रमज़ान से ठीक पहले पाकिस्तान में धार्मिक नेता अल्लामा साद हुसैन रिज़वी के समर्थकों ने बवाल कर दिया। रिज़वी के समर्थकों ने लाहौर व कई अन्य इलाक़ों की सड़कों को कब्जे में ले लिया और पुलिस की कई गाड़ियों में आग लगाने के साथ ही आम लोगों के वाहनों, संपत्तियों में भी तोड़फोड़ की। मंगलवार को पुलिस के साथ हुए भीषण संघर्ष में कुल चार लोग मारे गए।
अल्लामा साद हुसैन रिज़वी तहरीक़-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) नाम के धार्मिक और राजनीतिक संगठन के नेता हैं, इससे पहले इसकी कमान उनके वालिद और मशहूर मौलाना अमीर खादिम हुसैन रिज़वी संभालते थे। अमीर खादिम हुसैन रिज़वी की बीते साल नवंबर में मौत हो गई थी।
हालात को बिगड़ते देख इमरान सरकार ने टीएलपी पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन पहले ही कई मुसीबतों से घिरे वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान की मुश्किलें इससे कम नहीं होंगी क्योंकि टीएलपी के समर्थकों की मांग है कि फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से बाहर किया जाए।
कहां से शुरू हुआ था विवाद
बीते साल फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक शिक्षक ने कक्षा में अपने छात्रों को पैगंबर मुहम्मद का वह कार्टून दिखा दिया था जिसे शार्ली एब्दो ने 2015 में छापा था तो चेचन मूल के एक मुसलिम लड़के ने उस शिक्षक की गला रेतकर हत्या कर दी थी। शिक्षक की हत्या के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ा था। इसके बाद मैक्रों के ख़िलाफ़ कई इसलामिक देशों में प्रदर्शन हुए थे।
अमीर खादिम हुसैन रिज़वी ने बीते साल अक्टूबर में इसलामाबाद सहित कई इलाक़ों में बड़ा प्रदर्शन इस मांग को लेकर किया था कि फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान में न रखा जाए। उस वक़्त जैसे-तैसे इमरान सरकार ने टीएलपी के समर्थकों को रोका था और कहा था कि वह फरवरी तक फ्रांस के राजदूत को हटा देगी।
टीएलपी का कहना है कि इमरान की हुकूमत ने अपना वादा नहीं निभाया। अल्लामा साद हुसैन रिज़वी ने सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर सरकार 20 अप्रैल तक अपना वादा नहीं निभाती तो टीएलपी आंदोलन करेगी लेकिन सरकार ने डेडलाइन से कुछ दिन पहले ही रिज़वी को गिरफ़्तार करवा दिया।
रिज़वी की गिरफ़्तारी से नाराज़ टीएलपी के समर्थक सड़क पर उतर आए और कराची, लाहौर, मुल्तान और इसलामाबाद की कई सड़कों को जाम कर दिया।
इसके बाद जो संघर्ष हुआ, उस मंजर के वीडियो पाकिस्तान के साथ ही भारत में भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इस दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए। पंजाब में 300 जबकि लाहौर में 97 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और इनमें से कई गंभीर हैं।
टीएलपी के समर्थकों ने 22 सड़कों को जाम कर दिया था। फ़ैसलाबाद, चकवाल, शेखुपुरा, रहीम यार ख़ान, सहीवाल, गुजरात और कराची से हिंसा की ज़्यादा ख़बरें आईं। इसके अलावा न्यू कराची, मीरपुर खास, लरकाना, पेशावर, खुज़दार से भी हिंसा की ख़बरें आईं।
1,400 से ज़्यादा समर्थक हिरासत में
हालात को बिगड़ते देख पैरामिलिट्री फ़ोर्सेस ने भी पुलिस के साथ मोर्चा संभाला। पुलिस ने दर्जनों एफ़आईआर दर्ज कीं और जबरदस्त ऑपरेशन चलाते हुए सड़कों को खाली कराया। पूरे पंजाब से टीएलपी के 1,400 से ज़्यादा कारकूनों को हिरासत में लिया गया है। टीएलपी के समर्थकों ने पुलिस पर पत्थरबाज़ी की और सिंध हुकूमत के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की।
पुलिस ने काफी मशक्कत करते हुए काफी इलाक़ों को उपद्रवियों के कब्जे से खाली करा लिया है और बंधक बनाए गए कई पुलिसकर्मियों को भी छुड़ा लिया है। टीएलपी के समर्थकों पर आरोप है कि उन्होंने गोलियों-बंदूकों का सहारा लिया और यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का सबब है। यह भी पता चला है कि टीएलपी के समर्थक को इन्हें चलाने में महारत हासिल थी।
लाहौर के डीआईजी (ऑपरेशंस) साजिद कियानी ने द डॉन से बातचीत में स्वीकार किया कि हथियार लिए हुए टीएलपी के एक समर्थक ने पुलिस पर सीधी फ़ायरिंग की जिससे हमारे चार सिपाही घायल हो गए।
मसजिद से हुई अपील
डीआईजी साजिद कियानी ने कहा कि जैसे ही वह राष्ट्रीय राजमार्ग को खुलवाने के लिए शाहपुर कंजरन के पास पहुंचे तो नज़दीकी मसजिदों से टीएलपी समर्थकों से अपील की गई की कि वे पुलिस से भिड़ें और 10 मिनट के अंदर ही 200 लोग वहां जमा थे, उन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया।
रिज़वी समर्थकों के बवाल को देखते हुए इमरान की हुकूमत ने फ़ैसला लिया है कि देश के सभी बड़े शहरों में पाकिस्तान रेंजर्स की तैनाती की जाएगी क्योंकि रमज़ान शुरू हो चुके हैं और ऐसे में अमन के माहौल को बिगाड़ने वालों को लेकर हुकूमत कोई रहम नहीं दिखाना चाहती।
इमरान सरकार के मंत्री फवाद चौधरी ने कहा है कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन किसी को भी क़ानून अपने हाथ में लेने का हक़ नहीं है। साद रिज़वी के समर्थकों ने बीते साल इस मांग को लेकर भी रैलियां की थीं कि ईशनिंदा क़ानून को ख़त्म नहीं किया जाना चाहिए। तब भी इन प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई थी।
इमरान के सामने मुश्किल?
अब मुश्किल इमरान के सामने है क्योंकि अगर वह फ्रांस के राजदूत को हटाते हैं तो वे अंतरराष्ट्रीय दुनिया में क्या जवाब देंगे और अगर नहीं हटाते हैं तो टीएलपी के समर्थक उनका जीना मुश्किल कर देंगे। देखना होगा कि वह क्या रास्ता निकालते हैं।
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