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ट्रम्प की हत्या की कोशिश के पीछे छिपे मकसद का पता अभी तक नहीं चल सका है। एफबीआई का कहना है कि हमलावर के मारे जाने से इस मकसद का पता लगाने के लिए कड़ी मेहनत करना होगी।
यह गोलीबारी ऐसे समय हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में चार महीने से कम का समय बचा है। चुनाव 5 नवंबर को होना है। ट्रम्प डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ दोबारा चुनावी मुकाबला करेंगे। अधिकांश जनमत सर्वे में दोनों के बीच कड़ा मुकाबला दिखाई दे रहा है।
थॉमस की कार में विस्फोटक थे
क्या चार गोलियां चली थीं
रैली में ट्रम्प समर्थक रॉन मूस ने रॉयटर्स को बताया उन्होंने चार गोलियों की आवाजें सुनी थीं। उन्होंने कहा, "मैंने भीड़ को नीचे जाते देखा और फिर ट्रम्प भी तुरंत पीछे हट गए। फिर सीक्रेट सर्विस के सभी लोग कूद पड़े और और उनकी रक्षा की।" बीबीसी ने एक व्यक्ति का इंटरव्यू लिया जिसने खुद को प्रत्यक्षदर्शी बताया और कहा कि उसने राइफल से लैस एक व्यक्ति को घटना के पास छत पर रेंगते हुए देखा। उसने कहा कि उसने और उसके साथ मौजूद लोगों ने सीक्रेट एजेंट्स को सचेत करने की कोशिश करते हुए उस व्यक्ति की ओर इशारा किया।
‼️ BREAKING: An assassination attempt on Trump⁰⁰During his speech in Pennsylvania, gunshots rang out. He interrupted his speech and left the venue. ⁰⁰Whether the presidential candidate was injured is unknown at this time. According to media reports, Trump has a bloody ear.… pic.twitter.com/WENYcKpDYi
— NEXTA (@nexta_tv) July 13, 2024
सीक्रेट सर्विस एजेंट्स क्या कर रहे थे
सीक्रेट सर्विस ने गोलीबारी के तुरंत बाद कहा कि उसने जांच शुरू कर दी है और राष्ट्रपति जो बाइडेन को जानकारी दी है, हालांकि एजेंसी ने अपने प्रोटोकॉल के संबंध में टिप्पणी के अतिरिक्त अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया। पेंसिल्वेनिया राज्य पुलिस ने कहा कि मीडिया सीक्रेट सर्विस से इस बारे में बात करे। उसके पास कोई सूचना नहीं है।
ट्रम्प के कुछ रिपब्लिकन सहयोगियों ने कहा कि उनका मानना है कि हमला राजनीति से प्रेरित था। अमेरिकी प्रतिनिधि स्टीव स्कैलिस ने कहा- "हफ़्तों से डेमोक्रेट नेता हास्यास्पद उन्माद फैला रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प का दोबारा चुनाव जीतना अमेरिका में लोकतंत्र का अंत होगा।" स्टीव स्कैलिस, नंबर 2 हाउस रिपब्लिकन हैं जो 2017 में राजनीति से प्रेरित गोलीबारी में बच गए थे। उन्होंने कहा कि इससे पहले वामपंथी भी इसी तरह की हिंसक बयानबाजी करते रहे है। यह भड़काऊ बयानबाजी बंद होनी चाहिए।"
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