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पाक ट्रेन अपहरण: सभी हमलावर ढेर, 300 बंधक बचाए गए, कुछ की मौत

पाकिस्तानी अधिकारियों ने बुधवार को घोषणा की कि बलूचिस्तान प्रांत में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन अपहरण का रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया है। दिनभर चले गतिरोध के बाद सभी अलगाववादी हमलावर मारे गए हैं। सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, 300 से अधिक बंधकों को सुरक्षित छुड़ा लिया गया है, हालांकि इस दौरान कुछ बंधकों की मौत भी हुई है। यह जानकारी समाचार एजेंसी एपी ने दी है। हताहतों की सटीक संख्या अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार डॉन ने सेना के हवाले से आधिकारिक रिपोर्ट दी है कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया और इसमें 33 'आतंकवादी' मारे गए हैं। हालाँकि, इससे कुछ देर पहले ही रायटर्स ने रिपोर्ट दी कि बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए ने बुधवार को दावा किया कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना के उनके ख़िलाफ़ हमले के जवाब में 50 बंधकों को मार डाला है। उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान के पास सैन्य अभियान बंद करके और बलूच कैदियों को रिहा करके शेष बंधकों को सुरक्षित करने के लिए 20 घंटे हैं। 

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बीएलए का यह हमला मंगलवार को उस समय हुआ, जब क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस ट्रेन बलूचिस्तान के एक सुदूर इलाक़े में सुरंग नंबर 8 के पास से गुजर रही थी। अलगाववादी संगठन बीएलए ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। बीएलए ने दावा किया कि उनके लड़ाकों ने रेलवे ट्रैक को विस्फोट से उड़ा दिया, जिससे ट्रेन पटरी से उतर गई। इसके बाद उन्होंने ट्रेन पर नियंत्रण कर लिया, 50 सुरक्षा कर्मियों को मार डाला और यात्रियों को बंधक बना लिया, जिनमें सक्रिय सैन्य कर्मी भी शामिल थे। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है।

बीएलए ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने महिलाओं, बच्चों और बलोच यात्रियों को रिहा कर दिया, जबकि शेष बंधक पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के कर्मी हैं। संगठन ने चेतावनी दी थी कि यदि सुरक्षा बलों ने कोई सैन्य कार्रवाई की, तो सभी बंधकों को मार दिया जाएगा। बीएलए ने यह भी मांग की थी कि 48 घंटे के भीतर बलोच राजनीतिक कैदियों और लापता व्यक्तियों को रिहा किया जाए, वरना वे ट्रेन को पूरी तरह नष्ट कर देंगे।

पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने हमले की सूचना मिलते ही बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई शुरू की। अधिकारियों के अनुसार, विशेष बलों और हेलीकॉप्टरों की मदद से एक ऑपरेशन चलाया गया। बुधवार सुबह तक स्थिति नियंत्रण में आ गई, और सभी हमलावर मारे गए। एक सुरक्षा सूत्र ने एएफपी को पहले बताया था, ‘अब तक 300 से अधिक बंधकों को बचा लिया गया है, और ऑपरेशन जारी है।’ हालांकि, कुछ बंधकों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, लेकिन सटीक आंकड़े अभी गोपनीय रखे गए हैं।
पाकिस्तानी सेना ने बताया कि 'आतंकवादियों' ने ट्रेन को सुरंग में फंसाने के लिए रेलवे ट्रैक को विस्फोट से उड़ा दिया था, और कुछ 'आतंकवादी' सुसाइड बम विस्फोटक पहने हुए थे। इससे बचाव कार्य जटिल हो गया था।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने एएफपी को बताया, ‘हमले के दौरान लोग सीटों के नीचे छिप गए। आतंकवादियों ने पुरुषों को महिलाओं से अलग किया। मैंने उन्हें बताया कि मैं हृदय रोगी हूं, इसलिए मुझे और मेरे परिवार को जाने दिया गया।’

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे कायरतापूर्ण करार दिया। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘जाफर एक्सप्रेस पर आतंकी हमले में क़ीमती ज़िंदगियों के नुक़सान से गहरा दुख हुआ। ऐसे कायराना कृत्य पाकिस्तान में शांति और व्यवस्था को कमजोर नहीं कर सकते।’ उन्होंने बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती से बात की, जिन्होंने उन्हें ताजा घटनाक्रम की जानकारी दी। शरीफ ने कहा, ‘हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तब तक जारी रखेंगे, जब तक इसे देश से पूरी तरह खत्म नहीं कर दिया जाता।’

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत, तेल और खनिज संसाधनों से समृद्ध है। यह इलाका दशकों से अलगाववादी विद्रोह का केंद्र रहा है। बीएलए जैसे संगठन सरकार पर क्षेत्र के संसाधनों के शोषण और बलोच लोगों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हैं। वे बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करने की मांग करते हैं। हाल के वर्षों में बीएलए ने चीनी हितों और नागरिकों पर भी हमले किए हैं, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी सीपीईसी परियोजनाओं में काम कर रहे हैं।

इस हमले से कुछ दिन पहले, विभिन्न बलोच समूहों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ एक नई तीव्र आक्रामक रणनीति और ‘बलोच नेशनल आर्मी’ नामक एक एकीकृत संगठन की घोषणा की थी। विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला बीएलए की बढ़ती ताक़त और संगठनात्मक क्षमता को दिखाता है।

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चीन ने इस हमले की निंदा की और पाकिस्तान के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई। चीन की यह चिंता इसलिए भी अहम है, क्योंकि बलूचिस्तान में सीपीईसी की कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें ग्वादर बंदरगाह शामिल है। भारत में भी इस घटना पर नजर रखी जा रही है, क्योंकि बलूचिस्तान की अस्थिरता क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि पाकिस्तान इस विद्रोह को नियंत्रित नहीं कर पाया, तो देश में अस्थिरता बढ़ सकती है।

जाफर एक्सप्रेस अपहरण की यह घटना बलूचिस्तान में बढ़ते तनाव और बीएलए की साहसिक रणनीति को उजागर करती है। हालांकि ऑपरेशन सफल रहा और अधिकांश बंधकों को बचा लिया गया, लेकिन कुछ की मौत और हताहतों की अनिश्चित संख्या गंभीर सवाल उठाती है। यह हमला न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता पर भी असर डाल सकता है। आने वाले दिनों में सरकार की प्रतिक्रिया और बीएलए के अगले कदम इस संकट की दिशा तय करेंगे।

फिलहाल, क्वेटा रेलवे स्टेशन पर सन्नाटा पसरा है, क्योंकि हमले के बाद बलूचिस्तान से सभी ट्रेन सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई हैं। यह घटना पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है कि बलूचिस्तान का मुद्दा अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)
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