बेहद खराब दौर से गुजर रहे श्रीलंका में वहां की गोटाबाया राजपक्षे सरकार ने संसद में बहुमत खो दिया है। देश में आपातकाल लगाए जाने के बाद पहली बार मंगलवार को संसद का सत्र बुलाया गया। सत्र के दौरान सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के 41 सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने यह खबर दी है।
उधर, मुल्क में कई जगहों पर हुकूमत और राजपक्षे के परिवार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं और सोमवार को ही विदेश मंत्री बनाए गए अली सबरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
225 सदस्यों वाली श्रीलंका की संसद में हुकूमत चलाने के लिए 113 सांसदों की जरूरत है। सत्तारूढ़ गठबंधन को 2020 के आम चुनाव में 150 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन 41 सदस्यों का समर्थन खोने के बाद अब इसके पास 109 सदस्य ही रह गए हैं। ऐसे में साफ है कि हुकूमत के पास अब बहुमत नहीं है। इसके बाद विपक्ष के नेताओं ने कहा है कि राजपक्षे को इस्तीफा दे देना चाहिए।
लेकिन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा है कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा है कि वह उस राजनीतिक दल को सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं जो सदन में बहुमत साबित कर देगा। राजपक्षे ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में यह बात कही।
रविवार रात को सभी मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री के पद पर बने हुए हैं।
मुल्क में चल रहे हालात को लेकर विपक्ष के नेता सजीत प्रेमदासा ने कहा है कि देश में बड़े स्तर पर बदलाव की जरूरत है और तभी लोगों को राहत मिल सकती है।
दूसरी ओर मुल्क में राजपक्षे के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है।
श्रीलंका में हालात इस कदर खराब हैं कि लोगों को पेट्रोल और डीजल तक मिलना मुश्किल हो गया है। बिजली का उत्पादन नहीं होने से हर दिन 10 घंटे से ज़्यादा का पावरकट लग रहा है। स्कूलों में परीक्षाएं ठप हैं और जरूरी दवाएं भी लोगों को नहीं मिल पा रही हैं।
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