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किसानों के समर्थन में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा में हो रही रैलियां

दिल्ली के टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैठे किसानों के आंदोलन में धीरे-धीरे पंजाब और हरियाणा के अलावा कई राज्यों के किसान जुड़े तो यह आंदोलन बढ़ता चला गया। किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन मसले का कोई हल नहीं निकला। अब जब किसान 8 दिसंबर को भारत बंद बुला चुके हैं तो सरकार की मुश्किलें बहुत ज़्यादा बढ़ गई हैं। क्योंकि दिल्ली के तमाम बॉर्डर्स पर किसानों का इकट्ठा होना जारी है और इस वजह से लग रहे जाम के कारण आम लोगों को खासी परेशानी हो रही है। 

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किसानों का यह आंदोलन दुनिया भर में फैले पंजाबियों तक पहुंच गया है। किसानों के समर्थन में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, लंदन सहित दुनिया के कई देशों में किसान रैलियां निकाली जा रही हैं। इनमें सिख समुदाय के लोग ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ हिस्सा ले रहे हैं। महंगी गाड़ियों के साथ बाइकों की रैली भी किसानों के समर्थन में निकाली जा रही है। मोदी सरकार इससे परेशान है क्योंकि किसानों का ये मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय हो चुका है। 
विदेशों में किसानों के समर्थन में हो रही इन रैलियों के वीडियो सोशल मीडिया पर खासे वायरल हो रहे हैं। भारत में लोग जमकर इन्हें शेयर कर रहे हैं। दूसरी ओर, किसानों का जबरदस्त दबाव सरकार के आला मंत्रियों की रात की नींद ग़ायब कर चुका है।

अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में सैकड़ों गाड़ियों का काफिला किसान एकता रैली के नाम पर सड़कों पर निकला। यह काफिला ओकलैंड से सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय दूतावास तक गया। इसी तरह ब्रिटेन में भी सिख लंदन में भारतीय दूतावास के बाहर इकट्ठा हुए और दिल्ली बॉर्डर्स पर बैठे किसानों के समर्थन में एकजुटता दिखाई। 

लंदन में लग गया जाम 

लंदन में निकाली गई रैली में हजारों लोग मौजूद रहे और इस वजह से जाम के हालात बन गए। बर्मिंघम से लेकर डर्बी और अन्य कई शहरों से कारों का काफिला गुजरा। इन सभी लोगों के हाथ में किसान आंदोलन के बैनर थे और इन्होंने भारतीय दूतावास के सामने नारेबाज़ी की। इनके हाथों में नो फ़ार्मर्स-नो फ़ूड के भी बैनर थे। इस दौरान दूतावास के बाहर काफी हंगामा हुआ। यह रैली तब भी हुई जबकि लंदन की पुलिस ने सिख समुदाय के नेताओं से कहा था कि कोरोना की वजह से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है। पुलिस ने कहा है कि इस तरह का प्रदर्शन आपराधिक कृत्य है। 

इसके अलावा 36 ब्रिटिश सांसदों ने ब्रिटेन के रक्षा मंत्री डोमिनिक राब को पत्र लिखकर रहा है कि वे इस मुद्दे को अपने भारतीय समकक्ष के सामने उठाएं। 

आस्ट्रेलिया में मेलबर्न स्थित भारतीय दूतावास के बाहर रविवार को किसान रैली का आयोजन किया गया। 

कनाडा में टोरंटो स्थित भारतीय दूतावास के बाहर सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए और किसानों के हक़ में आवाज़ बुलंद की। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के किसानों के आंदोलन को समर्थन करने के बाद भारत ने इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। 

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कनाडा में टोरंटो के अलावा वैंकूवर, यूके, यूरोप, आस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और अमेरिका में पंजाबियों की अच्छी-खासी आबादी है। वर्षों पहले भारत से गए ये लोग वहां ताक़तवर भी हो चुके हैं। आज भी बड़ी संख्या में पंजाब से लोग इन्हीं इलाक़ों में नौकरी करने जाते हैं और पैसा कमाकर घर भेजते हैं। पंजाब के बाक़ी राज्यों से ज़्यादा अमीर होने के पीछे यही कारण है। 

विपक्षी दल समर्थन में

कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, एसपी, एनसीपी, शिव सेना, जेएमएम, टीआरएस, सीपीआई, सीपीआई(एम), ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक सहित कई विपक्षी दलों के इस आंदोलन को समर्थन देने के कारण माना जा रहा है कि भारत बंद सफल रहेगा। लेकिन दूसरी ओर बीजेपी समर्थकों ने बंद का पूरी तरह विरोध किया है। किसानों को विदेशों से भी जोरदार समर्थन मिल रहा है। 

किसान नेताओं ने कहा है कि 8 तारीख़ को किसान दिल्ली की सभी सड़कों को जाम कर देंगे और देश भर में हाईवे पर पड़ने वाले सभी टोल पर भी कब्जा कर लेंगे और सरकार को टोल नहीं लेने देंगे। शनिवार को कई जगह पर भारत सरकार और कॉरपोरेट घरानों का पुतला दहन किया गया। 

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क़मर वहीद नक़वी
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