श्रीलंका में एक बार फिर हालात खराब हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के आवास पर कब्जा कर लिया है और इसके बाद राजपक्षे आवास छोड़कर भाग गए हैं। बता दें कि श्रीलंका में बीते कई महीनों से पेट्रोल-डीजल की कमी सहित कई बुनियादी मसलों को लेकर लोग सड़क पर हैं और वहां अच्छा खासा बवाल हो चुका है। जरूरी चीजों की जबरदस्त किल्लत है और भयंकर महंगाई से परेशान श्रीलंका की अवाम का गुस्सा एक बार फिर फूट पड़ा है।
हालात बिगड़ने के बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे ने कैबिनेट के मंत्रियों के साथ आपात बैठक की है।
मई के महीने में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति राजपक्षे के पैतृक घर में आग लगा दी थी। तब श्रीलंका में कर्फ्यू और आपातकाल भी लगाना पड़ा था और इसके बीच भी हजारों लोग सड़क पर उतर आए थे।
उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं।
राष्ट्रपति को सुरक्षित निकाला
प्रदर्शनकारी शनिवार को एक बार फिर उग्र हो गए और उन्होंने राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास को घेर लिया। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति के आवास में घुसने से पहले ही राष्ट्रपति को सुरक्षित वहां से निकाल लिया गया। इस दौरान उनकी सुरक्षा में तैनात जवानों ने हवाई फायरिंग भी की जिससे प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति आवास में घुसने से रोका जा सके। इस दौरान कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए।
हालत खराब होने के बाद एक बार फिर कोलंबो में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए हैं और लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है।
मई के महीने में सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने पूर्व मंत्रियों, सांसदों के घरों को आग लगा दी थी। प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प के दौरान एक सांसद ने आत्महत्या भी कर ली थी और जब हालात ज्यादा बिगड़ गए थे तो प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा था।
हालात बिगड़ने पर कोलंबो में स्थित दूतावासों को बंद कर दिया गया था और पूरी सरकार से इस्तीफा ले लिया था लेकिन फिर भी हालात नहीं सुधरे।
कोलंबो और कई बड़े शहरों में अभी भी पेट्रोल-डीजल और गैस के लिए लोग लंबी लाइनों में लगने को मजबूर हैं।
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