पाकिस्तान की सेना के शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि वे सरकार और सरकारी संस्थानों के खिलाफ नफरती और राजनीतिक रूप से प्रेरित विद्रोह को बढ़ावा देने वाले योजनाकारों और मास्टरमाइंडों के ख़िलाफ़ कानूनी शिकंजा कसा जाएगा। इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस द्वारा बुधवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, रावलपिंडी में जनरल हेडक्वार्टर में 81वें फॉर्मेशन कमांडर्स सम्मेलन के दौरान इस पर आम सहमति बनी। फॉर्मेशन कमांडर्स सम्मेलन सेना के बड़े मंचों में से एक है, जो आमतौर पर संगठनात्मक मुद्दों पर विचार-विमर्श के अलावा रणनीति, संचालन और प्रशिक्षण मामलों पर चर्चा के लिए साल में एक बार बैठक करता है।
तो सवाल है कि विद्रोह को बढ़ावा देने वाले योजनाकारों और मास्टरमाइंडों के ख़िलाफ़ कानूनी शिकंजा कसने का संकेत क्या है? दरअसल, जिस विद्रोह की बात की गई है वह पिछले महीने इमरान ख़ान की राजनीतिक पार्टी पीटीआई के प्रदर्शन से जुड़ा है। इमरान खान की इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के बाहर गिरफ्तारी को लेकर पाकिस्तान के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था।
पिछले महीने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई के समर्थक रावलपिंडी शहर में पाकिस्तानी सेना मुख्यालय में घुस गए और लाहौर में कोर कमांडर के आवास पर भी धावा बोल दिया था। खान के समर्थकों ने रावलपिंडी में सेना के विशाल मुख्यालय के मुख्य द्वार को तोड़ दिया था। हालाँकि, तब सैनिकों ने संयम बरता था। प्रदर्शनकारियों ने प्रतिष्ठान के खिलाफ नारेबाजी की थी। लाहौर में भी बड़ी संख्या में पीटीआई कार्यकर्ताओं ने कोर कमांडर के लाहौर आवास पर धावा बोल दिया और गेट और खिड़की के शीशे तोड़ दिए थे। तब वहां ड्यूटी पर मौजूद सेना के जवानों ने ग़ुस्साए प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश नहीं की थी।
बहरहाल, अब पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने बुधवार को संकेत दिया है कि इमरान खान पर जल्द ही 9 मई को सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले के लिए मुकदमा चलाया जाएगा। पाकिस्तान के एक प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार रावलपिंडी में 81वें फॉर्मेशन कमांडर्स कांफ्रेंस की अध्यक्षता पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर द्वारा की गई। बैठक में कोर कमांडरों, प्रधान कर्मचारी अधिकारियों और पाकिस्तानी सेना के सभी फॉर्मेशन कमांडरों ने भाग लिया।
रिपोर्ट के अनुसार बयान में कहा गया है, 'इस बात पर और जोर दिया गया है कि अपराधियों और भड़काने वालों के ख़िलाफ़ कानूनी पड़ताल शुरू हो गए हैं, अब समय है कि योजनाकारों और मास्टरमाइंडों के चारों ओर कानून का शिकंजा भी कस दिया जाए, जिन्होंने देश में अराजकता फैलाने के अपने नापाक मंसूबे को हासिल करने के लिए देश और देश के संस्थानों के खिलाफ नफ़रत से भरे और राजनीतिक रूप से प्रेरित विद्रोह को बढ़ावा दिया।'
शीर्ष कमांडरों ने 9 मई के हमलों की निंदा की, इसे 'ब्लैक डे' कहा और अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया कि शहीदों के स्मारकों, जिन्ना हाउस और सैन्य प्रतिष्ठानों के हमलावरों को निश्चित रूप से न्याय के अधीन तेजी से लाया जाएगा।'
बयान में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि बाधा पैदा करने और शत्रुतापूर्ण ताक़तों को रोकने के लिए किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाएगा। कहा जा रहा है कि यह पाकिस्तान की न्यायपालिका के लिए भी संदेश है। बता दें कि न्यायपालिको ने इमरान खान को राहत दी है।
हालाँकि प्रदर्शन के दौरान अपने समर्थकों द्वारा सैन्य और सरकारी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के कारण उन्होंने खुद को एक दलदल में पाया है। विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर सरकार और सेना सख्त हो गई है। कई शीर्ष नेताओं ने उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को छोड़ दिया है।
अब इमरान ख़ान कहते रहे हैं कि सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले उनकी पार्टी पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें सलाखों के पीछे डालने के लिए तैयार किया गया एक झूठा अभियान था।
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