अफ़ग़ानिस्तान की हुक़ूमत पर काबिज होने वाला तालिबान अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। शायद इसीलिए, अमेरिका के 68 सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडन से पूछा है कि वे बताएं कि उनके पास इस बात की क्या योजना है तालिबान पाकिस्तान को अस्थिर कर उससे परमाणु हथियार न हासिल कर ले।
काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए दो धमाकों में अमेरिकियों के भी मारे जाने के बाद वहां के सांसदों के साथ ही आम लोगों की भी चिंता बढ़ गई है। हालांकि बाइडन ने कहा है कि उनकी सरकार इस मामले में कड़ी कार्रवाई करेगी लेकिन सांसदों को इस बात का ज़्यादा डर है कि तालिबान पाकिस्तान से परमाणु हथियार हासिल कर सकता है।
इस बीच, तालिबान की ओर से अमेरिकी नागरिकों को अफ़ग़ानिस्तान से निकालने के लिए रखी गई 31 अगस्त की डेडलाइन भी नज़दीक आ रही है।
बाइडन को लिखे पत्र में सांसदों ने पूछा है कि वे अफ़ग़ानिस्तान को लेकर आगे की योजना के बारे में बताएं। सांसदों ने कहा है कि बीते कुछ हफ़्तों में दुनिया तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जे को लेकर मूकदर्शक बनी रही। उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सैनिकों और अफ़ग़ानी सहयोगियों को निकालने में हो रही देरी को लेकर भी चिंता जाहिर की है।
सांसदों ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं को हटाए जाने से केवल उस देश पर ही नहीं बल्कि मिडिल ईस्ट में भी इसका असर होगा साथ ही इसके रणनीतिक और भौगोलिक नतीजे भी सामने आएंगे। उन्होंने कहा है कि हमें इन बातों को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई शुरू कर देनी चाहिए।
अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी और नैटो देशों की सेनाएं 2001 में आई थीं और बीते दो महीनों में उन्होंने पूरी तरह इस मुल्क़ को छोड़ दिया। हालांकि काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा में हजारों अमेरिकी सैनिक तैनात हैं लेकिन अमेरिकी लोगों के वहां से निकलते ही वे भी यहां से चले जाएंगे।
बेवजह नहीं है चिंता
अमेरिकी सांसदों की चिंता बेवजह नहीं है। तालिबान पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई का प्यादा है और तालिबान की हुक़ूमत में पाकिस्तान में आतंकी संगठन चला रहे लोगों का दख़ल होने से कोई इनकार नहीं कर सकता।
तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि पाकिस्तान तालिबान के लिए दूसरे घर जैसा है। इससे भी समझा जा सकता है कि हालात कितने ख़राब हो सकते हैं। बाइडन ने हालांकि सख़्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है लेकिन अमेरिकी सेनाओं की वापसी को लेकर वह लगातार आलोचना का सामना कर रहे हैं।
हाल ही में अल-क़ायदा सहित कई संगठनों के ख़ूंखार आतंकदवादियों को अफ़ग़ानिस्तान की जेलों से रिहा कर दिया गया है, यह भी अमेरिका ही नहीं पूरा दुनिया के लिए सिरदर्द का कारण बन चुका है।
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