क्या रूस यूक्रेन युद्ध में अब नया मोड़ आ गया है? कुछ हफ्ते पहले ही यूक्रेन में रूसी सेना के कमांडर बनाए गए जनरल सर्गेई सुरोविकिन ने बुधवार को रूस के सरकारी टीवी पर सैनिकों की वापसी की घोषणा की है। उन्होंने पुष्टि की कि रूसी सैनिक पूरी तरह से निप्रो नदी के पश्चिमी तट से पीछे हटेंगे। यहाँ से पीछे हटने का मतलब है कि रूसी सैनिकों को खेरसॉन शहर खाली करना होगा।
तो सवाल है कि आख़िर रूस ने ये फ़ैसला क्यों लिया? क्या वह रणनीति बदल रहा है? क्या उसकी सेना को खेरसॉन में रखना बेहद भारी पड़ रहा है? या फिर कुछ और वजह है?
वैसे, रूस की इस घोषणा पर यूक्रेन ने संदेह जताया है। यूक्रेन ने कहा है कि कुछ रूसी सेनाएँ अभी भी खेरसॉन में हैं और अतिरिक्त रूसी मैनपावर इस क्षेत्र में भेजे जा रहे हैं।
राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि घोषणा के बाद कीव बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहा है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन को लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "दुश्मन हमें उपहार नहीं देता है, 'सद्भावना के इशारे' नहीं करता है, हमें यह सब जीतना पड़ता है।"
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार रूस की घोषणा के बाद खेरसॉन शहर के अंदर के नागरिकों ने कहा है कि रूसी सेना के चेचन सैनिक शहर में, कैफे में और सड़कों पर घूम रहे हैं। और शहर के बाहरी हिस्से में यूक्रेनी पॉजिशन के सैनिकों ने कहा है कि दुश्मन उन्हें एक जाल में फँसाने की कोशिश कर रहे हैं और वे सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की प्रतिक्रिया से लगता है कि रूसी सैनिकों के सामने कुछ दिक्कतें है और इसी वजह से सैनिकों के वापस बुलाए जाने का फ़ैसला लिया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि यूक्रेन के खेरसॉन शहर से रूस के हटने का फ़ैसला दिखाता है कि उसकी सेना में 'कुछ वास्तविक समस्याएं' हैं।
खेरसॉन शहर एकमात्र क्षेत्रीय राजधानी थी जिस पर रूस ने फ़रवरी में अपने आक्रमण के बाद कब्जा कर लिया था, और यह एक यूक्रेनी जवाबी हमले का केंद्र रहा है। यह शहर दो चीजों को नियंत्रित करता है- क्रीमिया प्रायद्वीप के लिए एकमात्र जमीनी रास्ता को जिसे रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था, और नीप्रो नदी के मुहाने को जो यूक्रेन को विभाजित करती है।
बहरहाल, खेरसॉन शहर पर रूसी घोषणा के बाद भी स्थिति साफ़ नहीं है कि दरअसल वहाँ क्या हो रहा है। जो भी होगा वह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन यह तो तय है कि यह घोषणा रूस की सैन्य महत्वाकांक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है।
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