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सीनेट चुनाव: इसलामाबाद में हार के बाद ख़तरे में इमरान सरकार!

विपक्ष के हमलों से परेशान पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान को सीनेट के चुनावों में भी झटका लगा है। इमरान की पार्टी तहरीक़-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के उम्मीदवार और वित्त मंत्री अब्दुल हफ़ीज़ शेख़ इसलामाबाद सीट से चुनाव हार गए हैं। शेख़ को साबिक (पूर्व) वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने मात दी है। 

इमरान ख़ान के लिए यह बड़ा झटका इसलिए है क्योंकि नेशनल एसेंबली में बहुमत होने के बाद भी उनके उम्मीदवार को हार मिली है। पीटीआई के 9 सदस्यों ने चुनाव में क्रॉस वोटिंग की है। गिलानी को 169 वोट मिले जबकि शेख़ को 164 वोट मिले हैं। 

विपक्ष और सरकार के बीच झगड़ा बढ़ने के बाद पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने ओपन बैलेट से चुनाव कराने का आदेश दिया था। 48 सीटों के लिए हुए चुनाव में पीटीआई को 18, पीपीपी को 8 और पीएमएल (एन) को 5 सीटें मिली हैं। हालांकि पीटीआई को सबसे ज़्यादा सीटें मिली हैं लेकिन इसके बाद भी इसलामाबाद की हार के बाद विपक्ष ने इमरान से पद से इस्तीफ़ा देने के लिए कहा है। 

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अफ़सोसनाक दिन: क़ुरैशी 

इस सीट पर हार मिलने के बाद इमरान ख़ान सरकार ने कहा है कि वह नेशनल एसेंबली में वोट ऑफ़ कॉन्फिन्डेन्स (अविश्वास मत) का सामना करेगी। चुनाव नतीजों के बाद इमरान सरकार के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि उनकी नज़र में यह दिन पाकिस्तान की जम्हूरियत के लिए अफ़सोसनाक दिन है। उन्होंने कहा कि अविश्वास मत से पता चल जाएगा कि कौन कहां खड़ा है। उनका इशारा क्रॉस वोटिंग की ओर था। 

दूसरी ओर, जीत के बाद यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने कहा कि यह जम्हूरियत की जीत है। उन्होंने इसलामाबाद सीट पर मिली जीत का श्रेय पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) को दिया। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने कहा कि जम्हूरियत सबसे अच्छा बदला है। 

गिलानी को लंदन में इलाज करा रहे पूर्व वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ़ और उनकी बेटी मरियम नवाज़ ने बधाई दी है। 

बिलावल ने ट्वीट कर कहा कि इमरान ने वादा किया था कि अगर वह इसलामाबाद की सीनेट सीट हार जाते हैं तो वह एसेंबली को भंग कर देंगे, अब उन्हें कौन रोक रहा है। 

पीडीएम ने बढ़ा रखी हैं मुश्किल

पीडीएम अधिकांश विपक्षी दलों का गठबंधन है और बीते कई महीनों से इमरान सरकार के ख़िलाफ़ देश भर में रैलियां कर रहा है। इस गठबंधन में जमीअत उलेमा-ए-इसलाम के अलावा पीपीपी, पीएमएल (एन), पश्तून तहफ्फुज़ मूवमेंट, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) सहित कई सियासी जमात शामिल हैं। पीडीएम की गुजरांवाला, पेशावर, मुल्तान और लाहौर की रैलियों में काफी भीड़ जुटी थी। 

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बाजवा के बस की नहीं

अगर इमरान ख़ान विश्वास मत हार जाते हैं तो सरकार का गिरना तय है। पाकिस्तान में पीडीएम इतना ताक़तवर है कि अब आर्मी चीफ़ जनरल क़मर जावेद बाजवा भी सरकार को नहीं बचा सकते। विपक्ष लगातार बाजवा पर भी हमले करता रहा है और उन पर इमरान को जबरन जिताने का आरोप लगाता रहा है। 

इमरान सरकार के विश्वास मत हारने पर पाकिस्तान में फिर से चुनाव होंगे और ऐसे हालात में क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान के लिए पीटीआई को फिर से जीत दिलाना बेहद मुश्किल होगा और इसका कारण पीडीएम का काफी मजबूत होना है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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