अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ग़ान सेना और तालिबान के कट्टरपंथियों के बीच चल रहे संघर्ष में राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी के काबुल स्थित आवास के पास मंगलवार को रॉकेट गिरे। इसे हमला माना जा रहा है और यह बकरीद की नमाज़ के दौरान हुआ है।
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने टीवी ख़बरों के हवाले से कहा है कि इस इलाक़े में हुए कई जोरदार धमाकों के बाद सभी को नमाज़ रोकनी पड़ी। इस हमले में कितने लोग घायल हुए हैं, अभी इसका पता नहीं चल सका है। ख़बरों के मुताबिक़, राष्ट्रपति आवास के नज़दीक तीन रॉकेटों से हमला किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक़, परवान-ए-से इलाक़े से रॉकेट दागे गए और ये काबुल के जिला 1 के बाग-ए-अली मर्दान और चमन-ए-होज़ोरी इलाकों और काबुल के जिला 2 के मनाबे बशारी इलाक़ों में गिरे।
आईएसआई भी सक्रिय
इंडिया टुडे के मुताबिक़, पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ने अपने लड़ाकों और तालिबान को आदेश दिया है कि वे भारत के द्वारा अफगानिस्तान में बनाई गई इमारतों और निर्माण को निशाना बनाएं। राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने कुछ दिन पहले पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाते हुए कहा था कि पाकिस्तान से 10,000 जेहादी लड़ाके बीते महीने अफ़ग़ानिस्तान में घुस चुके हैं।
उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान तालिबान को इस बात के लिए मनाने में फ़ेल रहा कि यह कट्टरपंथी संगठन संजीदा होकर शांति वार्ता में भाग ले। हालांकि इमरान ने ग़नी के इन आरोपों को खारिज़ कर दिया और कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के हालात के लिए पाकिस्तान को दोष देना ग़लत है।
दोनों ही नेता ताशकंत में आयोजित ‘मध्य और दक्षिण एशिया क्षेत्रीय संपर्क: चुनौतियां और अवसर’ नाम से आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेन्स में बोल रहे थे।
सालेह ने भी लगाया था आरोप
इससे पहले अफ़ग़ानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमीरूल्लाह सालेह ने भी पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाया था। अमीरूल्लाह सालेह ने कहा था कि पाकिस्तान की एयर फ़ोर्स तालिबान की मदद कर रही है और उसने अफ़ग़ान सेना को चेतावनी दी है कि वह उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई न करे।
सालेह ने गुरूवार रात को ट्वीट कर कहा कि पाकिस्तान की एयर फ़ोर्स ने अफ़ग़ान आर्मी और एयर फ़ोर्स के लिए आधिकारिक रूप से चेतावनी जारी की है। इसमें उसने कहा है कि तालिबान को स्पिन बोल्डक के इलाक़े को खदेड़ने का पाकिस्तान की एयर फ़ोर्स की ओर से जवाब दिया जाएगा।
बता दें कि भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में कई परियोजनाओं में अरबों डॉलर का निवेश किया है। कुछ दिन पहले ही भारत ने काबुल में स्थित अपने वाणिज्य दूतावास से कर्मचारियों को वापस बुला लिया था।
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