अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कश्मीर का राग छेड़ दिया है। ट्रंप ने कहा कि वह अभी भी इमरान ख़ान और मोदी के बीच मध्यस्थता कराने के लिए तैयार हैं।
यदि तालिबान से अमेरिका और पाकिस्तान बात कर रहे हैं तो वह बात इसीलिए हो रही है कि काबुल की सत्ता उन्हें कैसे सौंपी जाए? यदि सत्ता उन्हें ही सौंपी जानी है तो चुनाव का ढोंग किसलिए किया जा रहा है?
अमेरिकी राष्ट्रपति एक बार फिर विवादों में हैं। उन्होंने 4 काले कांग्रेस सदस्यों से देश छोड़ चले जाने को कहा तो उनके ही 149 आला अफ़सरों ने एक संपादकीय लिखा।
अमेरिक पत्रिका ‘न्यूयॉर्कर’ के संपादक डेविड रेमनिक ने राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पर नस्लवाद होने का आरोप लगाते हुए सवाल उठाया है कि क्या वे इस पद पर बने रहने लायक हैं?
मध्य-पूर्व में 1 हज़ार सैनिक भेजने का एलान कर ट्रंप ने एक तरह से युद्धा का नगाड़ा बजा दिया है। पर क्या उनका इरादा ऐसा है या सिर्फ बंदरघुड़की से काम चलाना चाहते हैं। भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?