फ्रांस में चार पांच दिनों से दंगे हो रहे हैं। करीब 45,000 पुलिसकर्मियों को दंगे रोकने के लिए तैनात किया गया है। करीब 1000 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। मंगलवार को पेरिस के पास 17 वर्षीय किशोर को पुलिस द्वारा गोली मारे जाने के बाद फ्रांस में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए जो बाद में दंगों में बदल गए। कुछ शहरों में प्रदर्शनों पर प्रतिबंध है। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को फ्रांस की यात्रा को लेकर चेतावनी जारी की गई है।
रॉयटर्स और सीएनएन के मुताबिक प्रदर्शन के दौरान वाहनों में आग लगाने, इमारतों में लूटपाट के सीन देखने को मिल रही है। दंगा रोकने वाली पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई स्थानों पर जमकर झड़प हुई। हालात के मद्देनजर फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन अपने मंत्रियों के साथ इमरजेंसी मीटिंग की।
फ्रांस में विरोध क्यों भड़का?
इस सप्ताह की शुरुआत में पेरिस के उपनगर नैनटेरे में ट्रैफिक रोकने के दौरान एक पुलिस अधिकारी ने अल्जीरियाई मूल के किशोर नाहेल की गोली मारकर हत्या कर दी।
एक राहगीर ने इसकी फोटो खींची और वीडियो बनाया। वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि दो अधिकारी कार के ड्राइवर की तरफ खड़े हैं, जिनमें से एक ने कोई खतरा नहीं होने के बावजूद ड्राइवर पर अपनी पिस्तौल तान रखी है। पिस्तौल से गोलियां निकल रही हैं। बाद में अधिकारी ने कहा कि उसने अपनी पिस्तौल से गोली चलाई क्योंकि उसे डर था कि लड़का कार से किसी को कुचल देगा।
शहर के लोक अभियोजक प्राचे ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि पुलिस अधिकारी ने अपने हथियार का इस्तेमाल करके गैरकानूनी काम किया। अब उसके खिलाफ जांच हो रही है और उसे हिरासत में रखा गया है।
इस फोटो के इनसेट में जो लड़का है, उसकी हत्या का आरोप पुलिस पर है।
अब तक क्या हुआ?
प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए हुए दिखाई दे रहे हैं, जिन पर पुलिस के खिलाफ नारे लिखे हुए है। नाहेल की हत्या से फ्रांस में नस्लीय पूर्वाग्रह का सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है और इसी बात को लेकर गुस्सा भड़क गया है। जो दंगे की शक्ल ले चुका है। तमाम शहरों में गश्त करने के लिए 45,000 से अधिक पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है, लगभग 1,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 200 से अधिक पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं।सीएनएन ने बताया है कि अकेले पेरिस में 5,000 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। फ्रांसीसी आंतरिक मंत्री जेरार्ड डर्मैनिन ने कहा, अधिकारियों को दंगे दबाने, गिरफ्तारियां करने और "व्यवस्था बहाल करने" की शक्तियां दी गईं।
विदेशी फ्रांसीसी क्षेत्रों में भी हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। फ़्रेंच गुयाना की राजधानी केयेन में गुरुवार को दंगों के दौरान एक व्यक्ति की "गोली" लगने से मौत हो गई।
मैक्रॉन और दंगेः इस साल की शुरुआत में पेंशन सुधारों के खिलाफ कई हफ्तों के विरोध प्रदर्शन के बाद मैक्रॉन ने देश को ठीक करने और अपने राष्ट्रपति पद को फिर से स्थापित करने के लिए खुद को 100 दिन का समय दिया। लेकिन अब व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कारण सारी उम्मीदें खत्म हो रही हैं। इस बात पर किसी का ध्यान नहीं गया कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने बुधवार को एल्टन जॉन कॉन्सर्ट में भाग लिया था, जबकि देश भर में दंगे चल रहे थे। हजारों कारें जला दी गईं और भवनों को आग के हवाले कर दिया गया।
फ्रांसीसी सरकार 2005 जैसे हालात से बचने के लिए काम कर रही है। जब दो लड़कों को पुलिस द्वारा गोली मारे जाने के बाद तीन सप्ताह तक दंगे चले थे। उस समय भी आपातकाल की स्थिति पैदा हो गई थी।
मैक्रॉन ने अब ब्रसेल्ज में अगले शुक्रवार तक चलने वाले यूरोपीय परिषद शिखर सम्मेलन में न जाने या कम समय के लिए जाने का फैसला किया है। उन्होंने अब फ्रांस में "जश्न मनाने वाले सभी "बड़े कार्यक्रमों" पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। उन्होंने पैरंट्स से अपने बच्चों को घर पर रखने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि दंगे के दौरान हिरासत में लिए गए लगभग 1000 लोगों में से एक तिहाई युवा थे।
मैक्रॉन ने प्रदर्शनों को दबाने में मदद के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का भी आह्वान किया है, टिकटॉक और स्नैपचैट से "सबसे संवेदनशील सामग्री" को हटाने और उन यूजर्स की पहचान करने के लिए कहा है जो "अव्यवस्था पैदा करने या हिंसा को बढ़ावा देने के लिए सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं।"
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