल-जनरल के कमरे
में ले जाया गया। फ़ौरन ही दो और लोग कमरे में आये और ख़शोगी को खींच कर दूसरे
कमरे में ले गये और उनकी हत्या कर दी गयी। तुर्की पुलिस का कहना है कि कौंसुलेट के
सीवर के नमूनों की फ़ोरेन्सिक जाँच से उन्हें महत्त्वपूर्ण सुराग़ मिले हैं।
ख़शोगी के लापता होने के एक हफ़्ते बाद 9
अक्तूबर को सऊदी कौंसुलेट ने तुर्की पुलिस के तीन
अफ़सरों को कौंसुलेट के भीतर आ कर छानबीन करने की अनुमति दी थी। तुर्की पुलिस के
ये अफ़सर क़रीब घंटे भर तक वहाँ रहे और कौंसुलेट के कर्मचारियों से उन्होंने
शुरुआती जाँच-पड़ताल भी की, लेकिन
अगले दिन 15 संदिग्ध लोगों के इस्ताम्बूल में आने व
उनकी गतिविधियों की सीसीटीवी फ़ुटेज की ख़बरें छप जाने के बाद सऊदी अफ़सरों ने
तुर्की जाँच दल के कौंसुलेट में आने पर रोक लगा दी।
उधर, अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेन्सियों द्वारा की गयी फ़ोन टैपिंग से संकेत मिले
हैं कि ख़ुद सऊदी युवराज प्रिंस सलमान ने निर्देश दिया था कि ख़शोगी को किसी तरह
बहला-फुसला कर सऊदी अरब लाया जाय। ख़शोगी के कई मित्रों ने भी इसकी पुष्टि की है
कि पिछले चार महीनों से प्रिंस सलमान के विशवस्त दूत ख़शोगी को यह भरोसा दिलाने
में जुटे थे कि अगर वह सऊदी अरब लौटेंगे तो उन्हें पूरी सुरक्षा सादगी जायगी और
किसी सरकार विभाग में कोई बड़ी ज़िम्मेदारी भी दे दी जायगी। लेकिन ख़शोगी इस जाल
में नहीं फँसे।
इस पूरे विवाद से अब तुर्की और सऊदी अरब के बीच कूटनीतिक संकट खड़ा हो गया है।
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