तालिबान के स्थानीय कमान्डर ने काबुल के करते परवान गुरुद्वारा जाकर वहां जमा अफ़ग़ान सिखों व हिन्दुओं से मुलाक़ात कर उन्हें सुरक्षा को लेकर आश्वस्त किया और कहा कि वे देश छोड़ कर न जाएं।
अफ़ग़ानिस्तान में उथल-पुथल है। तालिबान अब सत्ता में वापस लौट आया है। ऐसा लगता है कि अमेरिका ने काफ़ी पहले ही अफ़ग़ानिस्तान युद्ध में हार मान ली थी। वियतनाम युद्ध के बाद अफ़ग़ानिस्तान में एक और हार!
तालिबान ने काबुल पर क़ब्ज़ा किया नहीं कि चीन ने तुरन्त उसकी ओर दोस्ती और सहयोग का हाथ बढ़ा दिया। क्या वह अफ़ग़ानिस्तान के ज़रिए कज़ाख़स्तान, उज़बेकिस्तान, ताज़िकस्तान होते हुए यूरोप तक पहुँचना चाहता है?
भारत ने अगस्त महीने के अध्यक्ष होने के नाते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ़ग़ानिस्तान पर हुई आपातकालीन बैठक बुलाई, लेकिन उसमें पाकिस्तान को नहीं न्योता। इसलामाबाद ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में बने हालात को देखते हुए काबुल से अपने राजदूत और भारतीय स्टाफ़ को तुरंत वापस लाने का फ़ैसला किया गया है।
बाइडन ने अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी अपने देश को युद्ध के लिए तैयार करने में फ़ेल रहे। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका पुरानी ग़लतियों को अब नहीं दोहराएगा।
तालिबान लड़ाकों ने अज़ीज़ी बैंक के दफ़्तर में घुस कर महिलाओं से वहां से चले जाने को कहा और उनके घर तक छोड़ आए। इतना नही नहीं, महिला वाले पोस्टर तक हटा दिए गए या उन पर कालिख पोत दी गई।
काबुल के हामिद करज़ई एयरपोर्ट पर जबरदस्त अफ़रा-तफरी का माहौल है। काबुल एयरपोर्ट पर फ़ायरिंग भी हुई है और इसके बाद एयरपोर्ट पर कॉमर्शियल फ्लाइट्स को सस्पेंड कर दिया गया है।
अफ़ग़ानिस्तान के समाचार चैनल टोलो न्यू़ज का कहना है कि राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी देश छोड़ कर भाग गए हैं और तालिबान के लड़ाके राजधानी काबुल में दाखिल हो चुके हैं।