अमेरिका और यूरोपीय देश रूस को चेता चुके हैं कि यूक्रेन पर किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई के बेहद गंभीर नतीजे होंगे। लेकिन बावजूद इसके रूस ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई करने का एलान कर दिया है।
रूस ने यूक्रेन से अपने राजनयिक स्टाफ को हटाना शुरू कर दिया है। यूक्रेन ने भी रूस में रह रहे अपने नागरिकों को यूक्रेन लौटने को कहा है। इस घटनाक्रम के गहरे मतलब लगाए जा रहे हैं।
लुहान्स्क और दोनेत्स्क को आजाद देश की मान्यता देने के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन लगातार घिरते जा रहे हैं। अमेरिका कनाडा ने भी रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
रूस के लुहान्स्क और दोनेत्स्क को मान्यता देने के बाद यह संकट काफी बड़ा हो गया है। रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं हालांकि अमेरिका ने कहा है कि इस मामले में कूटनीतिक दरवाजे अभी भी खुले हुए हैं।
पूर्वी यूक्रेन के लुहान्स्क और दोनेत्स्क क्षेत्र को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ताज़ा घोषणा के क्या मायने हैं? क्या हमले की शुरुआत हो गई है?
यूक्रेन में जब से रूसी हमले की आशंका जताई जा रही है तब से एक सवाल पूछा जा रहा है कि क्या रूस मिंस्क समझौते का उल्लंघन करेगा? आख़िर यह मिंस्क समझौता क्या है?
लुहान्स्क और दोनेत्स्क में रहने वाले लोग रूस के समर्थक हैं। इन्हें यूक्रेन में अलगाववादी भी कहा जाता है क्योंकि ये चाहते हैं कि यूक्रेन रूस का हिस्सा बन जाए।
भारत ने कहा है कि इस संकट में आम लोगों की हिफाजत सबसे बड़ा मुद्दा है। इस संकट के दौरान ही भारत और तमाम देशों ने अपने नागरिकों से अपील की थी कि वे यूक्रेन को छोड़ दें।